यहोशू
Chapter 1
1. यहोवा के दास मूसा की मृत्यु के बाद यहोवा ने उसके सेवक यहोशू से जो नून का पुत्र या कहा, 2. मेरा दास मूसा मर गया है; सो अब तू उठ, कमर बान्ध, और इस सारी प्रजा समेत यरदन पार होकर उस देश को जा जिसे मैं उनको अर्यात् इस्राएलियोंको देता हूं। 3. उस वचन के अनुसार जो मैं ने मूसा से कहा, अर्यात् जिस जिस स्यान पर तुम पांव धरोगे वह सब मैं तुम्हे दे देता हूं। 4. जंगल और उस लबानोन से लेकर परात महानद तक, और सूर्यास्त की ओर महासमुद्र तक हित्तियोंका सारा देश तुम्हारा भाग ठहरेगा। 5. तेरे जीवन भर कोई तेरे साम्हने ठहर न सकेगा; जैसे मैं मूसा के संग रहा वैसे ही तेरे संग भी रहूंगा; और न तो मैं तुझे धोखा दूंगा, और न तुझ को छोडूंगा। 6. इसलिथे हियाव बान्धकर दृढ़ हो जा; क्योंकि जिस देश के देने की शपय मैं ने इन लोगोंके पूर्वजोंसे खाई यी उसका अधिक्कारनेी तू इन्हें करेगा। 7. इतना हो कि तू हियाव बान्धकर और बहुत दृढ़ होकर जो व्यवस्या मेरे दास मूसा ने तुझे दी है उन सब के अनुसार करने में चौकसी करना; और उस से न तो दहिने मुड़ना और न बांए, तब जहां जहां तू जाएगा वहां वहां तेरा काम सुफल होगा। 8. व्यवस्या की यह पुस्तक तेरे चित्त से कभी न उतरने पाए, इसी में दिन रात ध्यान दिए रहना, इसलिथे कि जो कुछ उस में लिखा है उसके अनुसार करने की तू चौकसी करे; क्योंकि ऐसा ही करने से तेरे सब काम सुफल होंगे, और तू प्रभावशाली होगा। 9. क्या मैं ने तुझे आज्ञा नहीं दी? हियाव बान्धकर दृढ़ हो जा; भय न खा, और तेरा मन कच्चा न हो; क्योंकि जहां जहां तू जाएगा वहां वहां तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे संग रहेगा।। 10. तब यहोशू ने प्रजा के सरदारोंको यह आज्ञा दी, 11. कि छावनी में इधर उधर जाकर प्रजा के लोगोंको यह आज्ञा दो, कि अपके अपके लिथे भोजन तैयार कर रखो; क्योंकि तीन दिन के भीतर तुम को इस यरदन के पार उतरकर उस देश को अपके अधिक्कारने में लेने के लिथे जाना है जिसे तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे अधिक्कारने में देनेवाला है।। 12. फिर यहोशू ने रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्र के लोगोंसे कहा, 13. जो बात यहोवा के दास मूसा ने तुम से कही यीं, कि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हें विश्रम देता है, और यही देश तुम्हें देगा, उसकी सुधि करो। 14. तुम्हारी स्त्रियां, बालबच्चे, और पशु तो इस देश में रहें जो मूसा ने तुम्हें यरदन के इसी पार दिया, परन्तु तुम जो शूरवीर हो पांति बान्धे हुए अपके भांइयोंके आगे आगे पार उतर चलो, और उनकी सहाथता करो; 15. और जब यहोवा उनको ऐसा विश्रम देगा जैसा वह तुम्हें दे चुका है, और वे भी तुम्हारे परमश्ेवर यहोवा के दिए हुए देश के अधिक्कारनेी हो जाएंगे; तब तुम अपके अधिक्कारने के देश में, जो यहोवा के दास मूसा ने यरदन के इस पार सूर्योदय की ओर तुम्हें दिया है, लौटकर इसके अधिक्कारनेी होगे। 16. तब उन्होंने यहोशू को उत्तर दिया, कि जो कुछ तू ने हमें करने की आज्ञा दी है वह हम करेंगे, और जहां कहीं तू हमें भेजे वहां हम जाएंगे। 17. जैसे हम सब बातोंमें मूसा की मानते थे वैसे ही तेरी भी माना करेंगे; इतना हो कि तेरा परमेश्वर यहोवा जैसा मूसा के संग रहता या वैसे ही तेरे संग भी रहे। 18. कोई क्योंन हो जो तेरे विरूद्ध बलवा करे, और जितनी आज्ञाएं तू दे उनको न माने, तो वह मार डाला जाएगा। परन्तु तू दृढ़ और हियाव बान्धे रह।।
Chapter 2
1. तब नून के पुत्र यहोशू ने दो भेदियोंको शित्तीम से चुपके से भेज दिया, और उन से कहा, जाकर उस देश और यरीहो को देखो। तुरन्त वे चल दिए, और राहाब नाम किसी वेश्या के घर में जाकर सो गए। 2. तब किसी ने यरीहो के राजा से कहा, कि आज की रात कई एक इस्राएली हमारे देश का भेद लेने को यहां आए हुए हैं। 3. तब यरीहो के राजा ने राहाब के पास योंकहला भेजा, कि जो पुरूष तेरे यहां आए हैं उन्हें बाहर ले आ; क्योंकि वे सारे देश का भेद लेने को आए हैं। 4. उस स्त्री ने दोनोंपुरूषोंको छिपा रखा; और इस प्रकार कहा, कि मेरे पास कई पुरूष आए तो थे, परन्तु मैं नहीं जानती कि वे कहां के थे; 5. और जब अन्धेरा हुआ, और फाटक बन्द होने लगा, तब वे निकल गए; मुझे मालूम नहीं कि वे कहां गए; तुम फुर्ती करके उनका पीछा करो तो उन्हें जा पकड़ोगे। 6. उस ने उनको घर की छत पर चढ़ाकर सनई की लकडिय़ोंके नीचे छिपा दिया या जो उस ने छत पर सजा कर रखी यी। 7. वे पुरूष तो यरदन का मार्ग ले उनकी खोज में घाट तक चले गए; और ज्योंही उनको खोजनेवाले फाटक से निकले त्योंही फाटक बन्द किया गया। 8. और थे लेटने न पाए थे कि वह स्त्री छत पर इनके पास जाकर 9. इन पुरूषोंसे कहने लगी, मुझे तो निश्चय है कि यहोवा ने तुम लोगोंको यह देश दिया है, और तुम्हारा भय हम लोगोंके मन में समाया है, और इस देश के सब निवासी तुम्हारे कारण घबरा रहे हैं। 10. क्योंकि हम ने सुना है कि यहोवा ने तुम्हारे मिस्र से निकलने के समय तुम्हारे साम्हने लाल समुद्र का जल सुखा दिया। और तुम लोगोंने सीहोन और ओग नाम यरदन पार रहनेवाले एमोरियोंके दोनोंराजाओं को सत्यानाश कर डाला है। 11. और यह सुनते ही हमारा मन पिघल गया, और तुम्हारे कारण किसी के जी में जी न रहा; क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा ऊपर के आकाश का और नीचे की पृय्वी का परमेश्वर है। 12. अब मैं ने जो तुम पर दया की है, इसलिथे मुझ से यहोवा की शपय खाओ कि तुम भी मेरे पिता के घराने पर दया करोगे, और इसकी सच्ची चिन्हानी मुझे दो, 13. कि तुम मेरे माता-पिता, भाइयोंऔर बहिनोंको, और जो कुछ उनका है उन सभोंको भी जीवित रख छोड़ो, और हम सभोंका प्राण मरने से बचाओगे। 14. तब उन पुरूषोंने उस से कहा, यदि तू हमारी यह बात किसी पर प्रगट न करे, तो तुम्हारे प्राण के बदले हमारा प्राण जाए; और जब यहोवा हम को यह देश देगा, तब हम तेरे साय कृपा और सच्चाई से बर्ताव करेंगे। 15. तब राहाब जिसका घर शहरपनाह पर बना या, और वह वहीं रहती यीं, उस ने उनको खिड़की से रस्सी के बल उतारके नगर के बाहर कर दिया। 16. और उस ने उन से कहा, पहाड़ को चले जाओ, ऐसा न हो कि खोजनेवाले तुम को पाएं; इसलिथे जब तक तुम्हारे खोजनेवाले लौट न आएं तब तक, अर्यात् तीन दिन वहीं छिपे रहता, उसके बाद अपना मार्ग लेना। 17. उन्होंने उस से कहा, जो शपय तू ने हम को खिलाई है उसके विषय में हम तो निर्दोष रहेंगे। 18. तुम, जब हम लोग इस देश में आएंगे, तब जिस खिड़की से तू ने हम को उतारा है उस में यही लाल रंग के सूत की डोरी बान्ध देना; और अपके माता पिता, भाइयों, वरन अपके पिता के घराने को इसी घर में अपके पास इकट्ठा कर रखना। 19. तब जो कोई तेरे घर के द्वार से बाहर निकले, उसके खून का दोष उसी के सिर पकेगा, और हम निर्दोष ठहरेंगे: परन्तु यदि तेरे संग घर में रहते हुए किसी पर किसी का हाथ पके, तो उसके खून का दोष हमारे सिर पर पकेगा। 20. फिर यदि तू हमारी यह बात किसी पर प्रगट करे, तो जो शपय तू ने हम को खिलाई है उस से हम निर्बन्ध ठहरेंगे। 21. उस ने कहा, तुम्हारे वचनोंके अनुसार हो। तब उस ने उनको विदा किया, और वे चले गए; और उस ने लाल रंग की डोरी को खिड़की में बान्ध दिया। 22. और वे जाकर पहाड़ तक पहुंचे, और वहां खोजनेवालोंके लौटने तक, अर्यात् तीन दिन तक रहे; और खोजनेवाले उनको सारे मार्ग में ढूंढ़ते रहे और कहीं न पाया। 23. तब वे दोनोंपुरूष पहाड़ से उतरे, और पार जाकर नून के पुत्र यहोशू के पास पहुंचकर जो कुछ उन पर बीता या उसका वर्णन किया। 24. और उन्होंने यहोशू से कहा, निसन्देह यहोवा ने वह सारा देश हमारे हाथ में कर दिया है; फिर इसके सिवाय उसके सारे निवासी हमारे कारण घबरा रहे हैं।।
Chapter 3
1. बिहान को यहोशू सबेरे उठा, और सब इस्राएलियोंको साय ले शित्तीम से कूच कर यरदन के किनारे आया; और वे पार उतरने से पहिले वहीं टिक गए। 2. और तीन दिन के बाद सरदारोंने छावनी के बीच जाकर 3. प्रजा के लोगोंको यह आज्ञा दी, कि जब तुम को अपके परमेश्वर यहोवा की वाचा का सन्दूक और उसे उठाए हुए लेवीय याजक भी देख पकें, तब अपके स्यान से कूच करके उसके पीछे पीछे चलना, 4. परन्तु उसके और तुम्हारे बीच में दो हजार हाथ के अटकल अन्तर रहे; तुम सन्दूक के निकट न जाना। ताकि तुम देख सको, कि किस मार्ग से तुम को चलना है, क्योंकि अब तक तुम इस मार्ग पर होकर नहीं चले। 5. फिर यहोशू ने प्रजा के लोगोंसे कहा, तुम अपके आप को पवित्र करो; क्योंकि कल के दिन यहोवा तुम्हारे मध्य में आश्चर्यकर्म करेगा। 6. तब यहोशू ने याजकोंसे कहा, वाचा का सन्दूक उठाकर प्रजा के आगे आगे चलो। तब वे वाचा का सन्दूक उठाकर आगे आगे चले। 7. तब यहोवा ने यहोशू से कहा, आज के दिन से मैं सब इस्राएलियोंके सम्मुख तेरी प्रशंसा करना आरम्भ करूंगा, जिस से वे जान लें कि जैसे मैं मूसा के संग रहता या वैसे ही मैं तेरे संग भी हूं। 8. और तू वाचा के सन्दूक के उठानेवाले याजकोंको यह आज्ञा दे, कि जब तुम यरदन के जल के किनारे पहुंचो, तब यरदन में खड़े रहना।। 9. तब यहोशू ने इस्राएलियोंसे कहा, कि पास आकर अपके परमेश्वर यहोवा के वचन सुनो। 10. और यहोशू कहने लगा, कि इस से तुम जान लोगे कि जीवित ईश्वर तुम्हारे मध्य में है, और वह तुम्हारे सामहने से नि:सन्देह कनानियों, हित्तियों, हिव्वियों, परिज्जियों, गिर्गाशियों, एमोरियों, और यबूसिक्कों उनके देश में से निकाल देगा। 11. सुनो, पृय्वी भर के प्रभु की वाचा का सन्दूक तुम्हारे आगे आगे यरदन में जाने पर है। 12. इसलिथे अब इस्राएल के गात्रोंमें से बारह पुरूषोंको चुन लो, वे एक एक गोत्र में से एक पुरूष हो। 13. और जिस समय पृय्वी भर के प्रभु यहोवा की वाचा का सन्दूक उठानेवाले याजकोंके पांव यरदन के जल में पकेंगे, उस समय यरदन का ऊपर से बहता हुआ जल यम जाएगा, और ढेर होकर ठहरा रहेगा। 14. सो जब प्रजा के लोगोंने अपके डेरोंसे यरदन पार जाने को कूच किया, और याजक वाचा का सन्दूक उठाए हुए प्रजा के आगे आगे चले, 15. और सन्दूक के उठानेवाले यरदन पर पहुंचे, और सन्दूक के उठानेवाले याजकोंके पांव यरदन के तीर के जल में डूब गए (यरदन का जल तो कटनी के समय के सब दिन कड़ारोंके ऊपर ऊपर बहा करता है), 16. तब जो जल ऊपर की ओर से बहा आता या वह बहुत दूर, अर्यात् आदाम नगर के पास जो सारतान के निकट है रूककर एक ढेर हो गया, और दीवार सा उठा रहा, और जो जल अराबा का ताल, जो खारा ताल भी कहलाता है, उसकी ओर बहा जाता या, वह पूरी रीति से सूख गया; और प्रजा के लाग यरीहो के साम्हने पार उतर गए। 17. और याजक यहोवा की वाचा का सन्दूक उठाए हुए यरदन के बीचोंबीच पहुंचकर स्यल पर स्यिर खड़े रहे, और सब इस्राएली स्यल ही स्यल पार उतरते रहे, निदान उस सारी जाति के लोग यरदन पार हो गए।।
Chapter 4
1. जब उस सारी जाति के लोग यरदन के पार उतर चुके, तब यहोवा ने यहोशू से कहा, 2. प्रजा में से बारह पुरूष, अर्यात्गोत्र पीछे एक एक पुरूष को चुनकर यह आज्ञा दे, 3. कि तुम यरदन के बीच में, जहां याजकोंने पांव धरे थे वहां से बारह पत्यर उठाकर अपके साय पाल ले चलो, और जहां आज की रात पड़ाव होगा वहीं उनको रख देना। 4. तब यहोशू ने उन बारह पुरूषोंको, जिन्हें उस ने इस्राएलियोंके प्रत्थेक गोत्र में से छांटकर ठहरा रखा या, 5. बुलवाकर कहा, तुम अपके परमेश्वर यहोवा के सन्दूक के आगे यरदन के बीच में जाकर इस्राएलियोंके गोत्रोंकी गिनती के अनुसार एक एक पत्यर उठाकर अपके अपके कन्धे पर रखो, 6. जिस से यह तुम लोगोंके बीच चिन्हानी ठहरे, और आगे को जब तुम्हारे बेटे यह पूछें, कि इन पत्यरोंका क्या मतलब है? 7. तब तुम उन्हें उत्तर दो, कि यरदन का जल यहोवा की वाचा के सन्दूक के साम्हने से दो भाग हो गया या; क्योंकि जब वह यरदन पार आ रहा या, तब यरदन का जल दो भाग हो गया। सो वे पत्यर इस्राएल को सदा के लिथे स्मरण दिलानेवाले ठहरेंगे। 8. यहोशू की इस आज्ञा कें अनुसार इस्रएलियोंने किया, जैसा यहोवा ने यहोशू से कहा या वैसा ही उन्होंने इस्राएलियोंने किया, जैसा यहोवा ने यहोशू से कहा या वैसा ही उन्होंने इस्राएली गोत्रोंकी गिनती के अनुसार बारह पत्यर यरदन के बीच में से उठा लिए; और उनको अपके साय ले जाकर पड़ाव में रख दिया। 9. और यरदन के बीच जहां याजक वाचा के सन्दूक को उठाए हुए अपके पांव धरे थे वहां यहोशू ने बारह पत्यर खड़े कराए; वे आज तक वहीं पाए जाते हैं। 10. और याजक सन्दूक उठाए हुए उस समय तक यरदन के बीच खड़े रहे जब तक वे सब बातें पूरी न हो चुकीं, जिन्हें यहोवा ने यहोशू को लोगोंसे कहने की आज्ञा दी यी। तब सब लोग फुर्ती से पार उतर गए; 11. और जब सब लोग पार उतर चुके, तब याजक और यहोवा का सन्दूक भी उनके देखते पार हुए। 12. और रूबेनी, गादी, और मनश्शे के आधे गोत्र के लोग मूसा के कहने के अनुसार इस्राएलियोंके आगे पांति बान्धे हुए पार गए; 13. अर्यात् कोई चालीस हजार पुरूष युद्ध के हयियार बान्धे हुए संग्राम करने के लिथे यहोवा के साम्हने पार उतरकर यरीहो के पास के अराबा में पहुंचे। 14. उस दिन यहोवा ने सब इस्राएलियोंके साम्हने यहोशू की महिमा बढ़ाई; और जैसे वे मूसा का भय मानते थे वैसे ही यहोशू का भी भय उसके जीवन भर मानते रहे।। 15. और यहोवा ने यहोशू से कहा, 16. कि साझी का सन्दूक उठानेवाले याजकोंको आज्ञा दे कि यरदन में से निकल आएं। 17. तो यहोशू ने याजकोंको आज्ञा दी, कि यरदन में से निकल आओ। 18. और ज्योंही यहोवा की वाचा का सन्दूक उठानेवाले याजक यरदन के बीच में से निकल आए, और उनके पांव स्यल पर पके, त्योंही यरदन का जल अपके स्यान पर आया, और पहिले की नाईं कड़ारो के ऊपर फिर बहने लगा। 19. पहिले महिने के दसवें दिन को प्रजा के लोगोंने यरदन में से निकलकर यरीहो के पूर्वी सिवाने पर गिलगाल में अपके डेरे डाले। 20. और जो बारह पत्यर यरदन में से निकाले गए थे, उनको यहोशू ने गिलगाल में खड़े किए। 21. तब उस ने इस्राएलियोंसे कहा, आगे को जब तुम्हारे लड़केबाले अपके अपके पिता से यह पूछें, कि इन पत्यरोंका क्या मतलब है? 22. तब तुम यह कहकर उनको बताना, कि इस्राएली यरदन के पार स्यल ही स्यल चले आए थे। 23. क्योंकि जैसे तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने लाल समुद्र को हमारे पार हो जाने तक हमारे साम्हने से हटाकर सुखा रखा या, वैसे ही उस ने यरदन का भी जल तुम्हारे पार हो जाने तक तुम्हारे साम्हने से हटाकर सुखा रखा; 24. इसलिथे कि पृय्वी के सब देशोंके लोग जान लें कि यहोवा का हाथ बलवन्त है; और तुम सर्वदा अपके परमेश्वर यहोवा का भय मानते रहो।।
