जकर्याह
Chapter 1
1. दारा के राज्य के दूसरे वर्ष के आठवें महीने में जकर्याह भविष्यद्वक्ता के पास जो बेरेक्याह का पुत्र और इद्दो का पोता या, यहोवा का यह वचन पहुंचा: 2. यहोवा तुम लोगोंके पुरखाओं से बहुत ही क्रोधित हुआ या। 3. इसलिथे तू इन लोगोंसे कह, सेनाओं का यहोवा योंकहता है: तुम मेरी ओर फिरो, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है, तब मैं तुम्हारी ओर फिरूंगा, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है। 4. अपके पुरखाओं के समान न बनो, उन से तो अगले भविष्यद्वक्ता यह पुकार पुकारकर कहते थे कि सेनाओं का यहोवा योंकहता है, अपके बुरे मार्गोंसे, और अपके बुरे कामोंसे फिरो; परन्तु उन्होंने न तो सुना, और न मेरी ओर ध्यान दिया, यहोवा की यही वाणी है। 5. तुम्हारे पुरखा कहां रहे? और भविष्यद्वक्ता क्या सदा जीवित रहते हैं? 6. परन्तु मेरे वचन और मेरी आज्ञाएं जिन को मैं ने अपके दास नबियोंको दिया या, क्या वे तुम्हारे पुरखाओं पर पूरी न हुई? तब उन्होंने मन फिराया और कहा, सेनाओं के यहोवा ने हमारे चालचलन और कामोंके अनुसार हम से जैसा व्यवहार करने को कहा या, वैसा ही उस ने हम को बदला दिया है।। 7. दारा के दूसरे वर्ष के शबात नाम ग्यारहवें महीने के चौबीसवें दिन को जकर्याह नबी के पास जो बेरेक्याह का पुत्र और इद्दो का पोता या, यहोवा का वचन योंपहुंचा: 8. मैं ने रात को स्वप्न में क्या देखा कि एक पुरूष लाल घोड़े पर चढ़ा हुआ उन मेंहदियोंके बीच खड़ा है जो नीचे स्यान में हैं, और उसके पीछे लाल और सुरंग और श्वेत घोड़े भी खड़े हैं। 9. तब मैं ने कहा, हे मेरे प्रभु थे कौन हैं? तब जो दूत मुझ से बातें करता या, उस ने मुझ से कहा, मैं तुझे बताऊंगा कि थे कौन हैं। 10. फिर जो पुरूष मेंहदियोंके बीच खड़ा या, उस ने कहा, यह वे हैं जिन को यहोवा ने पृय्वी पर सैर अर्यात् धूमने के लिथे भेजा है। 11. तब उन्होंने यहोवा के उस दूत से जो मेंहदियोंके बीच खड़ा या, कहा, हम ने पृय्वी पर सैर किया है, और क्या देखा कि सारी पृय्वी में शान्ति और चैन है। 12. तब यहोवा के दूत ने कहा, हे सेनाओं के यहोवा, तू जो यरूशलेम और यहूदा के नगरोंपर सत्तर वर्ष से क्रोधित है, सो तू उन पर कब तक दया न करेगा? 13. और यहोवा ने उत्तर में उस दूत से जो मुझ से बातें करता या, अच्छी अच्छी और शान्ति की बातें कहीं। 14. तब जो दूत मुझ से बातें करता या, उस ने मुझ से कहा, तू पुकारकर कह कि सेनाओं का यहोवा योंकहता है, मुझे यरूशलेम और सिय्योन के लिथे बड़ी जलन हुई है। 15. और जो जातियां सुख से रहती हैं, उन से मैं क्रोधित हूं; क्योंकि मैं ने तो योड़ा से क्रोध किया या, परन्तु उन्होंने विपत्ति को बढ़ा दिया। 16. इस कारण यहोवा योंकहता है, अब मैं दया करके यरूशलेम को लौट आया हूं; मेरा भवन उस में बनेगा, और यरूशलेम पर नापके की डोरी डाली जाएगी, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है। 17. फिर यह भी पुकारकर कह कि सेनाओं का यहोवा योंकहता है, मेरे नगर फिर उत्तम वस्तुओं से भर जाएंगे, और यहोवा फिर सिय्योन को शान्ति देगा; और यरूशलेम को फिर अपना ठहराएगा।। 18. फिर मैं ने जो आंखें उठाई, तो क्या देखा कि चार सींग हैं। 19. तब जो दूत मुझ से बातें करता या, उस से मैं ने पूछा, थे क्या हैं? उस ने मुझ से कहा, थे वे ही सींग हैं, जिन्होंने यहूदा और इस्राएल और यरूशलेम को तितर-बितर किया है। 20. फिर यहोवा ने मुझे चार लोहार दिखाए। 21. तब मैं ने पूछा, थे क्या करने को आए हैं? उस ने कहा, थे वे ही सींग हैं, जिन्होंने यहूदा को ऐसा तितर-बितर किया कि कोई सिर न उठा सका; परन्तु थे लोग उन्हें भगाने के लिथे और उन जातियोंके सींगोंको काट डालने के लिथे आए हैं जिन्होंने यहूदा के देश को तितर-बितर करने के लिथे उनके विरूद्ध अपके अपके सींग उठाए थे।।
Chapter 2
1. फिर मैं ने आंखें उठाईं तो क्या देखा, कि हाथ में नापके की डोरी लिए हुए एक पुरूष है। 2. तब मैं ने उस से पूछा, तू कहां जाता है? उस ने मुझ से कहा, यरूशलेम को नापके जाता हूं कि देखूं उसकी चौड़ाई कितनी, और लम्बाई कितनी है। 3. तब मैं ने क्या देखा, कि जो दूत मुझ से बातें करता या वह चला गया, और दूसरा दूत उस से मिलने के लिथे आकर, 4. उस से कहता है, दौड़कर उस जवान से कह, यरूशलेम मनुष्योंऔर घरैलू पशुओं की बहुतायत के मारे शहरपनाह के बाहर बाहर भी बसेगी। 5. और याहोवा की यह वाणी है, कि मैं आप उसके चारोंओर आग की से शहरपनाह ठहरूंगा, और उसके बीच में तेजोमय होकर दिखाई दूंगा।। 6. यहोवा की यह वाणी है, देखो, सुनो उत्तर के देश में से भाग जाओ, क्योंकि मैं ने तुम को आकाश की चारोंवायुओं के समान तितर बितर किया है। 7. हे बाबुलवाली जाति के संग रहनेवाली, सिय्योन को बचकर निकल भाग! 8. क्योंकि सेनाओं का यहोवा योंकहता है, उस तेल के प्रगट होने के बाद उस ने मुझे उन जातियोंके पास भेजा है जो तुम्हें लूटती यीं, क्योंकि जो तुम को छूता है, वह मेरी आंख की पुतली ही को छूता है। 9. देखो, मैं अपना हाथ उन पर उठाऊंगा, तब वे उन्हीं से लूटे जाएंगे जो उनके दास हुए थे। तब तुम जानोगे कि सेनाओं के यहोवा ने मुझे भेजा है। 10. हे सिय्योन, ऊंचे स्वर से गा और आनन्द कर, क्योंकि देख, मैं आकर तेरे बीच में निवास करूंगा, यहोवा की यही वाणी है। 11. उस समय बहुत सी जातियां यहोवा से मिल जाएंगी, और मेरी प्रजा हो जाएंगी; और मैं तेरे बीच में बास करूंगा, 12. और तू जानेगी कि सेनाओं के यहोवा ने मुझे तेरे पास भेज दिया है। और यहोवा यहूदा को पवित्र देश में अपना भाग कर लेगा, और यरूशलेम को फिर अपना ठहराएगा।। 13. हे सब प्राणियों! यहोवा के साम्हने चुपके रहो; क्योंकि वह जागकर अपके पवित्र निवासस्यान से निकला है।।
Chapter 3
1. फिर उस ने यहोशू महाथाजक को यहोवा के दूत के साम्हने खड़ा हुआ मुझे दिखाया, और शैतान उसकी दहिनी ओर उसका विरोध करने को खड़ा या। 2. तब यहोवा ने शैतान से कहा, हे शैतान यहोवा तुझ को घुड़के! यहोवा जो यरूशलेम को अपना लेता है, वही तुझे घुड़के! क्या यह आग से निकाली हुई लुकटी सी नहीं है? 3. उस समय यहोशू तो दूत के साम्हने मैला वस्त्र पहिने हुए खड़ा या। 4. तब दूत ने उन से जो साम्हने खड़े थे कहा, इसके थे मैले वस्त्र उतारो। फिर उस ने उस से कहा, देख, मैं ने तेरा अधर्म दूर किया है, और मैं तुझे सुन्दर वस्त्र पहिना देता हूं। 5. तब मैं ने कहा, इसके सिर पर एक शुद्ध पगड़ी रखी जाए। और उन्होंने उसके सिर पर याजक के योग्य शुद्ध पगड़ी रखी, और उसको वस्त्र पहिनाए; उस समय यहोवा का दूत पास खड़ा रहा।। 6. तब यहोवा के दूत ने यहोशू को चिताकर कहा, 7. सेनाओं का यहोवा तुझ से योंकहता है: यदि तू मेरे मार्गोंपर चले, और जो कुछ मैं ने तुझे सौंप दिया है उसकी रझा करे, तो तू मेरे भवन का न्यायी, और मेरे आंगनोंका रझक होगा; और मैं तुझ को इनके बीच में आने जाने दूंगा जो पास खड़े हैं। 8. हे यहोशू महाथाजक, तू सुन ले, और तेरे भाईबन्धु जो तेरे साम्हने खड़े हैं वे भी सुनें, क्योंकि वे मनुष्य शुभ शकुन हैं: सुनो, मैं अपके दास शाख को प्रगट करूंगा। 9. उस पत्यर को देख जिसे मैं ने यहोशू के आगे रखा है, उस एक ही पत्यर के ऊपर सात आंखें बनी हैं, सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, देख मैं उस पत्यर पर खोद देता हूं, और इस देश के अधर्म को एक ही दिन में दूर कर दूंगा। 10. उसी दिन तुम अपके अपके भाईबन्धुओं को दाखलता और अंजीर के वृझ के नीचे आने के लिथे बुलाओगे, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है।।
Chapter 4
1. फिर जो दूत मुझ से बातें करता या, उस ने आकर मुझे ऐसा जगाया जैसा कोई नींद से जगाया जाए। 2. और उस ने मुझ से पूछा, तुझे क्या देख पड़ता है? मैं ने कहा, एक दीवट है, जो सम्पूर्ण सोने की है, और उसका कटोरा उसकी चोटी पर है, और उस पर उसके सात दीपक है; जिन के ऊपर बत्ती के लिथे सात सात नालियां हैं। 3. और दीवट के पास जलपाई के दो वृझ हैं, एक उस कटोरे की दहिनी ओर, और दूसरा उसकी बाईं ओर। 4. तब मैं ने उस दूत से जो मुझ से बातें करता या, पूछा, हे मेरे प्रभु, थे क्या हैं? 5. जो दूत मुझ से बातें करता या, उस ने मुझ को उत्तर दिया, क्या तू नहीं जानता कि थे क्या हैं? मैं ने कहा, हे मेरे प्रभु मैं नहीं जानता। 6. तब उस ने मुझे उत्तर देकर कहा, जरूब्बाबेल के लिथे यहोवा का यह वचन है: न तो बल से, और न शक्ति से, परन्तु मेरे आत्मा के द्वारा होगा, मुझ सेनाओं के यहोवा का यही वचन है। 7. हे बड़े पहाड़, तू क्या है? जरूब्बाबेल के साम्हने तू मैदान हो जाएगा; और वह चोटी का पत्यर यह पुकारते हुए आएगा, उस पर अनुग्रह हो, अनुग्रह! 8. फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा, 9. जरूब्बाबेल ने अपके हाथोंसे इस भवन की नेव डाली है, और वही अपके हाथोंसे उसको तैयार भी करेगा। तब तू जानेगा कि सेनाओं के यहोवा ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है। 10. क्योंकि किस ने छोटी बातोंके दिन तुच्छ जाना है? यहोवा अपक्की इन सातोंआंखोंसे सारी पृय्वी पर दृष्टि करके साहुल को जरूब्बाबेल के हाथ में देखेगा, और आनन्दित होगा। 11. तब मैं ने उस से फिर पूछा, थे दो जलपाई के वृझ क्या हैं जो दीवट की दहिनी-बाई ओर हैं? 12. फिर मैं ने दूसरी बार उस से पूछा, जलपाई की दोनोंडालिथें क्या हैं जो सोने की दोनोंनालियोंके द्वारा अपके में से सोनहला तेल उण्डेलती हैं? 13. उस ने मुझ से कहा, क्या तू नहीं जानता कि थे क्या हैं? मैं ने कहा, हे मेरे प्रभु मैं नहीं जानता। 14. तब उस ने कहा, इनका अर्य ताजे तेल से भरे हुए वे दो पुरूष हैं जो सारी पृय्वी के परमेश्वर के पास हाजिर रहते हैं।।