Chapter 5
1. जब यरदन के पच्छिम की ओर रहनेवाले एमोरियोंके सब राजाओं ने, और समुद्र के पास रहनेवाले कनानियोंके सब राजाओं ने यह सुना, कि यहोवा ने इस्राएलियोंके पार होने तक उनके साम्हने से यरदन का जल हटाकर सुखा रखा है, तब इस्राएलियोंके डर के मारे उनका मन घबरा गया, और उनके जी में जी न रहा।। 2. उस समय यहोवा ने यहोशू से कहा, चकमक की छुरियां बनवाकर दूसरी बार इस्राएलियोंका खतना करा दें। 3. तब यहोशू ने चकमक की छुरियां बनवाकर खलडिय़ां नाम टीले पर इस्राएलियोंका खतना कराया। 4. और यहोशू ने जो खतना कराया, इसका कारण यह है, कि जितने युद्ध के योग्य पुरूष मिस्र से निकले थे वे सब मिस्र से निकलने पर जंगल के मार्ग में मर गए थे। 5. जो पुरूष मिस्र से निकले थे उन सब का तो खतना हो चुका या, परन्तु जितने उनके मिस्र से निकलने पर जंगल के मार्ग में उत्पन्न हुए उन में से किसी का खतना न हुआ या। 6. क्योंकि इस्राएली तो चालीस वर्ष तक जंगल में फिरते रहे, जब तक उस सारी जाति के लोग, अर्यात् जितने युद्ध के योग्य लोग मिस्र से निकले थे वे नाश न हो गए, क्योंकि उन्होंने यहोवा की न मानी यी; सो यहोवा ने शपय खाकर उन से कहा या, कि जो देश मैं ने तुम्हारे पूर्वजोंसे शपय खाकर तुम्हें देने को कहा या, और उस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, वह देश मैं तुम को नहीं दिखाने का। 7. तो उन लोगोंके पुत्र जिन को यहोवा ने उनके स्यान पर उत्पन्न किया या, उनका खतना यहोशू से कराया, क्योंकि मार्ग में उनके खतना न होने के कारण वे खतनारहित थे। 8. और जब उस सारी जाति के लोगोंका खतना हो चुका, तब वे चंगे हो जाने तक अपके अपके स्यान पर छावनी में रहे। 9. तब यहोवा ने यहोशू से कहा, तुम्हारी नामधराई जो मिस्रियोंमें हुई है उसे मैं ने आज दूर की है। इस कारण उस स्यान का नाम आज के दिन तक गिलगाल पड़ा है।। 10. सो इस्राएली गिलगाल में डेरे डाले हुए रहे, और उन्होंने यरीहो के पास के अराबा में पूर्णमासी की सन्ध्या के समय फसह माना। 11. और फसह के दूसरे दिन वे उस देश की उपज में से अखमीरी रोटी और उसी दिन से भुना हुआ दाना भी खाने लगे। 12. और जिस दिन वे उस देश की उपज में से खाने लगे, उसी दिन बिहान को मन्ना बन्द हो गया; और इस्राएलियोंको आगे फिर कभी मन्ना न मिला, परन्तु उस वर्ष उन्होंने कनान देश की उपज में से खाई।। 13. जब यहोशू यरीहो के पास या तब उस ने अपक्की आंखें उठाई, और क्या देखा, कि हाथ में नंगी तलवार लिथे हुए एक पुरूष साम्हने खड़ा है; और यहोशू ने उसके पास जाकर पूछा, क्या तू हमारी ओर का है, वा हमारे बैरियोंकी ओर का? 14. उस ने उत्तर दिया, कि नहीं; मैं यहोवा की सेना का प्रधान होकर अभी आया हूं। तब यहोशू ने पृय्वी पर मुंह के बल गिरकर दण्डवत् किया, और उस से कहा, अपके दास के लिथे मेरे प्रभु की क्या आज्ञा है? 15. यहोवा की सेना के प्रधान ने यहोशू से कहा, अपक्की जूती पांव से उतार डाल, क्योंकि जिस स्यान पर तू खड़ा है वह पवित्र है। तब यहोशू ने वैसा ही किया।।
Chapter 6
1. और यरीहो के सब फाटक इस्राएलियोंके डर के मारे लगातार बन्द रहे, और कोई बाहर भीतर आने जाने नहीं पाता या। 2. फिर यहोवा ने यहोशू से कहा, सुन, मैं यरीहो को उसके राजा और शूरवीरोंसमेत तेरे वश में कर देता हूं। 3. सो तुम में जितने योद्धा हैं नगर को घेर लें, और उस नगर के चारोंओर एक बार घूम आएं। 4. और छ: दिन तक ऐसा ही किया करना। 5. और जब वे जुबली के नरसिंगे देर तक फूंकते रहें, तब सब लोग नरसिंगे का शब्द सुनते ही बड़ी ध्वनि से जयजयकार करें; तब नगर की शहरपनाह नेव से गिर जाएगी, और सब लोग अपके अपके साम्हने चढ़ जाएं। 6. सो नून के पुत्र यहोशू ने याजकोंको बुलवाकर कहा, वाचा के सन्दूक को उठा लो, और सात याजक यहोवा के सन्दूक के आगे आगे जुबली के सात नरसिंगे लिए चलें। 7. फिर उस ने लोगोंसे कहा, आगे बढ़कर नगर के चारोंऔर घूम आओ; और हयियारबन्द पुरूष यहोवा के सन्दूक के आगे आगे चलें। 8. और जब यहोशू थे बातें लोगोंसे कह चुका, तो वे सात याजक जो यहोवा के साम्हने सात नरसिंगे लिथे हुए थे नरसिंगे फूंकते हुए चले, और यहोवा की वाचा का सन्दूक उनके पीछे पीछे चला। 9. और हयियारबन्द पुरूष नरसिंगे फूंकनेवाले याजकोंके आगे आगे चले, और पीछे वाले सन्दूक के पीछे पीछे चले, और याजक नरसिंगे फूंकते हुए चले। 10. और यहोशू ने लोगोंको आज्ञा दी, कि जब तक मैं तुम्हें जयजयकार करने की आज्ञा न दूं, तब तक जयजयकार न करो, और न तुम्हारा कोई शब्द सुनने में आए, न कोई बात तुम्हारे मुंह से निकलने पाए; आज्ञा पाते ही जयजयकार करना। 11. उस ने यहोवा के सन्दूक को एक बार नगर के चारोंओर घुमवाया; तब वे छावनी में आए, और रात वहीं काटी।। 12. बिहान को यहोशू सबेरे उठा, और याजकोंने यहोवा का सन्दूक उठा लिया। 13. और उन सात याजकोंने जुबली के सात नरसिंगे लिए और यहोवा के सन्दूक के आगे आगे फूंकते हुए चले; और उनके आगे हयियारबन्द पुरूष चले, और पीछेवाले यहोवा के सन्दूक के पीछे पीछे चले, और याजक नरसिंगे फूंकते चले गए। 14. इस प्रकार वे दूसरे दिन भी एक बार नगर के चारोंओर घूमकर छावनी में लौट आए। और इसी प्रकार उन्होंने छ: दिन तक किया। 15. फिर सातवें दिन वे भोर को बड़े तड़के उठकर उसी रीति से नगर के चारोंओर सात बार घूम आए; केवल उसी दिन वे सात बार घूमे। 16. तब सातवीं बार जब याजक नरसिंगे फूंकते थे, तब यहोशू ने लोगोंसे कहा, जयजयकार करो; क्योंकि यहोवा ने यह नगर तुम्हें दे दिया है। 17. और नगर और जो कुछ उस में है यहोवा के लिथे अर्पण की वस्तु ठहरेगी; केवल राहाब वेश्या और जितने उसके घर में होंवे जीवित छोड़े जाएंगे, क्योंकि उस ने हमारे भेजे हुए दूतोंको छिपा रखा या। 18. और तुम अर्पण की हुई वस्तुओं से सावधानी से अपके आप को अलग रखो, ऐसा न हो कि अर्पण की वस्तु ठहराकर पीछे उसी अर्पण की वस्तु में से कुछ ले लो, और इस प्रकार इस्राएली छावनी को भ्रष्ट करके उसे कष्ट में डाल दो। 19. सब चांदी, सोना, और जो पात्र पीतल और लोहे के हैं, वे यहोवा के लिथे पवित्र हैं, और उसी के भण्डार में रखे जाएं। 20. तब लोगोंने जयजयकार किया, और याजक नरसिंगे फूंकते रहे। और जब लोगोंने नरसिंगे का शब्द सुना तो फिर बड़ी ही ध्वनि से उन्होंने जयजयकार किया, तब शहरपनाह नवे से गिर पक्की, और लोग अपके अपके साम्हने से उस नगर में चढ़ गए, और नगर को ले लिया। 21. और क्या पुरूष, क्या स्त्री, क्या जवान, क्या बूढ़े, वरन बैल, भेड़-बकरी, गदहे, और जितने नगर में थे, उन सभोंको उन्होंने अर्पण की वस्तु जानकर तलवार से मार डाला। 22. तब यहोशू ने उन दोनोंपुरूषोंसे जो उस देश का भेद लेने गए थे कहा, अपक्की शपय के अनुसार उस वेश्या के घर में जाकर उसको और जो उसके पास होंउन्हें भी निकाल ले आओ। 23. तब वे दोनोंजवान भेदिए भीतर जाकर राहाब को, और उसके माता-पिता, भाइयों, और सब को जो उसके यहां रहते थे, वरन उसके सब कुटुम्बियोंको निकाल लाए, और इस्राएल की छावनी से बाहर बैठा दिया। 24. तब उन्होंने नगर को, और जो कुछ उस में या, सब को आग लगाकर फूंक दिया; केवल चांदी, सोना, और जो पात्र पीतल और लोहे के थे, उनको उन्होंने यहोवा के भवन के भण्डार में रख दिया। 25. और यहोशू ने राहाब वेश्या और उसके पिता के घराने को, वरन उसके सब लोगोंको जीवित छोड़ दिया; और आज तक उसका वंश इस्राएलियोंके बीच में रहता है, क्योंकि जो दूत यहोशू ने यरीहो के भेद लेने को भेजे थे उनको उस ने छिपा रखा या। 26. फिर उसी समय यहोशू ने इस्राएलियोंके सम्मुख शपय रखी, और कहा, कि जो मनुष्य उठकर इस नगर यरीहो को फिर से बनाए वह यहोवा की ओर से शापित हो। जब वह उसकी नेव डालेगा तब तो उसका जेठा पुत्र मरेगा, और जब वह उसके फाटक लगावाएगा तब उसका छोटा पुत्र मर जाएगा। 27. और यहोवा यहोशू के संग रहा; और यहोशू की कीतिर् उस सारे देश में फैल गई।।
Chapter 7
1. परन्तु इस्राएलियोंने अर्पण की वस्तु के विषय में विश्वासघात किया; अर्यात् यहूदा के गोत्र का आकान, जो जेरहवंशी जब्दी का पोता और कर्म्मी का पुत्र या, उस ने अर्पण की वस्तुओं में से कुछ ले लिया; इस कारण यहोवा का कोप इस्राएलियोंपर भड़क उठा।। 2. और यहोशू ने यरीहो से ऐ नाम नगर के पास, जो बेतावेन से लगा हुआ बेतेल की पूर्व की ओर है, कितने पुरूषोंको यह कहकर भेजा, कि जाकर देश का भेद ले आओ। और उन पुरूषोंने जाकर ऐ का भेद लिया। 3. और उन्होंने यहोशू के पास लौटकर कहा, सब लोग वहां न जाएं, कोई दो वा तीन हजार पुरूष जाकर ऐ को जीत सकते हैं; सब लोगोंको वहां जाने का कष्ट न दे, क्योंकि वे लोग योड़े ही हैं। 4. इसलिथे कोई तीन हजार पुरूष वहां गए; परन्तु ऐ के रहनेवालोंके साम्हने से भाग आए, 5. तब ऐ के रहनेवालोंने उन में से कोई छत्तीस पुरूष मार डाले, और अपके फाटक से शबारीम तक उनका पीछा करके उतराई में उनको मारते गए। तब लोगोंका मन पिघलकर जल सा बन गया। 6. तब यहोशू ने अपके वस्त्र फाड़े, और वह और इस्राएली वृद्ध लोग यहोवा के सन्दूक के साम्हने मुंह के बल गिरकर पृय्वी पर सांफ तक पके रहे; और उन्होंने अपके अपके सिर पर धूल डाली। 7. और यहोशू ने कहा, हाथ, प्रभु यहोवा, तू अपक्की इस प्रजा को यरदन पार क्योंले आया? क्या हमें एमोरियोंके वश में करके नष्ट करने के लिथे ले आया है? भला होता कि हम संतोष करके यरदन के उस पार रह जाते। 8. हाथ, प्रभु मैं क्या कहूं, जब इस्राएलियोंने अपके शत्रुओं को पीठ दिखाई है! 9. क्योंकि कनानी वरन इस देश के सब निवासी यह सुनकर हम को घेर लेंगे, और हमारा नाम पृय्वी पर से मिटा डालेंगे; फिर तू अपके बड़े नाम के लिथे क्या करेगा? 10. यहोवा ने यहोशू से कहा, उठ, खड़ा हो जा, तू क्योंइस भांति मुंह के बल पृय्वी पर पड़ा है? 11. इस्राएलियोंने पाप किया है; और जो वाचा मैं ने उन से अपके साय बन्धाई यी उसको उन्होंने तोड़ दिया है, उन्होंने अर्पण की वस्तुओं में से ले लिया, वरन चोरी भी की, और छल करके उसको अपके सामान में रख लिया है। 12. इस कारण इस्राएली अपके शत्रुओं के साम्हने खड़े नहीं रह सकते; वे अपके शत्रुओं को पीठ दिखाते हैं, इसलिथे कि वे आप अर्पण की वस्तु बन गए हैं। और यदि तुम अपके मध्य में से अर्पण की वस्तु को सत्यानाश न कर डालोगे, तो मैं आगे को तुम्हारे संग नहीं रहूंगा। 13. उठ, प्रजा के लोगोंको पवित्र कर, उन से कह; कि बिहान तक अपके अपके को पवित्र कर रखो; क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यह कहता है, कि हे इस्राएल, तेरे मध्य में अर्पण की वस्तु है; इसलिथे जब तक तू अर्पण की वस्तु को अपके मध्य में से दूर न करे तब तक तू अपके शत्रुओं के साम्हने खड़ा न रह सकेगा। 14. इसलिथे बिहान को तुम गोत्र गोत्र के अनुसार समीप खड़े किए जाओगे; और जिस गोत्र को यहोवा पकड़े वह एक एक कुल करके पास आए; और जिस कुल को यहोवा पकड़े सो घराना घराना करके पास आए; फिर जिस घराने को यहोवा पकड़े वह एक एक पुरूष करके पास आए। 15. तब जो पुरूष अर्पण की वस्तु रखे हुए पकड़ा जाएगा, वह और जो कुछ उसका हो सब आग में डालकर जला दिया जाए; क्योंकि उस ने यहोवा की वाचा को तोड़ा है, और इस्राएल में अनुचित कर्म किया है।। 16. बिहान को यहोशू सवेरे उठकर इस्राएलियोंको गोत्र गोत्र करके समीप लिवा ले गया, और यहूदा का गोत्र पकड़ा गया; 17. तब उस ने यहूदा के परिवार को समीप किया, और जेरहवंशियोंका कुल पकड़ा गया; फिर जेरहवंशियोंके घराने के एक एक पुरूष को समीप लाया, और जब्दी पकडा गया; 18. तब उस ने उसके घराने के एक एक पुरूष को समीप खड़ा किया, और यहूदा गोत्र का आकान, जो जेरहवंशी जब्दी का पोता और कर्म्मी का पुत्र या, पकड़ा गया। 19. तब यहोशू आकान से कहने लगा, हे मेरे बेटे, इस्राएल के परमेश्वर यहोवा का आदर कर, और उसके आगे अंगीकार कर; और जो कुछ तू ने किया है वह मुझ को बता दे, और मुझ से कुछ मत छिपा। 20. और आकान ने यहोशू को उत्तर दिया, कि सचमुच मैं ने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के विरूद्ध पाप किया है, और इस प्रकार मैं ने किया है, 21. कि जब मुझे लूट में शिनार देश का एक सुन्दर ओढ़ना, और दो सौ शेकेल चांदी, और पचास शेकेल सोने की एक ईट देख पक्की, तब मैं ने उनका लालच करके उन्हें रख लिया; वे मेरे डेरे के भीतर भूमि में गड़े हैं, और सब के नीचे चांदी है। 22. तब यहोशू ने दूत भेजे, और वे उस डेरे में दौड़े गए; और क्या देखा, कि वे वस्तुएं उसके डेरे में गड़ी हैं, और सब के नीचे चांदी है। 23. उनको उन्होंने डेरे में से निकालकर यहोशू और सब इस्राएलियोंके पास लाकर यहोवा के साम्हने रख दिया। 24. तब सब इस्राएलियोंसमेत यहोशू जेरहवंशी आकान को, और उस चांदी और ओढ़ने और सोने की ईंट को, और उसके बेटे-बेटियोंको, और उसके बैलों, गदहोंऔर भेड़-बकरियोंको, और उसके डेरे को, निदान जो कुछ उसका या उन सब को आकोर नाम तराई में ले गया। 25. तब यहोशू ने उस से कहा, तू ने हमें क्योंकष्ट दिया है? आज के दिन यहोवा तुझी को कष्ट देगा। तब सब इस्राएलियोंने उसको पत्यरवाह किया; और उनको आग में डालकर जलाया, और उनके ऊपर पत्यर डाल दिए। 26. और उन्होंने उसके ऊपर पत्यरोंका बड़ा ढेर लगा दिया जो आज तक बना है; तब यहोवा का भड़का हुआ कोप शान्त हो गया। इस कारण उस स्यान का नाम आज तक आकोर तराई पड़ा है।।