Chapter 5
1. मैं ने फिर आंखें उठाईं तो क्या देखा, कि एक लिखा हुआ पत्र उड़ रहा है। 2. दूत ने मुझ से पूछा, तुझे क्या देख पड़ता है? मैं ने कहा, मुझे एक लिखा हुआ पत्र उड़ता हुआ देख पड़ता है, जिस की लम्बाई बीस हाथ और चौड़ाई दस हाथ की है। 3. तब उस ने मुझ से कहा, यह वह शाप है जो इस सारे देश पर पड़नेवाला है; क्योंकि जो कोई चोरी करता है, वह उसकी एक ओर लिखे हुए के अनुसार मैल की नाईं निकाल दिया जाएगा; और जो कोई शपय खाता है, वह उसकी दूसरी ओर लिखे हुए के अनुसार मैल की नाईं निकाल दिया जाएगा। 4. सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है, मैं उसको ऐसा चलाऊंगा कि वह चोर के घर में और मेरे नाम की फूठी शपय खानेवाले के घर में घुसकर ठहरेगा, और उसको लकड़ी और पत्यरोंसमेत नाश कर देगा।। 5. तब जो दूत मुझ से बातें करता या, उस ने बाहर जाकर मुझ से कहा, आंखें उठाकर देख कि वह क्या वस्तु निकली जा रही हैं? 6. मैं ने पूछा, वह क्या है? उस ने कहा? वह वस्तु जो निकली जा रही है वह एक एपा का नाप है। और उस ने फिर कहा, सारे देश में लोगोंका यही रूप है। 7. फिर मैं ने क्या देखा कि किक्कार भर शीशे का एक बटखरा उठाया जा रहा है, और एक स्त्री है जो एपा के बीच में बैठी है। 8. और दूत ने कहा, इसका अर्य दुष्टता है। और उस ने उस स्त्री को एपा के बीच में दबा दिया, और शीशे के उस बटखरे को लेकर उस से एपा का मुंह ढांप दिया। 9. तब मैं ने आंखें उठाईं, तो क्या देखा कि दो स्त्रिथें चक्की जाती हैं जिन के पंख पवन में फैले हुए हैं, और उनके पंख लगलग के से हैं, और वे एपा को आकाश और पृय्वी के बीच में उड़ाए लिए जा रही हैं। 10. तब मैं ने उस दूत से जो मुझ से बातें करता या, पूछा, कि वे एपा को कहां लिए जाती हैं? 11. उस ने कहा, शिनार देश में लिए जाती हैं कि वहां उसके लिथे एक भवन बनाएं; और जब वह तैयार किया जाए, तब वह एपा वहां अपके ही पाए पर खड़ा किया जाएगा।।
Chapter 6
1. मैं ने फिर आंखें उठाईं, और क्या देखा कि दो पहाड़ोंके बीच से चार रय चले आते हैं; और वे पहाड़ पीतल के हैं। 2. पहिले रय में लाल घोड़े और दूरे रय में काले, 3. तीसरे रय में श्वेत और चौथे रय में चितकबरे और बादामी घोड़े हैं। 4. तब मैं ने उस दूत से जो मुझ से बातें करता या, पूछा, हे मेरे प्रभु, थे क्या हैं? 5. दूत ने मुझ से कहा, थे आकाश के चारोंवायु हैं जो सारी पृय्वी के प्रभु के पास उपस्यित रहते हैं, परन्तु अब निकल आए हैं। 6. जिस रय में काले घोड़े हैं, वह उत्तर देश की ओर जाता है, और श्वेत घोडे उनके पीछे पीछे चले जाते हैं, और चितकबरे घोड़े दक्खिन देश की ओर जाते हैं। 7. और बादामी घोड़ोंने निकलकर चाहा कि जाकर पृय्वी पर फेरा करें। सो दूत ने कहा, जाकर पृय्वी पर फेरा करो। तब वे पृय्वी पर फेरा करने लगे। 8. तब उस ने मुझ से पुकारकर कहा, देख, वे जो उत्तर के देश की ओर जाते हैं, उन्होंने वहां मेरे प्राण को ठण्डा किया हैं।। 9. फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा : 10. बंधुआई के लोगोंमें से, हेल्दै, तोबिय्याह और यदायाह से कुछ ले और उसी दिन तू सपन्याह के पुत्र योशियाह के घर में जा जिस से वे बाबुल से आकर उतरे हैं। 11. उनके हाथ से सोना चान्दी ले, और मुकुट बनाकर उन्हें यहोसादाक के पुत्र यहोशू महाथाजक के सिर पर रख; 12. और उस से यह कह, सेनाओं का यहोवा योंकहता है, उस पुरूष को देख जिस का नाम शाख है, वह अपके ही स्यान से उगकर यहोवा के मन्दिर को बनाएगा। 13. वही यहोवा के मन्दिर को बनाएगा, और महिमा पाएगा, और अपके सिंहासन पर विराजमान होकर प्रभुता करेगा। और उसके सिंहासन के पास एक याजक भी रहेगा, और दोनोंके बीच मेल की सम्मति होगी। 14. और वे मुकुट हेलेम, तोबिय्याह, यदायाह, और सपन्याह के पुत्र हेन को मिलें, और वे यहोवा के मन्दिर में स्मरण के लिथे बने रहें।। 15. फिर दूर दूर के लोग आ आकर यहोवा के मन्दिर बनाने में सहाथता करेंगे, और तुम जानोगे कि सेनाओं के यहोवा ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है। और यदि तुम मन लगाकर अपके परमेश्वर यहोवा की आज्ञाओं का पालन करो तो यह बात पूरी होगी।।
Chapter 7