Chapter 8
1. तब यहोवा ने यहोशू से कहा, मत डर, और तेरा मन कच्चा न हो; कमर बान्धकर सब योद्धाओं को साय ले, और ऐ पर चढ़ाई कर; सुन, मैं ने ऐ के राजा को उसकी प्रजा और उसके नगर और देश समेत तेरे वश में किया है। 2. और जैसा तू ने यरीहो और उसके राजा से किया वैसा ही ऐ और उसके राजा के साय भी करना; केवल तुम पशुओं समेत उसकी लूट तो अपके लिथे ले सकोगे; इसलिथे उस नगर के पीछे की ओर अपके पुरूष घात में लगा दो। 3. सो यहोशू ने सब योद्धाओं समेत ऐ पर चढ़ाई करने की तैयारी की; और यहोशू ने तीस हजार पुरूषोंको जो शूरवीर थे चुनकर रात ही को आज्ञा देकर भेजा। 4. और उनको यह आज्ञा दी, कि सुनो, तुम उस नगर के पीछे की ओर घात लगाए बैठे रहना; नगर से बहुत दूर न जाना, और सब के सब तैयार रहना; 5. और मैं अपके सब सायियोंसमेत उस नगर के निकट जाऊंगा। और जब वे पहिले की नाईं हमारा साम्हना करने को निकलें, तब हम उनके आगे से भागेंगे; 6. तब वे यह सोचकर, कि वे पहिले की भांति हमारे साम्हने से भागे जाते हैं, हमारा पीछा करेंगे; इस प्रकार हम उनके साम्हने से भागकर उन्हें नगर से दूर निकाल ले जाएंगे; 7. तब तुम घात में से उठकर नगर को अपना कर लेना; क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा उसको तुम्हारे हाथ में कर देगा। 8. और जब नगर को ले लो, तब उस में आग लगाकर फूंक देना, यहोवा की आज्ञा के अनुसार ही काम करना; सुनो, मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है। 9. तब यहोशू ने उनको भेज दिया; और वे घात में बैठने को चले गए, और बेतेल और ऐ के मध्य में और ऐ की पश्चिम की ओर बैठे रहे; परन्तु यहोशू उस रात को लोगोंके बीच टिका रहा।। 10. बिहान को यहोशू सवेरे उठा, ओर लोगोंकी गिनती लेकर इस्राएली वृद्ध लोगोंसमेत लोगोंके आगे आगे ऐ की ओर चला। 11. और उसके संग के सब योद्धा चढ़ गए, और ऐ नगर के निकट पहुंचकर उसके साम्हने उत्तर की ओर डेरे डाल दिए, और उनके और ऐ के बीच एक तराई यी। 12. तब उस ने कोई पांच हजार पुरूष चुनकर बेतेल और ऐ के मध्यस्त नगर की पश्चिम की ओर उनको घात में बैठा दिया। 13. और जब लोगोंने नगर की उत्तर ओर की सारी सेना को और उसकी पश्चिम ओर घात में बैठे हुओं को भी ठिकाने पर कर दिया, तब यहोशू उसी रात तराई के बीच गया। 14. जब ऐ के राजा ने यह देखा, तब वे फुर्ती करके सवेरे उठे, और राजा अपक्की सारी प्रजा को लेकर इस्राएलियोंके साम्हने उन से लड़ने को निकलकर ठहराए हुए स्यान पर जो अराबा के साम्हने है पहुंचा; और वह नहीं जानता या कि नगर की पिछली और लोग घात लगाए बैठे हैं। 15. तब यहोशू और सब इस्राएली उन से मानो हार मानकर जंगल का मार्ग लेकर भाग निकले। 16. तब नगर के सब लोग इस्राएलियोंका पीछा करने को पुकार पुकार के बुलाए गए; और वे यहोशू का पीछा करते हुए नगर से दूर निकल गए। 17. और न ऐ में और ने बेतेल में कोई पुरूष रह गया, जो इस्राएलियोंका पीछा करने को न गया हो; और उन्होंने नगर को खुला हुआ छोड़कर इस्राएलियोंका पीछा किया। 18. तब यहोवा ने यहोशू से कहा, अपके हाथ का बर्छा ऐ की ओर बढ़ा; क्योंकि मैं उसे तेरे हाथ में दे दूंगा। और यहोशू ने अपके हाथ के बर्छे को नगर की ओर बढ़ाया। 19. उसके हाथ बढ़ाते ही जो लोग घात में बैठे थे वे फटपट अपके स्यान से उठे, और दौड़कर नगर में प्रवेश किया और उसको ले लिया; और फटपट उस में आग लगा दी। 20. जब ऐ के पुरूषोंने पीछे की ओर फिरकर दृष्टि की, तो क्या देखा, कि नगर का धूआं आकाश की ओर उठ रहा है; और उन में न तो इधर भागने की शक्ति रही, और न उधर, और जो लोग जंगल की ओर भागे जाते थे वे फिरकर अपके खदेड़नेवालोंपर टूट पके। 21. जब यहोशू और सब इस्राएलियोंने देखा कि घातियोंने नगर को ले लिया, और उसका धूंआ उठ रहा है, तब घूमकर ऐ के पुरूषोंको मारने लगे। 22. और उनका साम्हना करने को दूसरे भी नगर से निकल आए; सो वे इस्राएलियोंके बीच में पड़ गए, कुछ इस्राएली तो उनके आगे, और कुछ उनके पीछे थे; सो उन्होंने उनको यहां तक मार डाला कि उन में से न तो कोई बचने और न भागने पाया। 23. और ऐ के राजा को वे जीवित पकड़कर यहोशू के पास ले आए। 24. और जब इस्राएली ऐ के सब निवासिक्कों मैदान में, अर्यात् उस जंगल में जहां उन्होंने उनका पीछा किया या घात कर चुके, और वे सब के सब तलवार से मारे गए यहां तक कि उनका अन्त ही हो गया, तब सब इस्राएलियोंने ऐ को लौटकर उसे भी तलवार से मारा। 25. और स्त्री पुरूष, सब मिलाकर जो उस दिन मारे गए वे बारह हजार थे, और ऐ के सब पुरूष इतने ही थे। 26. क्योंकि जब तक यहोशू ने ऐ के सब निवासिक्कों सत्यानाश न कर डाला तब तब उस ने अपना हाथ, जिस से बर्छा बढ़ाया या, फिर न खींचा। 27. यहोवा की उस आज्ञा के अनुसार जो उस ने यहोशू को दी यी इस्राएलियोंने पशु आदि नगर की लूट अपक्की कर ली। 28. तब यहोशू ने ऐ को फूंकवा दिया, और उसे सदा के लिथे खंडहर कर दिया : वह आज तक उजाड़ पड़ा है। 29. और ऐ के राजा को उस ने सांफ तक वृझ पर लटका रखा; और सूर्य डूबते डूबते यहोशू की आज्ञा से उसकी लोय वृष पर से उतारकर नगर के फाटक के साम्हने डाल दी गई, और उस पर पत्यरोंका बढ़ा ढेर लगा दिया, जो आज तक बना है।। 30. तब यहोशू ने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के लिथे एबाल पर्वत पर एक वेदी बनवाई, 31. जैसा यहोवा के दास मूसा ने इस्राएलियोंको आज्ञा दी यी, और जैसा मूसा की व्यवस्या की पुस्तक में लिखा है, उस ने समूचे पत्यरोंकी एक वेदी बनवाई जिस पर औजार नहीं चलाया गया या। और उस पर उन्होंने यहोवा के लिथे होम-बलि चढ़ाए, और मेलबलि किए। 32. उसी स्यान पर यहोशू ने इस्राएलियोंके साम्हने उन पत्यरोंके ऊपर मूसा की व्यवस्या, जो उस ने लिखी यी, उसकी नकल कराई। 33. और वे, क्या देशी क्या परदेशी, सारे इस्राएली अपके वृद्ध लोगों, सरदारों, और न्यायियोंसमेत यहोवा की वाचा का सन्दूक उठानेवाले लेवीय याजकोंके साम्हने उस सन्दूक के इधर उधर खड़े हुए, अर्यात् आधे लोग तो गिरिज्जीम पर्वत के, और आधे एबाल पर्वत के साम्हने खड़े हुए, जैसा कि यहोवा के दास मूसा ने पहिले आज्ञा दी यी, कि इस्राएली प्रजा को आर्शीवाद दिए जाएं। 34. उसके बाद उस ने आशीष और शाप की व्यवस्या के सारे वचन, जैसे जैसे व्यवस्या की पुस्तक में लिखे हुए हैं, वैसे वैसे पढ़ पढ़कर सुना दिए। 35. जितनी बातोंकी मूसा ने आज्ञा दी यी, उन में से कोई ऐसी बात नहीं रह गई जो यहोशू ने इस्राएली की सारी सभा, और स्त्रियों, और बाल-बच्चों, और उनके साय रहनेवाले परदेशी लोगोंके साम्हने भी पढ़कर न सुनाई।।
Chapter 9
1. यह सुनकर हित्ती, एमोरी, कनानी, परिज्जी, हिव्वी, और यबूसी, जितने राजा यरदन के इस पार पहाड़ी देश में और नीचे के देश में, और लबानोन के साम्हने के महानगर के तट पर रहते थे, 2. वे एक मन होकर यहोशू और इस्राएलियोंसे लड़ने को इकट्ठे हुए।। 3. जब गिबोन के निवासियोंने सुना कि यहोशू ने यरीहो और ऐ से क्या क्या किया है, 4. तब उन्होंने छल किया, और राजदूतोंका भेष बनाकर अपके गदहोंपर पुराने बोरे, और पुराने फटे, और जोड़े हुए मदिरा के कुप्पे लादकर 5. अपके पांवोंमें पुरानी गांठी हुई जूतियां, और तन पर पुराने वस्त्र पहिने, और अपके भोजन के लिथे सूखी और फफूंदी लगी हुई रोटी ले ली। 6. तब वे गिलगाल की छावनी में यहोशू के पास जाकर उस से और इस्राएली पुरूषोंसे कहने लगे, हम दूर देश सें आए हैं; इसलिथे अब तुम हम से वाचा बान्धो। 7. इस्राएली पुरूषोंने उन हिव्वियोंसे कहा, क्या जाने तुम हमारे मध्य में ही रहते हो; फिर हम तुम से वाचा कैसे बान्धे? 8. उन्होंने यहोशू से कहा, हम तेरे दास हैं। तब यहोशू ने उन से कहा, तुम कौन हो? और कहां से आए हो? 9. उन्होंने उस से कहा, तेरे दास बहुत दूर के देश से तेरे परमेश्वर यहोवा का नाम सुनकर आए हैं; क्योंकि हम ने यह सब सुना है, अर्यात् उसकी कीतिर् और जो कुछ उस ने मिस्र में किया, 10. और जो कुछ उस ने एमोरियोंके दोनोंराजाओं से किया जो यरदन के उस पार रहते थे, अर्यात् हेश्बोन के राजा सीहोन से, और बाशान के राजा ओग से जो अश्तारोत में या। 11. इसलिथे हमारे यहां के वृद्धलोगोंने और हमारे देश के सब निवासियोंने हम से कहा, कि मार्ग के लिथे अपके साय भोजनवस्तु लेकर उन से मिलने को जाओ, और उन से कहना, कि हम तुम्हारे दास हैं; इसलिथे अब तुम हम से वाचा बान्धो। 12. जिस दिन हम तुम्हारे पास चलने को निकले उस दिन तो हम ने अपके अपके घर से यह रोटी गरम और ताजी ली यी; परन्तु अब देखो, यह सूख गई है और इस में फफूंदी लग गई है। 13. फिर थे जो मदिरा के कुप्पे हम ने भर लिथे थे, तब तो नथे थे, परन्तु देखो अब थे फट गए हैं; और हमारे थे वस्त्र और जूतियां बड़ी लम्बी यात्रा के कारण पुरानी हो गई हैं। 14. तब उन पुरूषोंने यहोवा से बिना सलाह लिथे उनके भोजन में से कुछ ग्रहण किया। 15. तब यहोशू ने उन से मेल करके उन से यह वाचा बान्धी, कि तुम को जीवित छोड़ेंगे; और मण्डली के प्रधानोंने उन से शपय खाई। 16. और उनके साय वाचा बान्धने के तीन दिन के बाद उनको यह समाचार मिला; कि वे हमारे पड़ोस के रहनेवाले लोग हैं, और हमारे ही मध्य में बसे हैं। 17. तब इस्राएली कूच करके तीसरे दिन उनके नगरोंको जिनके नाम गिबोन, कपीरा, बेरोत, और किर्यत्यारीम है पहुंच गए, 18. और इस्राएलियोंने उनको न मारा, क्योंकि मण्डली के प्रधानोंने उनके संग इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की शपय खाई यी। तब सारी मण्डली के लोग प्रधानोंके विरूद्ध कुड़कुड़ाने लगे। 19. तब सब प्रधानोंने सारी मण्डली से कहा, हम ने उन से इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की शपय खाई है, इसलिथे अब उनको छू नहीं सकते। 20. हम उन से यही करेंगे, कि उस शपय के अनुसार हम उनको जीवित छोड़ देंगे, नहीं तो हमारी खाई हुई शपय के कारण हम पर क्रोध पकेगां 21. फिर प्रधानोंने उन से कहा, वे जीवित छोड़े जाएं। सो प्रधानोंके इस वचन के अनुसार वे सारी मण्डली के लिथे लकड़हारे और पानी भरनेवाले बने। 22. फिर यहोशू ने उनको बुलवाकर कहा, तुम तो हमारे ही बीच में रहते हो, फिर तुम ने हम से यह कहकर क्योंछल किया है, कि हम तुम से बहुत दूर रहते हैं? 23. इसलिथे अब तुम शापित हो, और तुम में से ऐसा कोई न रहेगा जो दास, अर्यात् मेरे परमेश्वर के भवन के लिथे लकड़हारा और पानी भरनेवाला न हो। 24. उन्होंने यहोशू को उत्तर दिया, तेरे दासोंको यह निश्चय बतलाया गया या, कि तेरे परमेश्वर यहोवा ने अपके दास मूसा को आज्ञा दी यी कि तुम को वह सारा देश दे, और उसके सारे निवासिक्कों तुम्हारे साम्हने से सर्वनाश करे; इसलिथे हम लोगोंको तुम्हारे कारण से अपके प्राणोंके लाले पड़ गए, इसलिथे हम ने ऐसा काम किया । 25. और अब हम तेरे वश में हैं, जैसा बर्ताव तुझे भला लगे और ठीक जान पके, वैसा ही व्यवहार हमारे साय कर। 26. तब उस ने उन से वैसा ही किया, और उन्हें इस्राएलियोंके हाथ से ऐसा बचाया, कि वे उन्हें घात करने न पाए। 27. परन्तु यहोशू ने उसी दिन उनको मण्डली के लिथे, और जो स्यान यहोवा चुन ले उसमें उसकी वेदी के लिथे, लकड़हारे और पानी भरनेवाले नियुक्त कर दिया, जैसा आज तक है।।
Chapter 10