1. फिर दारा राजा के चौथे वर्ष में किसलेव नाम नौवें महीने के चौथे दिन को, यहोवा का वचन जकर्याह के पास पहुंचा। 2. बेतेलवासियोंने शरेसेर और रेगेम्मेलेक को इसलिथे भेजा या कि यहोवा से बिनती करें, 3. और सेनाओं के यहोवा के भवन के याजकोंसे और भविष्यद्वक्ताओं से भी यह पूछें, क्या हमें उपवास करके रोना चाहिथे जैसे कि कितने वर्षोंसे हम पांचवें महीने में करते आए हैं? 4. तब सेनाओं के यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा; 5. सब साधारण लोगोंसे और याजकोंसे कह, कि जब तुम इन सत्तर वर्षोंके बीच पांचवें और सातवें महीनोंमें उपवास और विलाप करते थे, तब क्या तुम सचमुच मेरे ही लिथे उपवास करते थे? 6. और जब तुम खाते-पीते हो, तो क्या तुम अपके ही लिथे नहीं खाते, और क्या तुम अपके ही लिथे नहीं पीते हो? 7. क्या यह वही वचन नहीं है, जो यहोवा अगले भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा उस समय पुकारकर कहता रहा जब यरूशलेम अपके चारोंओर के नगरोंसमेत चैन से बसा हुआ या, और दक्खिन देश और नीचे का देश भी बसा हुआ या? 8. फिर यहोवा का यह वचन जकर्याह के पास पहुंचा, सेनाओं के यहोवा ने योंकहा है, 9. खराई से न्याय चुकाना, और एक दूसरे के साय कृपा और दया से काम करना, 10. न तो विधवा पर अन्धेर करता, न अनायोंपर, न परदेशी पर, और न दीन जन पर; और न अपके अपके मन में एक दूसरे की हानि की कल्पना करना। 11. परन्तु उन्होंने चित्त लगाना न चाहा, और हठ किया, और अपके कानोंको मूंद लिया ताकि सुन न सकें। 12. वरन उन्होंने अपके ह्रृदय को इसलिथे बज्र सा बना लिया, कि वे उस व्यवस्या और उस वचनोंको न मान सकें जिन्हें सेनाओं के यहोवा ने अपके आत्मा के द्वारा अगले भविष्यद्वक्ताओं से कहला भेजा या। इस कारण सेनाओं के यहोवा की ओर से उन पर बड़ा क्रोध भड़का। 13. और सेनाओं के यहोवा का यह वचन हुआ, कि जैसे मेरे पुकारने पर उन्होंने नहीं सुना, वैसे ही उसके पुकारने पर मैं भी न सुनूंगा; 14. वरन मैं उन्हें उन सब जातियोंके बीच जिन्हें वे नहीं जानते, आंधी के द्वारा तितर-बितर कर दूंगा, और उनका देश उनके पीछे ऐसा उजाड़ पड़ा रहेगा कि उस में किसी का आना जाना न होगा; इसी प्राकर से उन्होंने मनोहर देश को उजाड़ कर दिया।।
Chapter 8
1. फिर सेनाओं के यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा, 2. सेनाओं का यहोवा योंकहता है: सिय्योन के लिथे मुझे बड़ी जलन हुई वरन बहुत ही जलजलाहट मुझ में उत्पन्न हुई है। 3. यहोवा योंकहता है, मैं सिय्योन में लौट आया हूं, और यरूशेलम के बीच में वास किए रहूंगा, और यरूशलेम की सच्चाई का नगर कहलाएगा, और सेनाओं के यहोवा का पर्वत, पवित्र पर्वत कहलाएगा। 4. सेनाओं का यहोवा योंकहता है, यरूशलेम के चौकोंमें फिर बूढ़े और बूढिय़ां बहुत आयु की होने के कारण, अपके अपके हाथ में लाठी लिए हुए बैठा करेंगी। 5. और नगर में चौक खेलनेवाले लड़कोंऔर लड़कियोंसे भरे रहेंगे। 6. सेनाओं का याहोवा योंकहता है, चाहे उन दिनोंमें यह बात इन बचे हुओं की दृष्टि में अनोखी ठहरे, परन्तु क्या मेरी दृष्टि में भी यह अनोखी ठहरेगी, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है? 7. सेनाओं का यहोवा योंकहता है, देखो, मैं अपक्की प्रजा का उद्धार करके उसे पूरब से और पच्छिम से ले आऊंगा; 8. और मैं उन्हें ले आकर यरूशलेम के बीच में बसाऊंगा; और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे और मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा, यह तो सच्चाई और धर्म के साय होगा।। 9. सेनाओं का यहोवा योंकहता है, तुम इन दिनोंमें थे वचन उन भविष्यद्वक्ताओं के मुख से सुनते हो जो सेनाओं के यहोवा के भवन की नेव डालने के समय अर्यात् मन्दिर के बनने के समय में थे। 10. उन दिनोंके पहिले, न तो मनुष्य की मजदूरी मिलती यी और न पशु का भाड़ा, वरन सतानेवालोंके कारण न तो आनेवाले को चैन मिलता या और न जानेवाले को; क्योंकि मैं सब मनुष्योंसे एक दूसरे पर चढ़ाई कराता या। 11. परन्तु अब मैं इस प्रजा के बचे हुओं से ऐसा बर्ताव न करूंगा जैसा कि अगले दिनोंमें करता या, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है। 12. क्योंकि अब शान्ति के समय की उपज अर्यात् दाखलता फला करेंगी, पृय्वी अपक्की उपज उपजाया करेगी, और आकाश से ओस गिरा करेगी; क्योंकि मैं अपक्की इस प्रजा के बचे हुओं को इन सब का अधिक्कारनेी कर दूंगा। 13. और हे यहूदा के घराने, और इस्राएल के घराने, जिस प्रकार तुम अन्यजातियोंके बीच शाप के कारण थे उसी प्रकार मैं तुम्हारा उद्धार करूंगा, और तुम आशीष के कारण होगे। इसलिथे तुम मत डरो, और न तुम्हारे हाथ ढीले पड़ने पाएं।। 14. क्योंकि सेनाओं का यहोवा योंकहता है, जिस प्रकार जब तुम्हारे पुरखा मुझे रिस दिलाते थे, तब मैं ने उनकी हानि करने के लिथे ठान लिया या और फिर न पछताया, 15. उसी प्रकार मैं ने इन दिनोंमें यरूशलेम की और यहूदा के घराने की भलाई करने को ठाना है; इसलिथे तुम मत डरो। 16. जो जो काम तुम्हें करना चाहिथे, वे थे हैं: एक दूसरे के साय सत्य बोला करना, अपक्की कचहरियोंमें सच्चाई का और मेलमिलाप की नीति का न्याय करना, 17. और अपके अपके मन में एक दूसरे की हानि की कल्पना न करना, और फूठी शपय से प्रीति न रखना, क्योंकि इन सब कामोंसे मैं धृणा करता हूं, यहोवा की यही वाणी है।। 18. फिर सेनाओं के यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा, 19. सेनाओं का यहोवा योंकहता है: चौथे, पांचवें, सातवें और दसवें महीने में जो जो उपवास के दिन होते हैं, वे यहूदा के घराने के लिथे हर्ष और आनन्द और उत्सव के पर्वोंके दिन हो जाएगें; इसलिथे अब तुम सच्चाई और मेलमिलाप से प्रीति रखो।। 20. सेनाओं का यहोवा योंकहता है, ऐसा समय आनेवाला है कि देश देश के लोग और बहुत नगरोंके रहनेवाले आएंगे। 21. और एक नगर के रहनेवाले दूसरे नगर के रहनेवालोंके पास जाकर कहेंगे, यहोवा से बिनती करने और सेनाओं के यहोवा को ढूंढ़ने के लिथे चलो; मैं भी चलूंगा। 22. बहुत से देशोंके वरन सामर्यी जातियोंके लोग यरूशलेम में सेनाओं के यहोवा को ढूंढ़ने और यहोवा से बिनती करने के लिथे आएंगे। 23. सेनाओं का यहोवा योंकहता है: उस दिनोंमें भांति भांति की भाषा बोलनेवाली सब जातियोंमें से दस मनुष्य, एक यहूदी पुरूष के वस्त्र की छोर को यह कहकर पकड़ लेंगे, कि, हम तुम्हारे संग चलेंगे, क्योंकि हम ने सुना है कि परमेश्वर तुम्हारे साय है।।
Chapter 9
1. हद्राक देश के विषय में यहोवा का कहा हुआ भारी वचन जो दमिश्क पर भी पकेगा। क्योंकि यहोवा की दृष्टि मनुष्य जाति की, और इस्राएल के सब गोत्रोंकी ओर लगी है; 2. हमात की ओर जो दमिश्क के निकट है, और सोर और सीदोन की ओर, थे तो बहुत ही बुद्धिमान् हैं। 3. सोर ने अपके लिथे एक गढ़ बनाया, और धूलि के किनकोंकी नाईं चान्दी, और सड़कोंकी कीच के समान चोखा सोना बटोर रखा है। 4. देखो, परमेश्वर उसको औरोंके अधिक्कारने में कर देगा, और उसके घमण्ड को तोड़कर समुद्र में डाल देगा; और वह नगर आग का कौर हो जाएगा।। 5. यह देखकर अशकलोन डरेगा; अज्जा को दुख होगा, और एक्रोन भी डरेगा, क्योंकि उसकी आशा टूटेगी; और अज्जा में फिर राजा न रहेगा और अश्कलोन फिर बसी न रहेगी। 6. और अश्दोद में अनजाने लोग बसेंगे; इसी प्रकार मैं पलिश्तियोंके गर्व को तोडूंगा। 7. मैं उसके मुंह में से आहेर का लोहू और घिनौनी वस्तुएं निकाल दूंगा, तब उन में से जो बचा रहेगा, वह हमारे परमेश्वर का जन होगा, और यहूदा में अधिपति सा होगा; और एक्रोन के लोग यबूसियोंके समान बनेंगे। 8. तब मैं उस सेना के कारण जो पास से होकर जाएगी और फिर लौट आएगी, अपके भवन के आस पास छावनी किए रहूंगा, और कोई सतानेवाला फिर उनके पास से होकर न जाएगा, क्योंकि मैं थे बातें अब भी देखता हूं।। 9. हे सिय्योन बहुत ही मगन हो। हे यरूशलेम जयजयकार कर! क्योंकि तेरा राजा तेरे पास आएगा; वह धर्मी और उद्धार पाया हुआ है, वह दीन है, और गदहे पर वरन गदही के बच्चे पर चढ़ा हुआ आएगा। 10. मैं एप्रैम के रय और यरूशलेम के घोड़े नाश करूंगा; और युद्ध के धनुष तोड़ डाले जाएंगे, और वह अन्यजातियोंसे शान्ति की बातें कहेगा; वह समुद्र से समुद्र तक और महानद से पृय्वी के दूर दूर के देशोंतक प्रभुता करेगा।। 11. और तू भी सुन, क्योंकि मेरी वाचा के लोहू के कारण, मैं ने तेरे बन्दियोंको बिना जल के गड़हे में से उबार लिया है। 12. हे आशा धरे हुए बन्दियों! गढ़ की ओर फिरो; मैं आज ही बताता हूं कि मैं तुम को बदले में दूना सुख दूंगा। 13. क्योंकि मैं ने धनुष की नाईं यहूदा को चढ़ाकर उस पर तीर की नाईं एप्रैम को लगाया है। मैं सिय्योन के निवासिक्कों यूनान के निवासियोंके विरूद्ध उभारूंगा, और उन्हें वीर की तलवार सा कर दूंगा। 14. तब यहोवा उनके ऊपर दिखाई देगा, और उसका तीर बिजली की नाईं छूटेगा; और परमेश्वर यहोवा नरसिंगा फूंककर दक्खिन देश की सी आंधी में होके चलेगा। 15. सेनाओं का यहोवा ढाल से उन्हें बचाएगा, और वे अपके शत्रुओं का नाश करेंगे, और उनके गोफन के पत्यरोंपर पांव धरेंगे; और वे पीकर ऐसा कोलाहल करेंगे जैसा लोग दाखमधु पीकर करते हैं; और वे कटोरे की नाईं वा वेदी के कोने की नाईं भरे जाएगें ।। 16. उस समय उनका परमेश्वर यहोवा उनको अपक्की प्रजारूपी भेड़-बकरियां जानकर उनका उद्धार करेगा; और वे मुकुटमणि ठहरके, उसकी भूमि से बहुत ऊंचे पर चमकते रहेंगे। 17. उसका क्या ही कुशल, और क्या ही शोभा उसकी होगी! उसके जवान लोग अन्न खाकर, और कुमारियां नया दाखमधु पीकर ह्रृष्टपुष्ट हो जाएंगी।।