1. जब यरूशलेम के राजा अदोनीसेदेक ने सुना कि यहोशू ने ऐ को ले लिया, और उसको सत्यानाश कर डाला है, और जैसा उस ने यरीहो और उसके राजा से किया है, और यह भी सुना कि गिबोन के निवासियोंने इस्राएलियोंसे मेल किया, और उनके बीच रहने लगे हैं, 2. तब वे निपट डर गए, क्योंकि गिबोन बड़ा नगर वरन राजनगर के तुल्य और ऐ से बड़ा या, और उसके सब निवासी शूरवीर थे। 3. इसलिथे यरूशलेम के राजा अदोनीसेदेक ने हेब्रोन के राजा होहाम, यर्मूत के राजा पिराम, लाकीश के राजा यापी, और एग्लोन के राजा दबीर के पास यह कहला भेजा, 4. कि मेरे पास आकर मेरी सहाथता करो, और चलो हम गिबोन को मारें; क्योंकि उस ने यहोशू और इस्राएलियोंसे मेल कर लिया है। 5. इसलिथे यरूशलेम, हेब्रोन, यर्मूत, लाकीश, और एग्लोन के पांचोंएमोरी राजाओं ने अपक्की अपक्की सारी सेना इकट्ठी करके चढ़ाई कर दी, और गिबोन के साम्हने डेरे डालकर उस से युद्ध छेड़ दिया। 6. तक गिबोन के निवासियोंने गिलगाल की छावनी में यहोशू के पास योंकहला भेजा, कि अपके दासोंकी ओर से तू अपना हाथ न हटाना; शीघ्र हमारे पास आकर हमें बचा ले, और हमारी सहाथता कर; क्योंकि पहाड़ पर रहनेवाले एमोरियोंके सब राजा हमारे विरूद्ध इकट्ठे हए हैं। 7. तब यहोशू सारे योद्धाओं और सब शूरवीरोंको संग लेकर गिलगाल से चल पड़ा। 8. और यहोवा ने यहोशू से कहा, उन से मत डर, क्योंकि मैं ने उनको तेरे हाथ में कर दिया है; उन में से एक पुरूष भी तेरे साम्हने टिक न सकेगा। 9. तब यहोशू रातोरात गिलगाल से जाकर एकाएक उन पर टूट पड़ा। 10. तब यहोवा ने ऐसा किया कि वे इस्राएलियोंसे घबरा गए, और इस्राएलियोंने गिबोन के पास उनका बड़ा संहार किया, और बेयोरान के चढ़ाव पर उनका पीछा करके अजेका और मक्केदा तक उनको मारते गए। 11. फिर जब वे इस्राएलियोंके साम्हने से भागकर बेयोरोन की उतराई पर आए, तब अजेका पहुंचने तक यहोवा ने आकाश से बड़े बड़े पत्यर उन पर बरसाए, और वे मर गए; जो ओलोंसे मारे गए उनकी गिनती इस्राएलियोंकी तलवार से मारे हुओं से अधिक यी।। 12. और उस समय, अर्यात् जिस दिन यहोवा ने एमोरियोंको इस्राएलियोंके वश में कर दिया, उस दिन यहोशू ने यहोवा से इस्राएलियोंके देखते इस प्रकार कहा, हे सूर्य, तू गिबोन पर, और हे चन्द्रमा, तू अय्यालोन की तराई के ऊपर यमा रह।। 13. और सूर्य उस समय तक यमा रहा; और चन्द्रमा उस समय तक ठहरा रहा, जब तक उस जाति के लोगोंने अपके शत्रुओं से पलटा न लिया।। क्या यह बात याशार नाम पुस्तक में नहीं लिखी है कि सूर्य आकाशमण्डल के बीचोबीच ठहरा रहा, और लगभग चार पहर तक न डूबा? 14. न तो उस से पहिले कोई ऐसा दिन हुआ और न उसके बाद, जिस में यहोवा ने किसी पुरूष की सुनी हो; क्योंकि यहोवा तो इस्राएल की ओर से लड़ता या।। 15. तब यहोशू सारे इस्राएलियोंसमेत गिलगाल की छावनी को लौट गया।। 16. और वे पांचोंराजा भागकर मक्केदा के पास की गुफा में जा छिपे। 17. तब यहोशू को यह समाचार मिला, कि पांचोंराजा मक्केदा के पास की गुफा में छिपे हुए हमें मिले हैं। 18. यहोशू ने कहा, गुफा के मुंह पर बड़े बड़े पत्यर लुढ़काकर उनकी देख भाल के लिथे मनुष्योंको उसके पास बैठा दो; 19. परन्तु तुम मत ठहरो, अपके शत्रुओं का पीछा करके उन में से जो जो पिछड़ गए हैं उनको मार डालो, उन्हें अपके अपके नगर में प्रवेश करने का अवसर न दो; क्योकि तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने उनको तुम्हारे हाथ में कर दिया है। 20. जब यहोशू और इस्राएली उनका संहार करके नाश कर चुके, और उन में से जो बच गए वे अपके अपके गढ़वाले नगर में घुस गए, 21. तब सब लोग मक्केदा की छावनी को यहोशू के पास कुशल-झेम से लौट आए; और इस्राएलियोंके विरूद्ध किसी ने जीभ तक न हिलाई। 22. तब यहोशू ने आज्ञा दी, कि गुफा का मुंह खोलकर उन पांचोंराजाओं को मेरे पास निकाल ले आओ। 23. उन्होंने ऐसा ही किया, और यरूशलेम, हेब्रोन, यर्मूत, लाकीश, और एग्लोन के उन पांचोंराजओं को गुफा में से उसके पास निकाल ले आए। 24. जब वे उन राजाओं को यहोशू के पास निकाल ले आए, तब यहोशू ने इस्राएल के सब पुरूषोंको बुलाकर अपके साय चलनेवाले योद्धाओं के प्रधानोंसे कहा, निकट आकर अपके अपके पांव इन राजाओं की गर्दनोंपर रखो। और उन्होंने निकट जाकर अपके अपके पांव उनकी गर्दनोंपर रखे। 25. तब यहोशू ने उन से कहा, डरो मत, और न तुम्हारा मन कच्चा हो; हियाव बान्धकर दृढ़ हो; क्योंकि यहोवा तुम्हारे सब शत्रुओं से जिन से तुम लड़नेवाले हो ऐसा ही करेगा। 26. इस के बाद यहोशू ने उनको मरवा डाला, और पांच वृझोंपर लटका दिया। और वे सांफ तक उन वृझोंपर लटके रहे। 27. सूर्य डूबते डूबते यहोशू से आज्ञा पाकर लोगोंने उन्हें उन वृझोंपर से उतारके उसी गुफा में जहां वे छिप गए थे डाल दिया, और उस गुफा के मुंह पर बड़े बड़े पत्यर धर दिए, वे आज तक वहीं धरे हुए हैं।। 28. उसी दिन यहोशू ने मक्केदा को ले लिया, और उसको तलवार से मारा, और उसके राजा को सत्यानाश किया; और जितने प्राणी उस में थे उन सभोंमें से किसी को जीवित न छोड़ा; और जैसा उस ने यरीहो के राजा के साय किया या वैसा ही मक्केदा के राजा से भी किया।। 29. तब यहोशू सब इस्राएलियोंसमेत मक्केदा से चलकर लिब्ना को गया, और लिब्ना से लड़ा। 30. और यहोवा ने उस को भी राजा समेत इस्राएलियोंके हाथ मे कर दिया; और यहोशू ने उसको और उस में के सब प्राणियोंको तलवार से मारा; और उस में से किसी को भी जीवित न छोड़ा; और उसके राजा से वैसा ही किया जैसा उस ने यरीहो के राजा के साय किया या।। 31. फिर यहोशू सब इस्राएलियोंसमेत लिब्ना से चलकर लाकीश को गया, और उसके विरूद्ध छावनी डालकर लड़ा; 32. और यहोवा ने लाकीश को इस्राएल के हाथ में कर दिया, और दूसरे दिन उस ने उसको जीत लिया; और जैसा उस ने लिब्ना के सब प्राणियोंको तलवार से मारा या वैसा ही उस ने लाकीश से भी किया। 33. तब गेजेर का राजा होराम लाकीश की सहाथता करने को चढ़ आया; और यहोशू ने प्रजा समेत उसको भी ऐसा मारा कि उसके लिथे किसी को जीवित न छोड़ा।। 34. फिर यहोशू ने सब इस्राएलियोंसमेत लाकीश से चलकर एग्लोन को गया; और उसके विरूद्ध छावनी डालकर युद्ध करने लगा; 35. और उसी दिन उन्होंने उसको ले लिया, और उसको तलवार से मारा; और उसी दिन जैसा उस ने लाकीश के सब प्राणियोंको सत्यानाश कर डाला या वैसा ही उस ने एग्लोन से भी किया।। 36. फिर यहोशू सब इस्राएलियोंसमेत एग्लोन से चलकर हेब्रोन को गया, और उस से लड़ने लगा; 37. और उन्होंने उसे ले लिया, और उसको और उसके राजा और सब गावोंको और उन में के सब प्राणियोंको तलवार से मारा; जैसा यहोशू ने एग्लोन से किया या वैसा ही उस ने हेब्रोन में भी किसी को जीवित न छोड़ा; उस ने उसको और उस में के सब प्राणियोंको सत्यानाश कर डाला।। 38. तब यहोशू सब इस्राएलियोंसमेत घूमकर दबीर को गया, और उस से लड़ने लगा; 39. और राजा समेत उसे और उसके सब गांवोंको ले लिया; और उन्होंने उनको तलवार से घात किया, और जितने प्राणी उन में थे सब को सत्यानाश कर डाला; किसी को जीवित न छोड़ा, जैसा यहोशू ने हेब्रोन और लिब्ना और उसके राजा से किया या वैसा ही उस ने दबीर और उसके राजा से भी किया।। 40. इसी प्रकार यहोशू ने उस सारे देश को, अर्यात्पहाड़ी देश, दक्खिन देश, नीचे के देश, और ढालू देश को, उनके सब राजाओं समेत मारा; और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार किसी को जीवित न छोड़ा, वरन जितने प्राणी थे सभोंको सत्यानाश कर डाला। 41. और यहोशू ने कादेशबर्ने से ले अज्जा तक, और गिबोन तक के सारे गोशेन देश के लोगोंको मारा। 42. इन सब राजाओं को उनके देशोंसमेत यहोशू ने एक ही समय में ले लिया, क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा इस्राएलियोंकी ओर से लड़ता या। 43. तब यहोशू सब इस्राएलियोंसमेत गिलगाल की छावनी में लौट आया।।
Chapter 11
1. यह सुनकर हासोर के राजा याबीन ने मादोन के राजा योबाब, और शिम्रोन और अझाप के राजाओं को, 2. और जो जो राजा उत्तर की ओर पहाड़ी देश में, और किन्नेरेत की दक्खिन के अराबा में, और नीचे के देश में, और पच्छिम की ओर दोर के ऊंचे देश में रहते थे, उनको, 3. और पूरब पच्छिम दोनोंओर के रहनेवाले कनानियों, और एमोरियों, हित्तियों, परिज्जियों, और पहाड़ी यबूसियों, और मिस्पा देश में हेर्मोन पहाड़ के नीचे रहनेवाले हिव्वियोंको बुलवा भेजा। 4. और वे अपक्की अपक्की सेना समेत, जो समुद्र के किनारे बालू के किनकोंके समान बहुत यीं, मिलकर निकल आए, और उनके साय बहुत ही घोड़े और रय भी थे। 5. तब थे सब राजा सम्मति करके इकट्ठे हुए, और इस्राएलियोंसे लड़ने को मेरोम नाम ताल के पास आकर एक संग छावनी डाली। 6. तब यहोवा ने यहोशू से कहा, उन से मत डर, क्योंकि कल इसी समय मैं उन सभोंको इस्राएलियोंके वश करके मरवा डालूंगा; तब तू उनके घोड़ोंके सुम की नस कटवाना, और उनके रय भस्म कर देना। 7. और यहोशू सब योद्धाओं समेत मेरोम नाम ताल के पास अचानक पहुंचकर उन पर टूट पड़ा। 8. और यहोवा ने उनको इस्राएलियोंके हाथ में कर दिया, इसलिथे उन्होंने उन्हें मार लिया, और बड़े नगर सीदोन और मिस्रपोतमैत तक, और पूर्व की ओर मिस्पे के मैदान तक उनका पीछा किया; और उनको मारा, और उन में से किसी को जीवित न छोड़ा। 9. तब यहोशू ने यहोवा की आज्ञा के अनुसार उन से किया, अर्यात् उनके घोड़ोंके सुम की नस कटवाई, और उनके रय आग में जलाकर भस्म कर दिए।। 10. उस समय यहोशू ने घूमकर हासोर को जो पहिले उन सब राज्योंमें मुख्य नगर या ले लिया, और उसके राजा को तलवार से मार डाला। 11. और जितने प्राणी उस में थे उन सभोंको उन्होंने तलवार से मारकर सत्यानाश किया; और किसी प्राणी को जीवित न छोड़ा, और हासोर को यहोशू ने आग लगाकर फुंकवा दिया। 12. और उन सब नगरोंको उनके सब राजाओं समेत यहोशू ने ले लिया, और यहोवा के दास मूसा की आज्ञा के अनुसार उनको तलवार से घात करके सत्यानाश किया। 13. परन्तु हासोर को छोड़कर, जिसे यहोशू ने फुंकवा दिया, इस्राएल ने और किसी नगर को जो अपके टीले पर बसा या नहीं जलायां 14. और इन नगरोंके पशु और इनकी सारी लूट को इस्राएलियोंने अपना कर लिया; परन्तु मनुष्योंको उन्होंने तलवार से मार डाला, यहां तक उनको सत्यानाश कर डाला कि एक भी प्राणी को जीवित नहीं छोड़ा गया। 15. जो आज्ञा यहोवा ने अपके दास मूसा को दी यी उसी के अनुसार मूसा ने यहोशू को आज्ञा दी यी, और ठीक वैसा ही यहोशू ने किया भी; जो जो आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी यी उन में से यहोशू ने कोई भी पूरी किए बिना न छोड़ी।। 16. तब यहोशू ने उस सारे देश को, अर्यात् पहाड़ी देश, और सारे दक्खिनी देश, और कुल गोशेन देश, और नीचे के देश, अराबा, और इस्राएल के पहाड़ी देश, और उसके नीचे वाले देश को, 17. हालाक नाम पहाड़ से ले, जो सेईर की चढ़ाई पर है, बालगाद तक, जो लबानोन के मैदान में हेर्मोन पर्वत के नीचे है, जितने देश हैं उन सब को जीत लिया और उन देशोंके सारे राजाओं को पकड़कर मार डाला। 18. उन सब राजाओं से युद्ध करते करते यहोशू को बहुत दिन लग गए। 19. गिबोन के निवासी हिव्वियोंको छोड़ और किसी नगर के लोगोंने इस्राएलियोंसे मेल न किया; और सब नगरोंको उन्होंने लड़ लड़कर जीत लिया। 20. क्योंकि यहोवा की जो मनसा यी, कि अपक्की उस आज्ञा के अनुसार जो उस ने मूसा को दी यी उन पर कुछ भी दया न करे; वरन सत्यानाश कर डाले, इस कारण उस ने उनके मन ऐसे कठोर कर दिए, कि उन्होंने इस्राएलियोंका साम्हना करके उन से युद्ध किया।। 21. उस समय यहोशू ने पहाड़ी देश में आकर हेब्रोन, दबीर, अनाब, वरन यहूदा और इस्राएल दोनोंके सारे पहाड़ी देश में रहनेवाले अनाकियोंको नाश किया; यहोशू ने नगरोंसमेत उन्हें सत्यानाश कर डाला। 22. इस्राएलियोंके देश में कोई अनाकी न रह गया; केवल अज्जा, गत, और अशदोद में कोई कोई रह गए। 23. जैसा यहोवा ने मूसा से कहा या, वैसा ही यहोशू ने वह सारा देश ले लिया; और उसे इस्राएल के गोत्रोंऔर कुलोंके अनुसार बांट करके उन्हें दे दिया। और देश को लड़ाई से शान्ति मिली।।
Chapter 12
1. यरदन पार सूर्योदय की ओर, अर्यात् अर्नोन नाले से लेकर हेर्मोन पर्वत तक के देश, और सारे पूर्वी अराबा के जिन राजाओं को इस्राएलियोंने मारकर उनके देश को अपके अधिक्कारने में कर लिया या थे हैं; 2. एमोरियोंका हेशबोनवासी राजा सीहोन, जो अर्नोन नाले के किनारे के अरोएर से लेकर, और उसी नाले के बीच के नगर को छोड़कर यब्बोक नदी तक, जो अम्मोनियोंका सिवाना है, आधे गिलाद पर, 3. और किन्नेरेत नाम ताल से लेकर बेत्यशीमोत से होकर अराबा के ताल तक, जो खारा ताल भी कहलाता है, पूर्व की ओर के अराबा, और दक्खिन की ओर पिसगा की सलामी के नीचे नीचे के देश पर प्रभुता रखता या। 4. फिर बचे हुए रपाइयोंमें से बाशान के राजा ओग का देश या, जो अशतारोत और ऐंदर््रई में रहा करता या, 5. और हेर्मोन पर्वत सलका, और गशूरियों, और माकियोंके सिवाने तक कुल बाशान में, और हेशबोन के राजा सीहोन के सिवाने तक आधे गिलाद में भी प्रभुता करता या। 6. इस्राएलियोंऔर यहोवा के दास मूसा ने इनको मार लिया; और यहोवा के दास मूसा ने उनका देश रूबेनियोंऔर गादियोंऔर मनश्शे के आधे गोत्र के लोगोंको दे दिया।। 7. और यरदन के पश्चिम की ओर, लबानोन के मैदान में के बालगात से लेकर सेईर की चढ़ाई के हालाक पहाड़ तक के देश के जिन राजाओं को यहोशू और इस्राएलियोंने मारकर उनका देश इस्राएलियोंके गोत्रोंऔर कुलोंके अनुसार भाग करके दे दिया या वे थे हैं, 8. हित्ती, और एमोरी, और कनानी, और परिज्जी, और हिव्वी, और यबूसी, जो पहाड़ी देश में, और नीचे के देश में, और अराबा में, और ढालू देश में और जंगल में, और दक्खिनी देश में रहते थे। 9. एक, यरीहो का राजा; एक, बेतेल के पास के ऐ का राजा; 10. एक, यरूशलेम का राजा; एक, हेब्रोन का राजा; 11. एक, यर्मूत का राजा; एक, लाकीश का राजा; 12. एक, एग्लोन का राजा; एक, गेजेर का राजा; 13. एक, दबीर का राजा; एक, गेदेर का राजा; 14. एक, होर्मा का राजा; एक, अराद का राजा; 15. एक, लिब्ना का राजा; एक, अदुल्लाम का राजा; 16. एक, मक्केदा का राजा; एक, बेतेल का राजा; 17. एक, तप्पूह का राजा; एक, हेपेर का राजा; 18. एक, अपेक का राजा; एक, लश्शारोन का राजा; 19. एक, मदोन का राजा; एक, हासोर का राजा; 20. एक, शिम्रोन्मरोन का राजा; एक, अझाप का राजा; 21. एक, तानाक का राजा; एक, मगिद्दो का राजा; 22. एक, केदेश का राजा; एक, कर्मैल में के योकनाम का राजा; 23. एक, दोर नाम ऊंचे देश में के दोर का राजा; एक, गिलगाल में के गोयीम का राजा; 24. और एक, तिर्सा का राजा; इस प्रकार सब राजा इकतीस हुए।।
Chapter 13
1. यहोशू बूढ़ा और बहुत उम्र का हो गया; और यहोवा ने उस से कहा, तू बूढ़ा और बहुत उम्र का हो गया है, और बहुत देश रह गए हैं, जो इस्राएल के अधिक्कारने में अभी तक नहीं आए। 2. थे देश रह गए हैं, अर्यात् पलिश्तियोंका सारा प्रान्त, और सारे गशूरी 3. (मिस्र के आगे शीहोर से लेकर उत्तर की ओर एक्रोन के सिवाने तक जो कनानियोंका भाग गिना जाता है; और पलिश्िितयोंके पांचोंसरदार, अर्यात् अज्जा, अशदोद, अशकलोन, गत, और एक्रोन के लोग), और दक्खिनी ओर अव्वी भी, 4. फिर अपेक और एमोरियोंके सिवाने तक कनानियो का सारा देश और सीदोनियोंका मारा नाम देश, 5. फिर गवालियोंका देश, और सूर्योदय की ओर हेर्मोन पर्वत के नीचे के बालगाद से लेकर हमात की घाटी तक सारा लबानोन, 6. फिर लबानोन से लेकर मिस्रपोतमैम तक सीदोनियोंके पहाड़ी देश के निवासी। इनको मैं इस्राएलियोंके साम्हने से निकाल दूंगा; इतना हो कि तू मेरी आज्ञा के अनुसार चिट्ठी डाल डालकर उनका देश इस्राएल को बांट दे। 7. इसलिथे तू अब इस देश को नवोंगोत्रोंऔर मनश्शे के आधे गोत्र को उनका भाग होने के लिथे बांट दे।। 8. इसके साय रूबेनियोंऔर गादियोंको तो वह भाग मिल चुका या, जिसे मूसा ने उन्हें यरदन के पूर्व की ओर दिया या, क्योंकि यहोवा के दास मूसा ने उन्हीं को दिया या, 9. अर्यात् अर्नोन नाम नाले के किनारे के अरोएक से लेकर, और उसी नाले के बीच के नगर को छोड़कर दीबोन तक मेदवा के पास का सारा चौरस देश; 10. और अम्मोनियोंके सिवाने तक हेशबोत में विराजनेवाले एमोरियोंके राजा सीहोन के सारे नगर; 11. और गिलाद देश, और गशूरियोंऔर माकावासियोंका सिवाना, और सारा हेर्मोन पर्वत, और सल्का तक कुल बाशान, 12. फिर आशतारोत और एद्रेई में विराजनेवाले उस ओग का सारा राज्य जो रपइशें में से अकेला बच गया या; क्योंकि इन्ही को मूसा ने मारकर उनकी प्रजा को उस देश से निकाल दिया या। 13. परन्तु इस्राएलियोंने गशूरियोंऔर माकियोंको उनके देश से न निकाला; इसलिथे गशूरी और माकी इस्राएलियोंके मध्य में आज तक रहते हैं। 14. और लेवी के गोत्रियोंको उस ने कोई भाग न दिया; क्योंकि इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के वचन के अनुसार उसी के हव्य उनके लिथे भाग ठहरे हैं। 15. मूसा ने रूबेन के गोत्र को उनके कुलोंके अनुसार दिया, 16. अर्यात् अर्नोन नाम नाले के किनारे के अरोएर से लेकर और उसी नाले के बीच के नगर को छोड़कर मेदबा के पास का सारा चौरस देश; 17. फिर चौरस देश में का हेशबोन और उसके सब गांव; फिर दीबोन, बामोतबाल, बेतबाल्मोन, 18. यहसा, कदेमोत, मेपात, 19. किर्यातैम, सिबमा, और तराई में के पहाड़ पर बसा हुआ सेरेयश्शहर, 20. बेंतपोर, पिसगा की सलामी और बेत्यशीमोत, 21. निदान चौरस देश में बसे हुए हेशबोन में विराजनेवाले एमोरियोंके उस राजा सीहोन के राज्य के कुल नगर जिन्हें मूसा ने मार लिया या। मूसा ने एवी, रेकेम, सूर, हूर, और रेबा नाम मिद्दान के प्रधानोंको भी मार डाला या जो सीहोन के ठहराए हुए हाकिम और उसी देश के निवासी थे। 22. और इस्राएलियोंने उनके और मारे हुओं के साय बोर के पुत्र भावी कहनेवाले बिलाम को भी तलवार से मार डाला। 23. और रूबेनियोंका सिवाना यरदन का तीर ठहरा। रूबेनियोंका भाग उनके कुलोंके अनुसार नगरोंऔर गांवोंसमेत यही ठहरा।। 24. फिर मूसा ने गाद के गोत्रियोंको भी कुलोंके अनुसार उनका निज भाग करके बांट दिया। 25. तब यह ठहरा, अर्यात् याजेर आदि गिलाद के सारे नगर, और रब्बा के साम्हने के अरोएर तक अम्मोनियोंका आधा देश, 26. और हेशबोन से रामतमिस्पे और बतोनीम तक, और महनैम से दबीर के सिवाने तक, 27. और तराई में बेयारम, बेनिम्रा, सुक्कोत, और सापोन, और हेश्बोन के राजा सीहोन के राज्य के बचे हुए भाग, और किन्नेरेत नाम ताल के सिक्के तक, यरदन के पूर्व की ओर का वह देश जिसका सिवाना यरदन है। 28. गादियोंका भाग उनके कुलोंके अनुसार नगरोंऔर गांवोंसमेत यही ठहरा।। 29. फिर मूसा ने मनश्शे के आधे गोत्रियोंको भी उनका निज भाग कर दिया; वह मनश्शेइयोंके आधे गोत्र का निज भाग उनके कुलोंके अनुसार ठहरा। 30. वह यह है, अर्यात् महनैम से लेकर बाशान के राजा ओग के राज्य का सब देश, और बाशान में बसी हुई याईर की साठोंबस्तियां, 31. और गिलाद का आधा भाग, और अश्तारोत, और एद्रेई, जो बाशान में ओग के राज्य के नगर थे, थे मनश्शे के पुत्र माकीर के वंश का, अर्यात् माकीर के आधे वंश का निज भाग कुलोंके अनुसार ठहरे।। 32. जो भाग मूसा ने मोआब के अराबा में यरीहो के पास के यरदन के पूर्व की ओर बांट दिए वे थे ही हैं। 33. परन्तु लेवी के गोत्र को मूसा ने कोई भाग न दिया; इस्राएल का परमेश्वर यहोवा ही अपके वचन के अनुसार उनका भाग ठहरा।।
Chapter 14
1. जो जो भाग इस्राएलियोंने कनान देश में पाए, उन्हें एलीआजर याजक, और नून के पुत्र यहोशू, और इस्राएली गोत्रोंके पूर्वजोंके घरानोंके मुख्य मुख्य पुरूषोंने उनको दिया वे थे हैं। 2. जो आज्ञा यहोवा ने मूसा के द्वारा साढ़े नौ गोत्रोंके लिथे दी यी, उसके अनुसार उनके भाग चिट्ठी डाल डालकर दिए गए। 3. मूसा ने तो अढ़ाई गोत्रोंके भाग यरदन पार दिए थे; परन्तु लेवियोंको उसने उनके बीच कोई भाग न दिया या। 4. यूसुफ के वंश के तो दो गोत्र हो गए थे, अर्यात् मनश्शे और एप्रैम; और उस देश में लेवियोंको कुछ भाग न दिया गया, केवल रहने के नगर, और पशु आदि धन रखने को और चराइयां उनको मिलीं। 5. जो आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी यी उसके अनुसार इस्राएलियोंने किया; और उन्होंने देश को बांट लिया।। 6. तब यहूदी यहोशू के पास गिलगाल में आए; और कनजी यपुन्ने के पुत्र कालेब ने उस से कहा, तू जानता होगा कि यहोवा ने कादेशबर्ने में परमेश्वर के जन मूसा से मेरे और तेरे विषय में क्या कहा या। 7. जब यहोवा के दास मूसा ने मुझे इस देश का भेद लेने के लिथे कादेशबर्ने से भेजा या तब मैं चालीस वर्ष का या; और मैं सच्चे मन से उसके पास सन्देश ले आया। 8. और मेरे सायी जो मेरे संग गए थे उन्होंने तो प्रजा के लोगोंको निराश कर दिया, परन्तु मैं ने अपके परमेश्वर यहोवा की पूरी रीति से बात मानी। 9. तब उस दिन मूसा ने शपय खाकर मुझ से कहा, तू ने पूरी रीति से मेरे परमेश्वर यहोवा की बातोंका अनुकरण किया है, इस कारण नि:सन्देह जिस भूमि पर तू अपके पांव धर आया है वह सदा के लिथे तेरा और तेरे वंश का भाग होगी। 10. और अब देख, जब से यहोवा ने मूसा से यह वचन कहा या तब से पैतालीस वर्ष हो चुके हैं, जिन में इस्राएली जंगल में घूमते फिरते रहे; उन में यहोवा ने अपके कहने के अनुसार मुझे जीवित रखा है; और अब मैं पचासी वर्ष का हूं। 11. जितना बल मूसा के भेजने के दिन मुझ में या उतना बल अभी तक मुझ में है; युद्ध करने, वा भीतर बाहर आने जाने के लिथे जितनी उस समय मुझ मे सामर्य्य यी उतनी ही अब भी मुझ में सामर्य्य है। 12. इसलिथे अब वह पहाड़ी मुझे दे जिसकी चर्चा यहोवा ने उस दिन की यी; तू ने तो उस दिन सुना होगा कि उस में अनाकवंशी रहते हैं, और बड़े बड़े गढ़वाले नगर भी हैं; परन्तु क्या जाने सम्भव है कि यहोवा मेरे संग रहे, और उसके कहने के अनुसार मैं उन्हें उनके देश से निकाल दूं। 13. तब यहोशू ने उसको आशीर्वाद दिया; और हेब्रोन को यपुन्ने के पुत्र कालेब का भाग कर दिया। 14. इस कारण हेब्रोन कनजी यपुन्ने के पुत्र कालेब का भाग आज तक बना है, क्योंकि वह इस्राएल के परमेश्वर यहोवा का पूरी रीति से अनुगामी या। 15. पहिले समय में तो हेब्रोन का नाम किर्यतर्बा या; वह अर्बा अनाकियोंमें सब से बड़ा पुरूष या। और उस देश को लड़ाई से शान्ति मिली।।
Chapter 15
1. यहूदियोंके गोत्र का भाग उनके कुलोंके अनुसार चिट्ठी डालने से एदोम के सिवाने तक, और दक्खिन की ओर सीन के जंगल तक जो दक्खिनी सिवाने पर है ठहरा। 2. उनके भाग का दक्खिनी सिवाना खारे ताल के उस सिक्केवाले कोल से आरम्भ हुआ जो दक्खिन की ओर बढ़ा है; 3. और वह अक्रब्बीम नाम चढ़ाई की दक्खिनी ओर से निकलकर सीन होते हुए कादेशबर्ने के दक्खिन की ओर को चढ़ गया, फिर हेस्रोन के पास हो अद्दार को चढ़कर कर्काआ की ओर मुड़ गया, 4. वहां से अम्मोन होते हुए वह मिस्र के नाले पर निकला, और उस सिवाने का अन्त समुद्र हुआ। तुम्हारा दक्खिनी सिवाना यही होगा। 5. फिर पूर्वी सिवाना यरदन के मुहाने तक खारा ताल ही ठहरा, और उत्तर दिशा का सिवाना यरदन के मुहाने के पास के ताल के कोल से आरम्भ करके, 6. बेयोग्ला को चढ़ते हुए बेतराबा की उत्तर की ओर होकर रूबेनी बोहनवाले नाम पत्यर तक चढ़ गया; 7. और वही सिवाना आकोर नाम तराई से दबीर की ओर चढ़ गया, और उत्तर होते हुए गिलगाल की ओर फुका जो नाले की दक्खिन ओर की अदुम्मीम की चढ़ाई के साम्हने है; वहां से वह एनशेमेश नाम सोते के पास पहुंचकर एनरोगेल पर निकला; 8. फिर वही सिवाना हिन्नोम के पुत्र की तराई से होकर यबूस (जो यरूशलेम कहलाता है) उसकी दक्खिन अलंग से बढ़ते हुए उस पहाड़ की चोटी पर पहुंचा, जो पश्चिम की ओर हिन्नोम की तराई के साम्हने और रपाईम की तराई के उत्तरवाले सिक्के पर है; 9. फिर वही सिवाना उस पहाड़ की चोटी से नेप्तोह नाम सोते को चला गया, और एप्रोन पहाड़ के नगरोंपर निकला; फिर वहां से बाला को ( जो किर्यत्यारीम भी कहलाता है) पहुंचा; 10. फिर वह बाला से पश्चिम की ओर मुड़कर सेईर पहाड़ तक पहुंचा, और यारीम पहाड़ (जो कसालोन भी कहलाता है) उस की उत्तरवाली अलंग से होकर बेतशेमेश को उतर गया, और वहां से तिम्ना पर निकला; 11. वहां से वह सिवाना एक्रोन की उत्तरी अलंग के पास होते हुए शिक्करोन गया, और बाला पहाड़ होकर यब्नेल पर निकला; और उस सिवाने का अन्त समुद्र का तट हुआ। 12. और पश्चिम का सिवाना महासमुद्र का तीर ठहरा। यहूदियोंको जो भाग उनके कुलोंके अनुसार मिला उसकी चारोंओर का सिवाना यही हुआ।। 13. और यपुन्ने के पुत्र कालेब को उसने यहोवा की आज्ञा के अनुसार यहूदियोंके बीच भाग दिया, अर्यात् किर्यतर्बा जो हेब्रोन भी कहलाता है (वह अर्बा अनाक का पिता या)। 14. और कालेब ने वहां से शेशै, अहीमन, और तल्मै नाम, अनाक के तीनोंपुत्रोंको निकाल दिया। 15. फिर वहां से वह दबीर के निवासियोंपर चढ़ गया; पूर्वकाल में तो दबीर का नाम किर्यत्सेपेर या। 16. और कालेब ने कहा, जो किर्यत्सेपेर को मारकर ले ले उसे मैं अपक्की बेटी अकसा को ब्याह दूंगा। 17. तब कालेब के भाई ओत्नीएल कनजी ने उसे ले लिया; और उस ने उसे अपक्की बेटी अकसा को ब्याह दिया। 18. और जब वह उसके पास आई, तब उस ने उसको पिता से कुछ भूमि मांगने को उभारा, फिर वह अपके गदहे पर से उतर पक्की, और कालेब ने उस से पूछा, तू क्या चाहती है? 19. वह बोली, मुझे आशीर्वाद दे; तू ने मुझे दक्खिन देश में की कुछ भूमि तो दी है, मुझे जल के सोते भी दे। तब उस ने ऊपर के सोते, नीचे के सोते, दोनोंउसे दिए।। 20. यहूदियोंके गोत्र का भाग तो उनके कुलोंके अनुसार यही ठहरा।। 21. और यहूदियोंके गोत्र के किनारे-वाले नगर दक्खिन देश में एदोम के सिवाने की ओर थे हैं, अर्यात् कबसेल, एदेर, यागूर, 22. कीना, दीमोना, अदादा, 23. केदेश, हासोर, यित्नान, 24. जीप, तेलेम, बालोत, 25. हासोर्हदत्ता, करिय्योथेस्रोन, (जो हासोर भी कहलाता है), 26. और अमाम, शमा, मोलादा, 27. हसर्गद्दा, हेशमोन, बेत्पालेत, 28. हसर्शूआल, बेर्शेबा, बिज्योत्या, 29. बाला, इय्यीम, एसेम, 30. एलतोलद, कसील, होर्मा, 31. सिकलग, मदमन्ना, सनसन्ना, 32. लबाओत, शिल्हीम, ऐन, और रिम्मोन; थे सब नगर उन्तीस हैं, और इनके गांव भी हैं।। 33. और नीचे के देश में थे हैं; अर्यात् एशताओल सोरा, अशना, 34. जानोह, एनगन्नीम, तप्पूह, एनाम, 35. यर्मूत, अदुल्लाम, सोको, अजेका, 36. शारैम, अदीतैम, गदेरा, और गदेरोतैम; थे सब चौदह नगर हैं, और इनके गांव भी हैं।। 37. फिर सनान, हदाशा, मिगदलगाद, 38. दिलान, मिस्पे, योक्तेल, 39. लाकीश, बोस्कत, एग्लोन, 40. कब्बोन, लहमास, कितलीश, 41. गदेरोत, बेतदागोन, नामा, और मक्केदा; थे सोलह नगर हैं, और इनके गांव भी हैं।। 42. फिर लिब्ना, ऐतेर, आशान, 43. यिप्ताह, अशना, नसीब, 44. कीला, अकजीब और मारेशा; थे नौ नगर हैं, और इनके गांव भी हैं। 45. फिर नगरोंऔर गांवोंसमेत एक्रोन, 46. और एक्रोन से लेकर समुद्र तक, अपके अपके गांवोंसमेत जितने नगर अशदोद की अलंग पर हैं।। 47. फिर अपके अपके नगरोंऔर गावोंसमेत अशदोद, और अज्जा, वरन मिस्र के नाले तक और महासमुद्र के तीर तक जितने नगर हैं।। 48. और पहाड़ी देश में थे हैं; अर्यात् शामीर, यत्तीर, सोको, 49. दन्ना, किर्यत्सन्ना (जो दबीर भी कहलाता है), 50. अनाब, एशतमो, आनीम, 51. गोशेन, होलोन, और गीलो; थे ग्यारह नगर हैं, और इनके गांव भी हैं।। 52. फिर अराब, दूमा, एशान, 53. यानीम, बेत्तप्पूह, अपेका, 54. हुमता, किर्यतर्बा (जो हेब्रोन भी कहलाता है, और सीओर;) थे नौ नगर हैं, और इनके गांव भी हैं।। 55. फिर माओन, कर्मेल, जीप, यूता, 56. मिज्रेल, योकदाम, जानोह, 57. कैन, गिबा, और तिम्ना; थे दस नगर हैं, और इनके गांव भी हैं।। 58. फिर हलहूल, बेतसूर, गदोर, 59. मरात, बेतनोत, और एलतकोन; थे छ: नगर हैं, और इनके गांव भी हैं।। 60. फिर किर्यतबाल (जो किर्यत्बारीम भी कहलाता है), और रब्बा; थे दो नगर हैं, और इनके गांव भी हैं।। 61. और जंगल में थे नगर हैं, अर्यात् बेतराबा, मिद्दीन, सकाका; 62. निबशान, लोनवाला नगर, और एनगदी, थे छ: नगर हैं, और इनके गांव भी हैं।। 63. यरूशलेम के निवासी यबूसिक्कों यहूदी न निकाल सके; इसलिथे आज के दिन तक यबूसी यहूदियोंके संग यरूशलेम में रहते हैं।।