Chapter 10
1. बरसात के अन्त में यहोवा से वर्षा मांगो, यहोवा से जो बिजली चमकाता है, और वह उनको वर्षा देगा और हर एक के खेत में हरियाली उपजाएगा। 2. क्योंकि गृहदेवता अनर्य बात कहते और भावी कहनेवाले फूठा दर्शन देखते और फूठे स्वपन सुनाते, और व्यर्य शान्ति देते हैं। इस कारण लोग भेड़-बकरियोंकी नाईं भटक गए; और चरवाहे न होने के कारण दुर्दशा में पके हैं।। 3. मेरा क्रोध चरवाहोंपर भड़का है, और मैं उन बकरोंको दण्ड दूंगा; क्योंकि सेनाओं का यहोवा अपके फुण्ड अर्यात् यहूदा के घराने का हाल देखने का आएगा, और लड़ाई में उनको अपना ह्रृष्टपुष्ट घोड़ा सा बनाएगा। 4. उसी में से कोने का पत्यर, उसी में से खूंटी, उसी में से युद्ध का धनुष, उसी में से सब प्रधान प्रगट होंगे। 5. और वे ऐसे वीरोंके समान होंगे जो लड़ाई में अपके बैरियोंको सड़कोंके कीच की नाईं रौंदते हों; वे लड़ेंगे, क्योंकि यहोवा उनके संग रहेगा, इस कारण वे वीरता से लड़ेंगे और सवारोंकी आशा टूटेगी।। 6. मैं यहूदा के घराने को पराक्रमी करूंगा, और यूसुफ के घराने का उद्धार करूंगा। और मुझे उन पर दया आई है, इस कारण मैं उन्हें लौटा लाकर उन्हीं के देश में बसाऊंगा, और वे ऐसे होंगे, मानोंमैं ने उनको मन से नहीं उतारा; मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूं, इसलिथे उनकी सुन लूंगा। 7. एप्रैमी लोग वीर के समान होंगे, और उनका मन ऐसा आनन्दित होगा जैसे दाखमधु से होता है। यह देखकर उनके लड़केबालें आनन्द करेंगे और उनका मन यहोवा के कारण मगन होगा।। 8. मैं सींटी बजाकर उनको इकट्ठा करूंगा, क्योंकि मैं उनका छुड़ानेवाला हूं, और वे ऐसे बढ़ेंगे जैसे पहले बढ़े थे। 9. यद्यपि मैं उन्हें जाति-जाति के लोगोंके बीच छितराऊंगा तौभी वे दूर दूर देशोंमें मुझे स्मरण करेंगे, और अपके बालकोंसमेत जीवित लौट आएंगे। 10. मैं उनहें मिस्र देश से लौटा लाऊंगा, और अश्शूर से इकट्ठा करूंगा, और गिलाद और लबानोन के देशोंमें ले आकर इतना बढ़ाऊंगा कि वहां उनकी समाई न होगी। 11. वह उस कष्टदाई समुद्र में से होकर उसकी लहरें दबाता हुआ जाएगा और नील नदी का सब गहिरा जल सूख जाएगा। और अश्शूर का घमण्ड तोड़ा जाएगा और मिस्र का राजदण्ड जाता रहेगा। 12. मैं उन्हें यहोवा द्वारा पराक्रमी करूंगा, और वे उसके नाम से चलें फिरेंगे, यहोवा की यही वाणी है।।
Chapter 11
1. हे लबानोन, आग को रास्ता दे कि वह आकर तेरे देवदारोंको भस्म करे! 2. हे सनौबरों, हाथ, हाथ, करो! क्योंकि देवदार गिर गया है और बड़े से बड़े वृझ नाश हो गए हैं! हे बाशा के बांज वृझों, हाथ, हाथ, करो! क्योंकि अगम्य वन काटा गया है! 3. चरवाहोंके हाहाकार का शब्द हो रहा है, क्योंकि उनका विभव नाश हो गया है! जवान सिंहोंका गरजना सुनाई देता है, क्योंकि यरदन के तीर का घना वन नाश किया गया है! 4. मेरे परमेश्वर यहोवा ने यह आज्ञा दी: घात हानेवाली भेड़-बकरियोंका चरवाहा हो जा। 5. उनके मोल लेनेवाले उन्हें घात करने पर भी अपके को दोषी नहीं जानते, और उनके बेचनेवाले कहते हैं, यहोवा धन्य है, हम धनी हो गए हैं; और उनके चरवाहे उन पर कुछ दया नहीं करते। 6. यहोवा की यह वाणी है, मैं इस देश के रहनेवालोंपर फिर दया न करूंगा। देखो, मैं मनुष्योंको एक दूसरे के हाथ में, और उनके राजा के हाथ में पकड़वा दूंगा; और वे इस देश को नाश करेंगे, और मैं उसके रहनेवालोंको उनके वश से न छुड़ाऊंगा।। 7. सो मैं घात होनेवाली भेड़-बकरियोंको और विशेष करके उन में से जो दीन यीं उनको चराने लगा। और मैं ने दो लाठियां लीं; एक का नाम मैं ने अनुग्रह रखा, और दूसरी का नाम एकता। इनको लिथे हुए मैं उन भेड़-बकरियोंको चराने लगा। 8. और मैं ने उनके तीनोंचरवाहोंको एक महीने में नाश कर दिया, परन्तु मैं उनके कारण अधीर या, और वे मुझे से घृणा करती यीं। 9. तब मैं ने उन से कहा, मैं तुम को न चराऊंगा। तुम में से जो मरे वह मरे, और जो नाश हो वह नाश हो, और जो बची रहें वे एक दूसरे का मांस खाएं। 10. और मैं ने अपक्की वह लाठी तोड़ डाली, जिसका नाम अनुग्रह या, कि जो वाचा मैं ने सब अन्यजातियोंके साय बान्धी यी उसे तोडूं। 11. वह उसी दिन तोड़ी गई, और इस से दीन भेड़-बकरियां जो मुझे ताकती यीं, उन्होंने जान लिया कि यह यहोवा का वचन है। 12. तब मैं ने उन से कहा, यदि तुम को अच्छा लगे तो मेरी मजदूरी दो, और नहीं तो मत दो। तब उन्होंने मेरी मजदूरी में चान्दी के तीस टुकड़े तौल दिए। 