Chapter 16
1. फिर यूसुफ की सन्तान का भाग चिट्ठी डालने से ठहराया गया, उनका सिवाना यरीहो के पास की यरदन नदी से, अर्यात् पूर्ब की ओर यरीहो के जल से आरम्भ होकर उस पहाड़ी देश से होते हुए, जो जंगल में हैं, बेतेल को पहुंचा; 2. वहां से वह लूज तक पहुंचा, और एरेकियोंके सिवाने होते हुए अतारोत पर जा निकला; 3. और पश्चिम की ओर यपकेतियोंके सिवाने से उतरकर फिर नीचेवाले बेयोरोन के सिवाने से होकर गेजेर को पहुंचा, और समुद्र पर निकला। 4. तब मनश्शे और एप्रैम नाम यूसुफ के दोनोंपुत्रोंकी सन्तान ने अपना अपना भाग लिया। 5. एप्रैमियोंका सिवाना उनके कुलोंके अनुसार यह ठहरा; अर्यात् उनके भाग का सिवाना पूर्व से आरम्भ होकर अत्रोतदार से होते हुए ऊपर वाले बेयोरोन तक पहुंचा; 6. और उत्तरी सिवाना पश्चिम की ओर के मिकमतात से आरम्भ होकर पूर्व की ओर मुड़कर तानतशीलो को पहुंचा, और उसके पास से होते हुए यानोह तक पहुंचा; 7. फिर यानोह से वह अतारोत और नारा को उतरता हुआ यरीहो के पास होकर यरदन पर निकला। 8. फिर वही सिवाना तप्पूह से निकलकर, और पश्चिम की ओर जाकर, काना के नाले तक होकर समुद्र पर निकला। एप्रैमियोंके गोत्र का भाग उनके कुलोंके अनुसार यही ठहरा। 9. और मनश्शेइयोंके भाग के बीच भी कई एक नगर अपके अपके गांवोंसमेत एप्रैमियोंके लिथे अलग किथे गए। 10. परन्तु जो कनानी गेजेर में बसे थे उनको एप्रैमियोंने वहां से नहीं निकाला; इसलिथे वे कनानी उनके बीच आज के दिन तक बसे हैं, और बेगारी में दास के समान काम करते हैं।।
Chapter 17
1. फिर यूसुफ के जेठे मनश्शे के गोत्र का भाग चिट्ठी डालने से यह ठहरा। मनश्शे का जेठा पुत्र गिलाद का पिता माकीर योद्धा या, इस कारण उसके वंश को गिलाद और बाशान मिला। 2. इसलिथे यह भाग दूसरे मनश्शेइशें के लिथे उनके कुलोंके अनुसार ठहरा, अर्यात् अबीएजेर, हेलेक, असीएल, शेकेम, हेपेर, और शमीदा; जो अपके अपके कुलोंके अनुसार यूसुफ के पुत्र मनश्शे के वंश में के पुरूष थे, उनके अलग अलग वंशोंके लिथे ठहरा। 3. परन्तु हेपेर जो गिलाद का पुत्र, माकीर का पोता, और मनश्शे का परपोता या, उसके पुत्र सलोफाद के बेटे नहीं, बेटियां ही हुईं; और उनके नाम महला, नोआ, होग्ला, मिलका, और तिर्सा हैं। 4. तब वे एलीआज़र याजक, नून के पुत्र यहोशू, और प्रधानोंके पास जाकर कहने लगीं, यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी यी, कि वह हम को हमारे भाइयोंके बीच भाग दे। तो यहोशू ने यहोवा की आज्ञा के अनुसार उन्हें उनके चाचाओं के बीच भाग दिया। 5. तब मनश्शे को, यरदन पार गिलाद देश और बाशान को छोड़, दस भाग मिले; 6. क्योंकि मनश्शेइयोंके बीच में मनश्शेई स्त्रियोंको भी भाग मिला। और दूसरे मनश्शेइयोंको गिलाद देश मिला। 7. और मनश्शे का सिवाना आशेर से लेकर मिकमतात तक पहुंचा, जो शकेम के साम्हने है; फिर वह दक्खिन की ओर बढ़कर एनतप्पूह के निवासियोंतक पहुंचा। 8. तप्पूह की भूमि तो मनश्शे को मिली, परन्तु तप्पूह नगर जो मनश्शे के सिवाने पर बसा है वह एप्रैमियोंका ठहरा। 9. फिर वहां से वह सिवाना काना के नाले तक उतरके उसके दक्खिन की ओर तक पहुंच गया; थे नगर यद्दपि मनश्शे के सिवाने पर बसा है वह एप्रैमियोंका ठहरा। 10. दक्खिन की ओर का देश तो एप्रैम को और उत्तर की ओर का मनश्शे को मिला, और उसका सिवाना समुद्र ठहरा; और वे उत्तर की ओर आशेर से और पूर्व की ओर इस्साकर से जा मिले। 11. और मनश्शे की, इस्साकार और आशेर अपके अपके नगरोंसमेत बेतशान, यिबलाम, और अपके नगरोंसमेत तानाक कि निवासी, और अपके नगरोंसमेत मगिद्दो के निवासी, थे तीनोंजो ऊंचे स्यानोंपर बसे हैं मिले। 12. परन्तु मनश्शेई उन नगरोंके निवासिक्कों उन में से नहीं निकाल सके; इसलिथे वे कनानी उस देश में बरियाई से बसे ही रहे। 13. तौभी जब इस्राएली सामर्यी हो गए, तब कनानियोंसे बेगारी तो कराने लगे, परन्तु उनको पूरी रीति से निकाल बाहर न किया।। 14. यूसुफ की सन्तान यहोशू से कहने लगी, हम तो गिनती में बहुत हैं, क्योंकि अब तक यहोवा हमें आशीष ही देता आया है, फिर तू ने हमारे भाग के लिथे चिट्ठी डालकर क्योंएक ही अंश दिया है? 15. यहोशू ने उन से कहा, यदि तुम गिनती में बहुत हो, और एप्रैम का पहाड़ी देश तुम्हारे लिथे छोटा हो, तो परिज्जयोंऔर रपाइयोंका देश जो जंगल है उसमें जाकर पेड़ोंको काट डालो। 16. यूसुफ की सन्तान ने कहा, वह पहाड़ी देश हमारे लिथे छोटा है; और क्या बेतसान और उसके नगरोंमें रहनेवाले, क्या यिज्रेल की तराई में रहेनवाले, जितने कनानी नीचे के देश में रहते हैं, उन सभोंके पास लोहे के रय हैं। 17. फिर यहोशू ने, क्या एप्रैमी क्या मनश्शेई, अर्यात् यूसुफ के सारे घराने से कहा, हां तुम लोग तो गिनती में बहुत हो, और तुम्हारी बड़ी सामर्य भी है, इसलिथे तुम को केवल एक ही भाग न मिलेगा; 18. पहाड़ी देश भी तुम्हारा हो जाएगा; क्योंकि वह जंगल तो है, परन्तु उसके पेड़ काट डालो, तब उसके आस पास का देश भी तुम्हारा हो जाएगा; क्योंकि चाहे कनानी सामर्यी हों, और उनके पास लोहे के रय भी हों, तौभी तुम उन्हें वहां से निकाल सकोगे।।
Chapter 18
1. फिर इस्राएलियोंको सारी मण्डली ने शीलो में इकट्ठी होकर वहां मिलापवाले तम्बू को खड़ा किया; क्योंकि देश उनके वश में आ गया या। 2. और इस्राएलियोंमें से सात गोत्रोंके लोग अपना अपना भाग बिना पाथे रह गए थे। 3. तब यहोशू ने इस्राएलियोंसे कहा, जो देश तुम्हारे पूर्वजोंके परमेश्वर यहोवा ने तुम्हें दिया है, उसे अपके अधिक्कारने में कर लेने में तुम कब तक ढिलाई करते रहोगे? 4. अब प्रति गोत्र के पीछे तीन मनुष्य ठहरा लो, और मैं उन्हें इसलिथे भेजूंगा कि वे चलकर देश में घूमें फिरें, और अपके अपके गोत्र के भाग के प्रयोजन के अनुसार उसका हाल लिख लिखकर मेरे पास लौट आएं। 5. और वे देश के सात भाग लिखें, यहूदी तो दक्खिन की ओर अपके भाग में, और यूसुफ के घराने के लोग उत्तर की ओर अपके भाग में रहें। 6. और तुम देश के सात भाग लिखकर मेरे पास ले आओ; और मैं यहां तुम्हारे लिथे अपके परमेश्वर यहोवा के साम्हने चिट्ठी डालूंगा। 7. और लेवियोंका तुम्हारे मध्य में कोई भाग न होगा, क्योंकि यहोवा का दिया हुआ याजकपद ही उनका भाग है; और गाद, रूबेन, और मनश्शे के आधे गोत्र के लोग यरदन के पूर्व की ओर यहोवा के दास मूसा का दिया हुआ अपना अपना भाग पा चुके हैं। 8. तो वे पुरूष उठकर चल दिए; और जो उस देश का हाल लिखने को चले उन्हें यहोशू ने यह आज्ञा दी, कि जाकर देश में घूमो फिरो, और उसका हाल लिखकर मेरे पास लौट आओ; और मैं यहां शिलोंमें यहोवा के साम्हने तुम्हारे लिथे चिट्ठी डालूंगा। 9. तब वे पुरूष चल दिए, और उस देश में घूमें, और उसके नगरोंके सात भाग करके उनका हाल पुस्तक में लिखकर शीलो की छावनी में यहोशू के पास आए। 10. तब यहोशू ने शीलोंमें यहोवा के साम्हने उनके लिथे चिट्ठियां डालीं; और वहीं यहोशू ने इस्राएलियोंको उनके भागोंके अनुसार देश बांट दिया।। 11. और बिन्यामीनियोंके गोत्र की चिट्ठी उनके कुलोंके अनुसार निकली, और उनका भाग यहूदियोंऔर यूसुफियोंके बीच में पड़ा। 12. और उनका उत्तरी सिवाना यरदन से आरम्भ हुआ, और यरीहो की उत्तर अलंग से चढ़ते हुए पश्चिम की ओर पहाड़ी देश में होकर बेतावेन के जंगल में निकला; 13. वहां से वह लूज को पहुंचा (जो बेतेल भी कहलाता है), और लूज की दक्खिन अलंग से होते हुए निचले बेयोरोन की दक्खिन ओर के पहाड़ के पास हो अत्रोतद्दार को उतर गया। 14. फिर पश्चिमी सिवाना मुड़के बेयोरोन के साम्हने और उसकी दक्खिन ओर के पहाड़ से होते हुए किर्यतबाल नाम यहूदियोंके एक नगर पर निकला (जो किर्यत्यारीम भी कहलाता है); पश्चिम का सिवाना यही ठहरा। 15. फिर दक्खिन अलंग का सिवाना पश्चिम से आरम्भ होकर किर्यत्यारीम के सिक्के से निकलकर नेप्तोह के सोते पर पहुंचा; 16. और उस पहाड़ के सिक्के पर उतरा, जो हिन्नोम के पुत्र की तराई के साम्हने और रपाईम नाम तराई की उत्तर ओर है; वहां से वह हिन्नोम की तराई में, अर्यात् यबूस की दक्खिन अलंग होकर एनरोगेल को उतरा; 17. वहां से वह उत्तर की ओर मुड़कर एनशेमेश को निकलकर उस गलीलोत की ओर गया, जो अदुम्मीम की चढ़ाई के साम्हने है, फिर वहां से वह रूबेन के पुत्र बोहन के पत्यर तक उतर गया; 18. वहां से वह उत्तर की ओर जाकर अराबा के साम्हने के पहाड़ की अलंग से होते हुए अराबा को उतरा; 19. वहां से वह सिवाना बेयोग्ला की उत्तर अलंग से जाकर खारे ताल की उत्तर ओर के कोल में यरदन के मुहाने पर निकला; दक्खिन का सिवाना यही ठहरा। 20. और पूर्व की ओर का सिवाना यरदन ही ठहरा। बिन्यामीनियोंका भाग, चारोंओर के सिवानोंसहित, उनके कुलोंके अनुसार, यही ठहरा। 21. और बिन्यामीनियोंके गोत्र को उनके कुलोंके अनुसार थे नगर मिले, अर्यात् यरीहो, बेयोग्ला, एमेक्कसीस, 22. बेतराबा, समारैम, बेतेल, 23. अव्वीम, पारा, ओप्रा, 24. कपरम्मोनी, ओप्नी और गेबा; थे बारह नगर और इनके गांव मिले। 25. फिर गिबोन, रामा, बेरोत, 26. मिस्पे, कपीरा, मोसा, 27. रेकेम, यिर्पेल, तरला, 28. सेला, एलेप, यबूस (जो यरूशलेम भी कहलाता है), गिबल और किर्यत; थे चौदह नगर और इनके गांव उन्हें मिले। बिन्यामीनियोंका भाग उनके कुलोंके अनुसार यही ठहरा।।
Chapter 19
1. दूसरी चिट्ठी शमौन के नाम पर, अर्यात् शिमोनियोंके कुलोंके अनुसार उनके गोत्र के नाम पर निकली; और उनका भाग यहूदियोंके भाग के बीच में ठहरा। 2. उनके भाग में थे नगर हैं, अर्यात् बेर्शेबा, शेबा, मोलादा, 3. हसर्शूआल, बाला, एसेम, 4. एलतोलद, बतूल, होर्मा, 5. बेतलबाओत, और शारूहेन; थे तेरह नगर और इनके गांव उन्हें मिले। 6. बेतलबाओत, और शारूहेन; थे तेरह नगर और इनके गांव उन्हें मिले। 7. फिर ऐन, रिम्मोन, ऐतेर, और आशान, थे चार नगर गांवोंसमेत; 8. और बालत्बेर जो दिक्खन देश का रामा भी कहलाता है, वहां तक इन नगरोंके चारोंओर के सब गांव भी उन्हें मिले। शिमानियोंके गोत्र का भाग उनके कुलोंके अनुसार यही ठहरा। 9. शिमोनियोंका भाग तो यहूदियोंके अंश में से दिया गया; क्योंकि यहूदियोंका भाग उनके लिथे बहुत या, इस कारण शिमोनियोंका भाग उन्हीं के भाग के बीच ठहरा।। 10. तीसरी चिट्ठी जबूलूनियोंके कुलोंके अनुसार उनके नाम पर निकली। और उनके भाग का सिवाना सारीद तक पहुंचा; 11. और उनका सिवाना पश्चिम की ओर मरला को चढ़कर दब्बेशेत को पहुंचा; और योकनाम के साम्हने के नाले तक पहुंच गया; 12. फिर सारीद से वह सूर्योदय की ओर मुड़कर किसलोत्ताबोर के सिवाने तक पंहुचा, और वहां से बढ़ते बढ़ते दाबरत में निकला, और यापी की ओर जा निकला; 13. वहां से वह पूर्व की ओर आगे बढ़कर गथेपेर और इत्कासीन को गया, और उस रिम्मोन में निकला जो नेआ तक फैला हुआ है; 14. वहां से वह सिवाना उसके उत्तर की ओर से मुड़कर हन्नातोन पर पहुंचा, और यिप्तहेल की तराई में जा निकला; 15. कत्तात, नहलाल, शिभ्रोन, यिदला, और बेतलेहम; थे बारह नगर उनके गांवोंसमेत उसी भाग के ठहरे। 16. जबूलूनियोंका भाग उनके कुलोंके अनुसार यही ठहरा; और उस में अपके अपके गांवोंसमेत थे ही नगर हैं।। 17. चौयी चिट्ठी इस्साकारियोंके कुलोंके अनुसार उनके नाम पर निकली। 18. और उनका सिवाना यिज्रेल, कसुल्लोत, शूनेम 19. हपारैम, शीओन, अनाहरत, 20. रब्बीत, किश्योत, एबेस, 21. रेमेत, एनगन्नीम, एनहद्दा, और बेत्पस्सेस तक पहुंचा। 22. फिर वह सिवाना ताबोर-शहसूमा और बेतशेमेश तक पहुंचा, और उनका सिवाना यरदन नदी पर जा निकला; इस प्रकार उनको सोलह नगर अपके अपके गांवोंसमेत मिले। 23. कुलोंके अनुसार इस्साकारियोंके गोत्र का भाग नगरोंऔर गांवोंसमेत यही ठहरा।। 24. पांचक्कीं चिट्ठी आशेरियोंके गोत्र के कुलोंके अनुसार उनके नाम पर निकली। 25. उनके सिवाने में हेल्कत, हली, बेतेन, अझाप, 26. अलाम्मेल्लेक, अमाद, और मिशाल थे; और वह पश्चिम की ओर कार्म्मेल तक और शाहोलिर्ब्नात तक पहुंचा; 27. फिर वह सूर्योदय की ओर मुड़कर बेतदागोन को गया, और जबलून के भाग तक, और यिप्तहेल की तराई में उत्तर की ओर होकर बेतेमेक और नीएल तक पहुंचा और उत्तर की ओर जाकर काबूल पर निकला, 28. और वह एब्रोन, रहोब, हम्मोन, और काना से होकर बड़े सीदोन को पहुंचा; 29. वहां से वह सिवाना मुड़कर रामा से होते हुए सोन नाम गढ़वाले नगर तक चला गया; फिर सिवाना होसा की ओर मुड़कर और अकजीब के पास के देश में होकर समुद्र पर निकला, 30. उम्मा, अपेक, और रहोब भी उनके भाग में ठहरे; इस प्रकार बाईस नगर अपके अपके गांवोंसमेत उनको मिले। 31. कुलोंके अनुसार आशेरियोंके गोत्र का भाग नगरोंऔर गांवोंसमेत यही ठहरा।। 32. छठवीं चिट्ठी नप्तालियोंके कुलोंके अनुसार उनके नाम पर निकली। 33. और उनका सिवाना हेलेप से, और सानन्नीम में के बांज वृझ से, अदामीनेकेब और यब्नेल से होकर, और लक्कूम को जाकर यरदन पर निकला; 34. वहां से वह सिवाना पश्चिम की ओर मुड़कर अजनोत्ताबोर को गया, और वहां से हुक्कोक को गया, और दक्खिन, और जबूलून के भाग तक, और पश्चिम की ओर आशेर के भाग तक, और सूर्योदय की ओर यहूदा के भाग के पास की यरदन नदी पर पहुंचा। 35. और उनके गढ़वाले नगर थे हैं, अर्यात् सिद्दीम, सेर, हम्मत, रक्कत, किन्नेरेत, 36. अदामा, रामा, हासोर, 37. केदेश, एद्रेई, एन्हासेर, 38. यिरोन, मिगदलेल, होरेम, बेतनात, और बेतशेमेश; थे उन्नीस नगर गांवोंसमेत उनको मिले। 39. कुलोंके अुनसार नप्तालियोंके गोत्र का भाग नगरोंऔर उनके गांवोंसमेत यही ठहरा।। 40. सातवीं चिट्ठी कुलोंके अनुसार दानियोंके गोत्र के नाम पर निकली। 41. और उनके भाग के सिवाने में सोरा, एशताओल, ईरशमेश, 42. शालब्बीन, अय्यालोन, यितला, 43. एलोन, तिम्ना, एक्रोन, 44. एलतके, गिब्बतोन, बालात, 45. यहूद, बनेबराक, गत्रिम्मोन, 46. मेयर्कोन, और रक्कोन ठहरे, और यापो के साम्हने का सिवाना भी उनका या। 47. और दानियोंका भाग इस से अधिक हो गया, अर्यात् दानी लेशेम पर चढ़कर उस से लड़े, और उसे लेकर तलवार से मार डाला, और उसको अपके अधिक्कारने में करके उस में बस गए, और अपके मूलपुरूष के नाम पर लेशेम का नाम दान रखा। 48. कुलोंके अुनसार दानियोंके गोत्र का भाग नगरोंऔर गांवोंसमेत यही ठहरा।। 49. जब देश का बांटा जाना सिवानोंके अनुसार निपट गया, तब इस्राएलियोंने नून के पुत्र यहोशू को भी अपके बीच में एक भाग दिया। 50. यहोवा के कहने के अनुसार उन्होंने उसको उसका मांगा हुआ नगर दिया, यह एप्रैम के पहाड़ी देश में का विम्नत्सेरह है; और वह उस नगर को बसाकर उस में रहने लगा।। 51. जो जो भाग एलीआजर याजक, और नून के पुत्र यहोशू, और इस्राएलियोंके गोत्रोंके घरानोंके पूर्वजोंके मुख्य मुख्य पुरूषोंने शीलो में, मिलापवाले तम्बू के द्वार पर, यहोवा के साम्हने चिट्ठी डाल डालके बांट दिए वे थे ही हैं। निदान उन्होंने देश विभाजन का काम निपटा दिया।।
Chapter 20
1. फिर यहोवा ने यहोशू से कहा, 2. इस्राएलियोंसे यह कह, कि मैं ने मूसा के द्वारा तुम से शरण नगरोंकी जो चर्चा की यी उसके अनुसार उनको ठहरा लो, 3. जिस से जो कोई भूल से बिना जाने किसी को मार डाले, वह उन में से किसी में भाग जाए; इसलिथे वे नगर खून के पलटा लेनेवाले से बचने के लिथे तुम्हारे शरणस्यान ठहरें। 4. वह उन नगरोंमें से किसी को भाग जाए, और उस नगर के फाटक में से खड़ा होकर उसके पुरनियोंको अपना मुकद्दमा कह सुनाए; और वे उसको अपके नगर में अपके पास टिका लें, और उसे कोई स्यान दें, जिस में वह उनके साय रहे। 5. और यदि खून का पलटा लेनेवाला उसका पीछा करे, तो वे यह जानकर कि उस ने अपके पड़ोसी को बिना जाने, और पहिले उस से बिना बैर रखे मारा, उस खूनी को उसके हाथ में न दें। 6. और जब तक वह मण्डली के साम्हने न्याय के लिथे खड़ा न हो, और जब तक उन दिनोंका महाथाजक न मर जाए, तब तक वह उसी नगर में रहे; उसके बाद वह खूनी अपके नगर को लौटकर जिस से वह भाग आया हो अपके घर में फिर रहने पाए। 7. और उन्होंने नप्ताली के पहाड़ी देश में गलील के केदेश को, और एप्रैम के पहाड़ी देश में शकेम को, और यहूदा के पहाड़ी देश में किर्य्यतर्बा को, (जो हेब्रोन भी कहलाता है) पवित्र ठहराया। 8. और यरीहो के पास के यरदन के पूर्व की ओर उन्होंने रूबेन के गोत्र के भाग में बसेरे को, जो जंगल में चौरस भूमि पर बसा हुआ है, और गाद के गोत्र के भाग में गिलाद के रमोत को, और मनश्शे के गोत्र के भाग में बाशान के गालान को ठहराया। 9. सारे इस्राएलियोंके लिथे, और उन के बीच रहनेवाले परदेशियोंके लिथे भी, जो नगर इस मनसा से ठहराए गए कि जो कोई किसी प्राणी को भूल से मार डाले वह उन में से किसी में भाग जाए, और जब तक न्याय के लिथे मण्डली के साम्हने खड़ा न हो, तब तक खून का पलटा लेनेवाला उसे मार डालने न पाए, वे यह ही हैं।।
Chapter 21
1. तब लेवियोंके पूर्वजोंके घरानोंके मुख्य मुख्य पुरूष एलीआज़र याजक, और नून के पुत्र यहोशू, और इस्राएली गोत्रोंके पूर्वजोंके घरानोंके मुख्य मुख्य पुरूषोंके पास आकर 2. कनान देश के शीलो नगर में कहने लगे, यहोवा ने मूसा से हमें बसने के लिथे नगर, और हमारे पशुओं के लिथे उन्हीं नगरोंकी चराईयां भी देने की आज्ञा दिलाई यी। 3. तब इस्राएलियोंने यहोवा के कहने के अनुसार अपके अपके भाग में से लेवियोंको चराईयोंसमेत थे नगर दिए।। 4. और कहतियोंके कुलोंके नाम पर चिट्ठी निकली। इसलिथे लेवियोंमें से हारून याजक के वंश को यहूदी, शिमोन, और बिन्यामीन के गोत्रोंके भागोंमें से तेरह नगर मिले।। 5. और बाकी कहातियोंको एप्रैम के गोत्र के कुलों, और दान के गोत्र, और मनश्शे के आधे गोत्र के भागोंमें से चिट्ठी डाल डालकर दस नगर दिए गए।। 6. और गेर्शोनियोंको इस्साकार के गोत्र के कुलों, और आशेर, और नप्ताली के गोत्रोंके भागोंमें से, और मनश्शे के उस आधे गोत्र के भागोंमें से भी जो बाशान में या चिट्ठी डाल डालकर तेरह नगर दिए गए।। 7. और कुलोंके अनुसार मरारियोंको रूबेन, गाद, और जबूलून के गोत्रोंके भागोंमें से बारह नगर दिए गए।। 8. जो आज्ञा यहोवा ने मूसा से दिलाई भी उसके अनुसार इस्राएलियोंने लेवियोंको चराइयोंसमेत थे नगर चिट्ठी डाल डालकर दिए। 9. उन्होंने यहूदियोंऔर शिमोनियोंके गोत्रोंके भागोंमें से थे नगर जिनके नाम लिखे हैं दिए; 10. थे नगर लेवीय कहाती कुलोंमें से हारून के वंश के लिथे थे; क्योंकि पहिली चिट्ठी उन्हीं के नाम पर निकली यी। 11. अर्यात् उन्होंने उन को यहूदा के पहाड़ी देश में चारोंओर की चराइयोंसमेत किर्यतर्बा नगर दे दिया, जो अनाक के पिता अर्बा के नाम पर कहलाया और हेब्रोन भी कहलाता है। 12. परन्तु उस नगर के खेत और उसके गांव उन्होंने यपुन्ने के पुत्र कालेब को उसकी निज भूमि करके दे दिए।। 13. तब उन्होंने हारून याजक के वंश को चराइयोंसमेत खूनी के शरण नगर हेब्रोन, और अपक्की अपक्की चराइयोंसमेत लिब्ना, 14. यत्तीर, एशतमो, 15. होलोन, दबीर, ऐन, 16. युत्ता और बेतशेमेश दिए; इस प्रकार उन दोनोंगोत्रोंके भागोंमें से नौ नगर दिए गए। 17. और बिन्यामीन के गोत्र के भाग में से अपक्की अपक्की चराइयोंसमेत थे चार नगर दिए गए, अर्यात्गिबोन, गेबा, 18. अनातोत और अल्मोन 19. इस प्रकार हारूनवंशी याजकोंको तेरह नगर और उनकी चराईयां मिली।। 20. फिर बाकी कहाती लेवियोंके कुलोंके भाग के नगर चिट्ठी डाल डालकर एप्रैम के गोत्र के भाग में से दिए गए। 21. अर्यात् उनको चराइयोंसमेत एप्रैम के पहाड़ी देश में खूनी शरण लेने का शकेम नगर दिया गया, फिर अपक्की अपक्की चराइयोंसमेत गेजेर, 22. किबसैम, और बेयोरोन; थे चार नगर दिए गए। 23. और दान के गोत्र के भाग में से अपक्की अपक्की चराइयोंसमेत, एलतके, गिब्बतोन, 24. अय्यालोन, और गत्रिम्मोन; थे चार नगर दिए गए। 25. और मनश्शे के आधे गोत्र के भाग में से अपक्की अपक्की चराइयोंसमेत तानाक और गत्रिम्मोन; थे दो नगर दिए गए। 26. इस प्रकार बाकी कहातियोंके कुलोंके सब नगर चराइयोंसमेत दस ठहरे।। 27. फिर लेवियोंके कुलोंमें के गेर्शोनियोंको मनश्शे के आधे गोत्र के भाग में से अपक्की अपक्की चराइयोंसमेत खूनी के शरण नगर बाशान का गोलान और बेशतरा; थे दो नगर दिए गए। 28. और इस्साकार के गोत्र के भाग में से अपक्की अपक्की चराइयोंसमेत किश्योन, दाबरत, 29. यर्मूत, और एनगन्नीम; थे चार नगर दिए गए। 30. और आशेर के गोत्र के भाग में से अपक्की अपक्की चराइयोंसमेत मिशाल, अब्दोन, 31. हेल्कात, और रहोब; थे चार नगर दिए गए। 32. और नप्ताली के गोत्र के भाग में से अपक्की अपक्की चराइयोंसमेत खूनी के शरण नगर गलील का केदेश, फिर हम्मोतदोर, और कर्तान; थे तीन नगर दिए गए। 33. गेर्शोनियोंके कुलोंके अनुसार उनके सब नगर अपक्की अपक्की चराइयोंसमेत तेरह ठहरे।। 34. फिर बाकी लेवियों, अर्यात् मरारियोंके कुलोंको जबूलून के गोत्र के भाग में से अपक्की अपक्की चराइयोंसमेत योक्नाम, कर्ता, 35. दिम्ना, और नहलाल; थे चार नगर दिए गए। 36. और रूबेन के गोत्र के भाग में से अपक्की अपक्की चराइयोंसमेत बेसेर, यहसा, 37. केदेमोत, और मेपात; थे चार नगर दिए गए। 38. और गाद के गोत्र के भाग में से अपक्की अपक्की चराइयोंसमेत खूनी के शरण नगर गिलाद में का रामोत, फिर महनैम, 39. हेशबोन, और याजेर, जो सब मिलाकर चार नगर हैं दिए गए। 40. लेवियोंके बाकी कुलोंअर्यात् मरारियोंके कुलोंके अनुसार उनके सब नगर थे ही ठहरे, इस प्रकार उनको बारह नगर चिट्ठी डाल डालकर दिए गए।। 41. इस्राएलियोंकी निज भूमि के बीच लेवियोंके सब नगर अपक्की अपक्की चराइयोंसमेत अड़तालीस ठहरे। 42. थे सब नगर अपके अपके चारोंओर की चराइयोंके साय ठहरे; इन सब नगरोंकी यही दशा यी।। 43. इस प्रकार यहोवा ने इस्राएलियोंको वह सारा देश दिया, जिसे उस ने उनके पूर्वजोंसे शपय खाकर देने को कहा या; और वे उसके अधिक्कारनेी होकर उस में बस गए। 44. और यहोवा ने उन सब बातोंके अनुसार, जो उस ने उनके पूर्वजोंसे शपय खाकर कही यीं, उन्हें चारोंओर से विश्रम दिया; और उनके शत्रुओं में से कोई भी उनके साम्हने टिक न सका; यहोवा ने उन सभोंको उनके वश में कर दिया। 45. जितनी भलाई की बातें यहोवा ने इस्राएल के घराने से कही यीं उन में से कोई भी न छूटी; सब की सब पूरी हुई।।
Chapter 22
1. उस समय यहोशू ने रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियोंको बुलवाकर कहा, 2. जो जो आज्ञा यहोवा के दास मूसा ने तुम्हें दी यीं वे सब तुम ने मानी हैं, और जो जो आज्ञा मैं ने तुम्हें दी हैं उन सभोंको भी तुम ने माना है; 3. तुम ने अपके भाइयोंको इस मुद्दत में आज के दिन तक नहीं छोड़ा, परन्तु अपके परमेश्वर यहोवा की आज्ञा तुम ने चौकसी से मानी है। 4. और अब तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हारे भाइयोंको अपके वचन के अनुसार विश्रम दिया है; इसलिथे अब तुम लौटकर अपके अपके डेरोंको, और अपक्की अपक्की निज भूमि में, जिसे यहोवा के दास मूसा ने यरदन पार तुम्हें दिया है चले जाओ। 5. केवल इस बात की पूरी चौकसी करना कि जो जो आज्ञा और व्यवस्या यहोवा के दास मूसा ने तुम को दी है उसको मानकर अपके परमेश्वर यहोवा से प्रेम रखो, उसके सारे मार्गोंपर चलो, उसकी आज्ञाएं मानों, उसकी भंक्ति मे लौलीन रहो, और अपके सारे मन और सारे प्राण से उसकी सेवा करो। 6. तब यहोशू ने उन्हें आशीर्वाद देकर विदा किया; और वे अपके अपके डेरे को चले गए।। 7. मनश्शे के आधे गोत्रियोंको मूसा ने बासान में भाग दिया या; परन्तु दूसरे आधे गोत्र को यहोशू ने उनके भाइयोंके बीच यरदन के पश्चिम की ओर भाग दिया। उनको जब यहोशू ने विदा किया कि अपके अपके डेरे को जाएं, 8. तब उनको भी आशीर्वाद देकर कहा, बहुत से पशु, और चांदी, सोना, पीतल, लोहा, और बहुत से वस्त्र और बहुत धन-सम्पित लिए हुए अपके अपके डेरे को लौट आओ; और अपके शत्रुओं की लूट की सम्पत्ति को अपके भाइयोंके संग बांट लेना।। 9. तब रूबेनी, गादी, और मनश्शे के आधे गोत्री इस्राएलियोंके पास से, अर्यात् कनान देश के शीलो नगर से, अपक्की गिलाद नाम निज भूमि में, जो मूसा से दिलाई हुई, यहोवा की आज्ञा के अनुसार उनकी निज भूमि हो गई यी, जाने की मनसा से लौट गए। 10. और जब रूबेनी, गादी, और मनश्शे के आधे गोत्री यरदन की उस तराई में पहुंचे जो कनान देश में है, तब उन्होंने वहां देखने के योग्य एक बड़ी वेदी बनाई। 11. और इसका समाचार इस्राएलियोंके सुनने में आया, कि रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियोंने कनान देश के साम्हने यरदन की तराई में, अर्यात् उसके उस पार जो इस्राएलियोंका है, एक वेदी बनाई है। 12. जब इस्राएलियोंने यह सुना, तब इस्राएलियोंकी सारी मण्डली उन से लड़ने के लिथे चढ़ाई करने को शीलो में इकट्ठी हुई।। 13. तब इस्राएलियोंने रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियोंके पास गिलाद देश में एलीआज़र याजक के पुत्र पीनहास को, 14. और उसके संग दस प्रधानोंको, अर्यात् इस्राएल के एक एक गोत्र में से पूर्वजोंके घरानोंके एक एक प्रधान को भेजा, और वे इस्राएल के हजारोंमें अपके अपके पूर्वजोंके घरानोंके मुख्य पुरूष थे। 15. वे गिलाद देश में रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियोंके पास जाकर कहने लगे, 16. यहोवा की सारी मण्डली यह कहती है, कि तुम ने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा का यह कैसा विश्वासघात किया; आज जो तुम ने एक वेदी बना ली है, इस में तुम ने उसके पीछे चलना छोड़कर उसके विरूद्ध आज बलवा किया है? 17. सुनो, पोर के विषय का अधर्म हमारे लिथे कुछ कम या, यद्दपि यहोवा की मण्डली को भारी दण्ड मिला तौभी आज के दिन तक हम उस अधर्म से शुद्ध नहीं हुए; क्या वह तुम्हारी दृष्टि में एक छोटी बात है, 18. कि आज तुम यहोवा को त्यागकर उसके पीछे चलना छोड़ देते हो? क्या तुम यहोवा से फिर जाते हो, और कल वह इस्राएल की सारी मण्डली पर क्रोधित होगा। 19. परन्तु यदि तुम्हारी निज भूमि अशुद्ध हो, तो पार आकर यहोवा की निज भूमि में, जहां यहोवा का निवास रहता है, हम लोगोंके बीच में अपक्की अपक्की निज भूमि कर लो; परन्तु हमारे परमेश्वर यहोवा की बेदी को छोड़ और कोई वेदी बनाकर न तो यहोवा से बलवा करो, और न हम से। 