13. तब यहोवा ने मुझ से कहा, इन्हें कुम्हार के आगे फेंक दे, यह क्या ही भारी दाम है जो उन्होंने मेरा ठहराया है? तब मैं ने चान्दी के उन तीस टुकड़ोंको लेकर यहोवा के घर में कुम्हार के आगे फेंक दिया। 14. तब मैं ने अपक्की दूसरी लाठी जिस का नाम एकता या, इसलिथे तोड़ डाली कि मैं उस भाईचारे के नाते को तोड़ डालूं जो यहूदा और इस्राएल के बीच में है।। 15. तब यहोवा ने मुझ से कहा, अब तू मूढ़ चरवाहे के हयियार ले ले। 16. क्योंकि मैं इस देश में एक ऐसा चरवाहा ठहराऊंगा, जो खोई हुई को न ढूंढेगा, न तितर-बितर को इकट्ठी करेंगा, न घायलोंको चंगा करेगा, न जो भली चंगी हैं उनका पालन-पोषण करेगा, वरन मोटियोंका मांस खाएगा और उनके खुरोंको फाड़ डालेगा। 17. हाथ उस निकम्मे चरवाहे पर जो भेड़-बकरियोंको छोड़ जाता है! उसकी बांह, और दहिनी आंख दोनोंपर तलवार लगेगी, तब उसकी बांह सूख जाएगी और उसकी दहिनी आंख फूट जाएगी।।
Chapter 12
1. इस्राएल के विषय में यहोवा का कहा हुआ भारी वचन: यहोवा को आकाश का ताननेवाला, पृय्वी की नेव डालनेवाला और मनुष्य की आत्मा का रचनेवाला है, उसकी यह वाणी है, 2. देखो, मैं यरूशलेम को चारोंओर की सब जातियोंके लिथे लड़खड़ा देने के मद का कटोरा ठहरा दूंगा; और जब यरूशलेम घेर लिया जाएगा तब यहूदा की दशा भी ऐसी ही होगी। 3. और उस समय पृय्वी की सारी जातियां यरूशलेम के विरूद्ध इकट्ठी होंगी, तब मैं उसको इतना भारी पत्यर बनाऊंगा, कि जो उसको उठाएंगे वे बहुत ही घायल होंगे। 4. यहोवा की यह वाणी है, उस समय मैं हर एक घोड़े का घबरा दूंगा, और उसके सवार को धायल करूंगा। परन्तु मैं यहूदा के घराने पर कृपादृष्टि रखूंगा, जब मैं अन्यजातियोंके सब घोड़ोंको अन्धा कर डालूंगा। 5. तब यहूदा के अधिपति सोचेंगे कि यरूशलेम के निवासी अपके परमेश्वर, सेनाओं के यहोवा की सहाथता से मेरे सहाथक बनेंगे।। 6. उस समय मैं यहूदा के अधिपतियोंको ऐसा कर दूंगा, जैसी लकड़ी के ढेर में आग भरी अंगेठी वा पूले में जलती हुई मशाल होती है, अर्यात् वे दहिने बांए चारोंओर के सब लोगोंको भस्म कर डालेंगे; और यरूशलेम जहां अब बसी है, वहीं बसी रहेगी, यरूशलेम में।। 7. और हे यहोवा पहिले यहूदा के तम्बुओं का उद्धार करेगा, कहीं ऐसा न हो कि दाऊद का घराना और यरूशलेम के निवासी अपके अपके विभव के कारण यहूदा के विरूद्ध बढ़ाई मारें। 8. उस समय यहोवा यरूशलेम के निवासिक्कों मानो ढाल से बचा लेगा, और उस सकय उन में से जो ठोकर खानेवाला हो वह दाऊद के समान होगा; और दाऊद का घराना परमेश्वर के समान होगा, अर्यात् यहोवा के उस दूत के समान जो उनके आगे आगे चलता या। 9. और उस समय मैं उन सब जातियोंको नाश करने का यत्न करूंगा जो यरूशलेम पर चढ़ाई करेंगी।। 10. और मैं दाऊद के घराने और यरूशलेम के निवासियोंपर अपना अनुग्रह करनेवाली और प्रार्यना सिखानेवाली आत्मा उण्डेलूंगा, तब वे मुझे ताकेंगे अर्यात् जिसे उन्होंने बेधा है, और उसके लिथे ऐसे रोएंगे जैसे एकलौते पुत्र के लिथे रोते-पीटते हैं, और ऐसा भारी शोक करेंगे, जैसा पहिलौठे के लिथे करते हैं। 11. उस समय यरूशलेम में इतना रोना-पीटना होगा जैसा मगिद्दोन की तराई में हदद्रिम्मोन में हुआ या। 12. सारे देश में विलाप होगा, हर एक परिवार में अलग अलग; अर्यात् दाऊद के घराने का परिवार अलग, और उनकी स्त्रियां अलग; नातान के घराने का परिवार अलग, और उनकी स्त्रियां अलग; 13. लेवी के घराने का परिवार अलग और उनकी स्त्रियां अलग; शिमियोंका परिवार अलग; और उनकी स्त्रियां अलग; 14. और जितने परिवार रह गए होंहर एक परिवार अलग और उनकी स्त्रियां भी अलग अलग;
Chapter 13
1. उसी समय दाऊद के घराने और यरूशलेम के निवासियोंके लिथे पाप और मलिनता धोने के निमित्त एक बहता हुआ सोता होगा।। 2. और सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, कि उस समय मैं इस देश मे से मूर्तो के नाम मिटा डालूंगा, और वे फिर स्मरण में न रहेंगी; और मैं भविष्यद्वक्ताओं और अशुद्ध आत्मा को इस देश में से निकाल दूंगा। 3. और यदि कोई फिर भविष्यद्वााणी करे, तो उसके माता-पिता, जिन से वह उत्पन्न हुआ, उस से कहेंगे, तू जीवित न बचेगा, क्योंकि तू ने यहोवा के नाम से फूठ कहा है; सो जब वह भविष्यद्वाणी करे, तब उसके माता-पिता जिन से वह उत्पन्न हुआ उसको बेध डालेंगे। 4. उस समय हर एक भविष्यद्वक्ता भविष्यवाणी करते हुए अपके अपके दर्शन से लज्जित होंगे, और धोखा देने के लिथे कम्बल का वस्त्र न पहिनेंगे, 5. वरन्तु वह कहेगा, मैं भविष्यद्वक्ता नहीं, किसान हूं; क्योंकि लड़कपन ही से मैं औरोंका दास हूं। 