20. देखो, जब जेरह के पुत्र आकान ने अर्पण की हुई वस्तु के विषय में विश्वासघात किया, तब क्या यहोवा का कोप इस्राएल की पूरी मण्डली पर न भड़का? और उस पुरूष के अधर्म का प्राणदण्ड अकेले उसी को न मिला।। 21. तब रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियोंने इस्राएल के हजारोंके मुख्य पुरूषोंको यह उत्तर दिया, 22. कि यहोवा जो ईश्वरोंका परमेश्वर है, ईश्वरोंका परमेश्वर यहोवा इसको जानता है, और इस्राएली भी इसे जान लेंगे, कि यदि यहोवा से फिरके वा उसका विश्वासघात करके हम ने यह काम किया हो, तो तू आज हम को जीवित न छोड़, 23. यदि आज के दिन हम ने वेदी को इसलिथे बनाया हो कि यहोवा के पीछे चलना छोड़ दें, वा इसलिथे कि उस पर होमबलि, अन्नबलि, वा मेलबलि चढ़ाएं, तो यहोवा आप इसका हिसाब ले; 24. परन्तु हम ने इसी विचार और मनसा से यह किया है कि कहीं भविष्य में तुम्हारी सन्तान हमारी सन्तान से यह न कहने लगे, कि तुम को इस्राएल के परमेश्वर यहोवा से क्या काम? 25. क्योंकि, हे रूबेनियों, हे गादियों, यहोवा ने जो हमारे और तुम्हारे बीच में यरदन को हद्द ठहरा दिया है, इसलिथे यहोवा में तुम्हारा कोई भाग नहीं है। ऐसा कहकर तुम्हारी सन्तान हमारी सन्तान में से यहोवा का भय छुड़ा देगी। 26. इसीलिथे हम ने कहा, आओ, हम अपके लिथे एक वेदी बना लें, वह होमबलि वा मेलबलि के लिथे नहीं, 27. परन्तु इसलिथे कि हमारे और तुम्हारे, और हमारे बाद हमारे और तुम्हारे वंश के बीच में साझी का काम दे; इसलिथे कि हम होमबलि, मेलबलि, और बलिदान चढ़ाकर यहोवा के सम्मुख उसकी उपासना करें; और भविष्य में तुम्हारी सन्तान हमारी सन्तान से यह न कहने पाए, कि यहोवा में तुम्हारा कोई भाग नहीं। 28. इसलिथे हम ने कहा, कि जब वे लोग भविष्य में हम से वा हमारे वंश से योंकहने लेगें, तब हम उन से कहेंगे, कि यहोवा के वेदी के नमूने पर बनी हुई इस वेदी को देखो, जिसे हमारे पुरखाओं ने होमबलि वा मेलबलि के लिथे नहीं बनाया; परन्तु इसलिथे बनाया या कि हमारे और तुम्हारे बीच में साझी का काम दे। 29. यह हम से दूर रहे कि यहोवा से फिरकर आज उसके पीछे चलना छोड़ दें, और अपके परमेश्वर यहोवा की उस वेदी को छोड़कर जो उसके निवास के साम्हने है होमबलि, और अन्नबलि, वा मेलबलि के लिथे दूसरी वेदी बनाएं।। 30. रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियोंकी इन बातोंको सुनकर पीनहास याजक और उसके संग मण्डली के प्रधान, जो इस्राएल के हजारोंके मुख्य पुरूष थे, वे अति प्रसन्न हुए। 31. और एलीआजर याजक के पुत्र पीनहास ने रूबेनियों, गादियों, और मनश्शेइयोंसे कहा, तुम ने जो यहोवा का ऐसा विश्वासघात नहीं किया, इस से आज हम ने यह जान लिया कि यहोवा हमारे बीच में है: और तुम लोगोंने इस्राएलियोंको यहोवा के हाथ से बचाया है। 32. तब एलीआज़र याजक का पुत्र पीनहास प्रधानोंसमेत रूबेनियोंऔर गादियोंके पास से गिलाद होते हुए कनान देश में इस्राएलियोंके पास लौट गया: और यह वृतान्त उनको कह सुनाया। 33. तब इस्राएली प्रसन्न हुए; और परमेश्वर को धन्य कहा, और रूबेनियोंऔर गादियोंसे लड़ने और उनके रहने का देश उजाड़ने के लिथे चढ़ाई करने की चर्चा फिर न की। 34. और रूबेनियोंऔर गादियोंने यह कहकर, कि यह वेदी हमारे और उनके मध्य में इस बात का साझी ठहरी है, कि यहोवा ही परमेश्वर है: उस वेदी का नाम एद रखा।।
Chapter 23
1. इसके बहुत दिनोंके बाद, जब यहोवा ने इस्राएलियोंको उनके चारोंओर के शत्रुओं से विश्रम दिया, और यहोशू बूढ़ा और बहुत आयु का हो गया, 2. तब यहोशू सब इस्राएलियोंको, अर्यात् पुरनियों, मुख्य पुरूषों, न्यायियों, और सरदारोंको बुलवाकर कहने लगा, मैं तो अब बूढ़ा और बहुत आयु का हो गया हूं; 3. और तुम ने देखा कि तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हारे निमित्त इन सब जातियोंसे क्या क्या किया है, क्योंकि जो तुम्हारी ओर लड़ता आया है वह तुम्हारा परमेश्वर यहोवा है। 4. देखो, मैं ने इन बची हुई जातियोंको चिट्ठी डाल डालकर तुम्हारे गोत्रोंका भाग कर दिया है; और यरदन से लेकर सूर्यास्त की ओर के बड़े समुद्र तक रहनेवाली उन सब जातियोंको भी ऐसा ही दिया है, जिनको मैं ने काट डाला है। 5. और तुम्हारा परमेश्वर यहोवा उनको तुम्हारे साम्हने से उनके देश से निकाल देगा; और तुम अपके परमेश्वर यहोवा के वचन के अनुसार उनके देश के अधिक्कारनेी हो जाओगे। 6. इसलिथे बहुत हियाव बान्धकर, जो कुछ मूसा की व्यवस्या की पुस्तक में लिखा है उसके पूरा करने में चौकसी करना, उस से न तो दाहिने मुड़ना और न बाएं। 7. थे जो जातियां तुम्हारे बीच रह गई हैं इनके बीच न जाना, और न इनके देवताओं के नामोंकी चर्चा करना, और न उनकी शपय खिलाना, और न उनकी उपासना करना, और न उनको दण्डवत् करना, 8. परन्तु जैसे आज के दिन तक तुम अपके परमेश्वर यहोवा की भक्ति में लवलीन रहते हो, वैसे ही रहा करना। 9. यहोवा ने तुम्हारे साम्हने से बड़ी बड़ी और बलवन्त जतियां निकाली हैं; और तुम्हारे साम्हने आज के दिन तक कोई ठहर नहीं सका। 10. तुम में से एक मनुष्य हजार मनुष्योंको भगाएगा, क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा अपके वचन के अनुसार तुम्हारी ओर से लड़ता है। 11. इसलिथे अपके परमेश्वर यहोवा से प्रेम रखने की पूरी चौकसी करना। 12. क्योंकि यदि तुम किसी रीति यहोवा से फिरकर इन जातियोंके बाकी लोगोंसे मिलने लगो जो तुम्हारे बीच बचे हुए रहते थें, और इन से ब्याह शादी करके इनके साय समधियाना रिश्ता जोड़ो, 13. तो निश्चय जान लो कि आगे को तुम्हारा परमेश्वर यहोवा इन जातियोंको तुम्हारे सामहने से नहीं निकालेगा; और थे तुम्हारे लिथे जाल और फंदे, और तुम्हारे पांजरोंके लिथे कोड़े, और तुम्हारी आंखोंमें कांटे ठहरेगी, और अन्त में तुम इस अच्छी भूमि पर से जो तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हें दी है नष्ट हो जाओगे। 14. सुनो, मैं तो अब सब संसारियोंकी गति पर जानेवाला हूं, और तुम सब अपके अपके ह्रृदय और मन में जानते हो, कि जितनी भलाई की बातें हमारे परमेश्वर यहोवा ने हमारे विषय में कहीं उन में से एक भी बिना पूरी हुए नहीं रही। 15. तो जैसे तुम्हारे परमेश्वर यहोवा की कही हुई सब भलाई की बातें तुम पर घटी है, वैसे ही यहोवा विपत्ति की सब बातें भी तुम पर घटाते घटाते तुम को इस अच्छी भूमि के ऊपर से, जिसे तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हें दिया है, सत्यानाश कर डालेगा। 16. जब तुम उस वाचा को, जिसे तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम को आज्ञा देकर अपके साय बन्घाया है, उल्लंघन करके पराथे देवताओं की उपासना और उनको दण्डवत् करने लगो, तब यहोवा का कोप तुम पर भड़केगा, और तुम इस अच्छे देश में से जिसे उस ने तुम को दिया है शीघ्र नाश जो जाओगे।।
Chapter 24
1. फिर यहोशू ने इस्राएल के सब गोत्रोंको शकेम में इकट्ठा किया, और इस्राएल के वृद्ध लोगों, और मुख्य पुरूषों, और न्यायियों, और सरदारोंको बुलवाया; और वे परमेश्वर के साम्हने उपस्यित हुए। 2. तब यहोशू ने उन सब लोगोंसे कहा, इस्राएल का परमेश्वर यहोवा इस प्रकार कहता है, कि प्राचीन काल में इब्राहीम और नाहोर का पिता तेरह आदि, तुम्हारे पुरखा परात महानद के उस पार रहते हुए दूसरे देवताओं की उपासना करते थे। 3. और मैं ने तुम्हारे मूलपुरूष इब्राहीम को महानद के उस पार से ले आकर कनान देश के सब स्यानोंमें फिराया, और उसका वंश बढ़ाया। और उसे इसहाक को दिया; 4. फिर मैं ने इसहाक को याकूब और एसाव दिया। और एसाव को मैं ने सेईर नाम पहाड़ी देश दिया कि वह उसका अधिक्कारनेी हो, परन्तु याकूब बेटों-पोतोंसमेत मिस्र को गया। 5. फिर मैं ने मूसा और हारून को भेजकर उन सब कामोंके द्वारा जो मैं ने मिस्र में किए उस देश को मारा; और उसके बाद तुम को निकाल लाया। 6. और मैं तुम्हारे पुरखाओं को मिस्र में से निकाल लाया, और तुम समुद्र के पास पहुंचे; और मिस्रियोंने रय और सवारोंको संग लेकर लाल समुद्र तक तुम्हारा पीछा किया। 7. और जब तुम ने यहोवा की दोहाई दी तब उस ने तुम्हारे और मिस्रियोंके बीच में अन्धिक्कारनेा कर दिया, और उन पर समुद्र को बहाकर उनको डुबा दिया; और जो कुछ मैं ने मिस्र में किया उसे तुम लोगोंने अपक्की आंखोंसे देखा; फिर तुम बहुत दिन तक जंगल में रहे। 8. तब मैं तुम को उन एमोरियोंके देश में ले आया, जो यरदन के उस पार बसे थे; और वे तुम से लड़े और मैं ने उन्हें तुम्हारे वश में कर दिया, और तुम उनके देश के अधिक्कारनेी हो गए, और मैं ने उनको तुम्हारे साम्हने से सत्यानाश कर डाला। 9. फिर मोआब के राजा सिप्पोर का पुत्र बालाक उठकर इस्राएल से लड़ा; और तुम्हें शाप देने के लिथे बोर के पुत्र बिलाम को बुलवा भेजा, 10. परन्तु मैं ने बिलाम की सुनने के लिथे नाहीं की; वह तुम को आशीष ही आशीष देता गया; इस प्रकार मैं ने तुम को उसके हाथ से बचाया। 11. तब तुम यरदन पार होकर यरीहो के पास आए, और जब यरीहो के लोग, और एमोरी, परिज्जी, कनानी, हित्ती, गिर्गाशी, हिब्बी, और यबूसी तुम से लड़े, तब मैं ने उन्हें तुम्हारे वश में कर दिया। 12. और मैं ने तुम्हारे आगे बर्रोंको भेजा, और उन्होंने एमोरियोंके दोनोंराजाओं को तुम्हारे साम्हने से भगा दिया; देखो, यह तुम्हारी तलवार वा धनुष का काम नहीं हुआ। 13. फिर मैं ने तुम्हें ऐसा देश दिया जिस में तुम ने परिश्र्म न किया या, और ऐसे नगर भी दिए हैं जिन्हें तुम ने न बसाया या, और तुम उन में बसे हो; और जिन दाख और जलपाई के बगीचोंके फल तुम खाते हो उन्हें तुम ने नहीं लगाया या। 14. इसलिथे अब यहोवा का भय मानकर उसकी सेवा खराई और सच्चाई से करो; और जिन देवताओं की सेवा तुम्हारे पुरखा महानद के उस पार और मिस्र में करते थे, उन्हें दूर करके यहोवा की सेवा करो। 15. और यदि यहोवा की सेवा करनी तुम्हें बुरी लगे, तो आज चुन लो कि तुम किस की सेवा करोगे, चाहे उन देवताओं की जिनकी सेवा तुम्हारे पुरखा महानद के उस पार करते थे, और चाहे एमोरियोंके देवताओं की सेवा करो जिनके देश में तुम रहते हो; परन्तु मैं तो अपके घराने समेत यहोवा की सेवा नित करूंगा। 16. तब लोगोंने उत्तर दिया, यहोवा को त्यागकर दूसरे देवताओं की सेवा करनी हम से दूर रहे; 17. क्योंकि हमारा परमेश्वर यहोवा वही है जो हम को और हमारे पुरखाओं को दासत्व के घर, अर्यात् मिस्र देश से निकाल ले आया, और हमारे देखते बड़े बड़े आश्चर्य कर्म किए, और जिस मार्ग पर और जितनी जातियोंके मध्य में से हम चले आते थे उन में हमारी रझा की; 18. और हमारे साम्हने से इस देश में रहनेवाली एमोरी आदि सब जातियोंको निकाल दिया है; इसलिथे हम भी यहोवा की सेवा करेंगे, क्योंकि हमारा परमेश्वर वही है। 19. यहोशू ने लोगोंसे कहा, तुम से यहोवा की सेवा नहीं हो सकती; क्योंकि वह पवित्र परमेश्वर है; वह जलन रखनेवाला ईश्वर है; वह तुम्हारे अपराध और पाप झमा न करेगा। 20. यदि तुम यहोवा को त्यागकर पराए देवताओं की सेवा करने लगोगे, तो यद्दपि वह तुम्हारा भला करता आया है तौभी वह फिरकर तुम्हारी हानि करेगा और तुम्हारा अन्त भी कर डालेगा। 21. लोगोंने यहोशू से कहा, नहीं; हम यहोवा ही की सेवा करेंगे। 22. यहोशू ने लोगोंसे कहा, तुम आप ही अपके साझी हो कि तुम ने यहोवा की सेवा करनी अंगीकार कर ली है। उन्होंने कहा, हां, हम साझी हैं। 23. यहोशू ने कहा, अपके बीच पराए देवताओं को दूर करके अपना अपना मन इस्राएल के परमेश्वर की ओर लगाओ। 24. लोगोंने यहोशू से कहा, हम तो अपके परमेश्वर यहोवा ही की सेवा करेंगे, और उसी की बात मानेंगे। 25. तब यहोशू ने उसी दिन उन लोगोंसे वाचा बन्धाई, और शकेम में उनके लिथे विधि और नियम ठहराया।। 26. यह सारा वृत्तान्त यहोशू ने परमेश्वर की व्यवस्या की पुस्तक में लिख दिया; और एक बड़ा पत्यर चुनकर वहां उस बांजवृझ के तले खड़ा किया, जो यहोवा के पवित्र स्यान में या। 27. तब यहोशू ने सब लोगोंसे कहा, सुनो, यह पत्यर हम लोगोंका साझी रहेगा, क्योंकि जितने वचन यहोवा ने हम से कहें हैं उन्हें इस ने सुना है; इसलिथे यह तुम्हारा साझी रहेगा, ऐसा न हो कि तुम अपके परमेश्वर से मुकर जाओ। 28. तब यहोशू ने लोगोंको अपके अपके निज भाग पर जाने के लिथे विदा किया।। 29. इन बातोंके बाद यहोवा का दास, नून का पुत्र यहोशू, एक सौ दस वर्ष का होकर मर गया। 30. और उसको तिम्नत्सेरह में, जो एप्रैम के पहाड़ी देश में गाश नाम पहाड़ की उत्तर अलंग पर है, उसी के भाग में मिट्टी दी गई। 31. और यहोशू के जीवन भर, और जो वृद्ध लोग यहोशू के मरने के बाद जीवित रहे और जानते थे कि यहोवा ने इस्राएल के लिथे कैसे कैसे काम किए थे, उनके भी जीवन भर इस्राएली यहोवा ही की सेवा करते रहे। 32. फिर यूसुफ की हड्डियां जिन्हें इस्राएली मिस्र से ले आए थे वे शकेम की भूमि के उस भाग में गाड़ी गईं, जिसे याकूब ने शकेम के पिता हामोर से एक सौ चांदी के सिक्कोंमें मोल लिया या; इसलिथे वह यूसुफ की सन्तान का निज भाग हो गया। 33. और हारून का पुत्र एलीआज़र भी मर गया; और उसको एप्रैम के पहाड़ी देश में उस पहाड़ी पर मिट्टी दी गई, जो उसके पुत्र पीनहास के नाम पर गिबत्पीनहास कहलाती है और उसको दे दी गई यी।।
(April28th2012)
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