6. तब उस से यह पूछा जाएगा, तेरी छाती पर थे घाव कैसे हुए, तब वह कहेगा, थे वे ही हैं जो मेरे प्रेमियोंके घर में मुझे लगे हैं।। 7. सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, हे तलवार, मेरे ठहराए हुए चरवाहे के विरूद्ध अर्यात् जो पुरूष मेरा स्वजाति है, उसके विरूद्ध चल। तू उस चरवाहे को काट, तब भेड़-बकरियां तितर-बितर हो जाएंगी; और बच्चोंपर मैं अपके हाथ बढ़ाऊंगा। 8. यहोवा की यह भी वाणी है, कि इस देश के सारे निवासियोंकी दो तिहाई मार डाली जाएगाी और बची हुई तिहाई उस में बनी रहेगी। 9. उस तिहाई को मैं आग में डालकर ऐसा निर्मल करूंगा, जैसा रूपा निर्मल किया जाता है, और ऐसा जाचूंगा जैसा सोना जांचा जाता है। वे मुझ से प्रार्यना किया करेंगे, और मैं उनकी सुनूंगा। मैं उनके विषय में कहूंगा, थे मेरी प्रजा हैं, और वे मेरे विषय में कहेंगे, यहोवा हमारा परमेश्वर है।।
Chapter 14
1. सुनो, यहोवा का एक ऐसा दिन आनेवाल है जिस में तेरा धन लूटकर तेरे बीच में बांट लिया जाएगा। 2. क्योंकि मैं सब जातियोंको यरूशलेम से लड़ने के लिथे इकट्ठा करूंगा, और वह नगर ले लिया नगर। और घर लूटे जाएंगे और स्त्रियां भ्रष्ट की जाएंगी; नगर के आधे लोग बंधुवाई में जाएंगे, परन्तु प्रजा के शेष लोग नगर ही में रहने पाएंगे। 3. तब यहोवा निकलकर उन जातियोंसे ऐसा लड़ेगा जैसा वह संग्राम के दिन में लड़ा या। 4. और उस समय वह जलपाई के पर्वत पर पांव धरेगा, जो पूरब ओर यरूशलेम के साम्हने है; तब जलपाई का पर्वत पूरब से लेकर पच्छिम तक बीचोबीच से फटकर बहुत बड़ा खड्ड हो जाएगा; तब आधा पर्वत उत्तर की ओर और आधा दक्खिन की ओर हट जाएगा। 5. तब तुम मेरे बनाए हुए उस खड्ड आसेल तक पहुंचेगा, वरन तुम ऐसे भागोगे जैसे उस भुईडौल के डर से भागे थे जो यहूदा के राजा उज्जियाह के दिनोंमें हुआ या। तब मेरा परमेश्वर यहोवा आएगा, और सब पवित्र लोग उसके साय होंगे।। 6. उस समय कुछ उजियाला न रहेगा, क्योंकि ज्योतिगण सिमट जाएंगे। 7. और लगातार एक ही दिन होगा जिसे यहोवा ही जानता है, न तो दिन होगा, और न रात होगी, परन्तु सांफ के समय उजियाला होगा।। 8. उस समय यरूशलेम से बहता हुआ जल फूट निकलेगा उसकी एक शाखा पूरब के ताल और दूसरी पच्छिम के समुद्र की ओर बहेगी, और धूप के दिनोंमें और जाड़े के दिनोंमें भी बराबर बहती रहेंगी।। 9. तब यहोवा सारी पृय्वी का राजा होगा; और उस समय एक ही यहोवा और उसका नाम भी एक ही माना जाएगा।। 10. गेबा से लेकर यरूशलेम की दक्खिन ओर के रिम्मोन तक सब भूमि अराबा के समान हो जाएगी। परन्तु वह ऊंची होकर बिन्यामीन के फाटक से लेकर पहिले फाटक के स्यान तक, और कोनेवाले फाटक तक, और हननेल के गुम्मट से लेकर राजा के दाखरसकुण्ड़ोंतक अपके स्यान में बसेगी। 11. और लोग उस में बसेंगे क्योंकि फिर सत्यानाश का शाप न होगा; और यरूशलेम बेखटके बसी रहेगी। 12. और जितनी जातियोंने यरूशलेम से युद्ध किया है उन सभोंको यहोवा ऐसी मार से मारेगा, कि खड़े खड़े उनका मांस सड़ जाएगा, और उनकी आंखें अपके गोलकोंमें सड़ जाएंगीं, और उनकी जीभ उनके मुंह में सड़ जाएगी। 13. और उस समय यहोवा की ओर से उन में बड़ी घबराहट पैठेगी, और वे एक दूसरे पर अपके अपके हाथ उठाएंगे। 14. यहूदा भी यरूशलेम में लड़ेगा, और सोना, चान्दी, वस्त्र आदि चारोंओर की सब जातियोंकी धन सम्पत्ति उस में बटोरी जाएगी। 15. और घोड़े, खच्चर, ऊंट और गदहे वरन जितने पशु उनकी छावनियोंमें होंगे वे भी ऐसी ही बीमारी से मारे जाएंगे।। 16. तब जिने लोग यरूशलेम पर चढ़नेवाली सब जातियोंमें से बचे रहेंगे, वे प्रति वर्ष राजा को अर्यात् सेनाओं के यहोवा को दण्डवत् करने, और फोपडिय़ोंका पर्व मानने के लिथे यरूशलेम को जाया करेंगे। 17. और पृय्वी के कुलोंमें से जो लोग यरूशलेम में राजा, अर्यात् सेनाओं के यहोवा को दण्डवत करने के लिथे न जाएंगे, उनके यहां वर्षा न होगी। 18. और यदि मिस्र का कुल वहां न आए, तो क्या उन पर वह मरी न पकेगी जिस से यहोवा उन जातियोंको मारेगा जो फोपडिय़ोंका पर्व मानने के लिथे न जाएंगे? 19. यह मिस्र का और उन सब जातियोंका पाप ठहरेगा, जो फोपडिय़ोंका पर्व मानने के लिथे न जाएंगे। 20. उस समय घोड़ोंकी घंटियोंपर भी यह लिखा रहेगा, यहोवा के लिथे पवित्र। और यहोवा के भवन कि हंडिय़ां उन कटोरोंके तुल्य पवित्र ठहरेंगी, जो वेदी के साम्हने रहते हैं। 21. वरन यरूशलेम में और यहूदा देश में सब हंडिय़ां सेनाओं के यहोवा के लिथे पवित्र ठहरेंगी, और सब मेलबलि करनेवाले आ आकर उन हंडियोंमें मांस सिफाया करेंगे। और सब सेनाओं के यहोवा के भवन में फिर कोई व्योपारी न पाया जाएगा।।
(April28th2012)
|