Home Churches About
 

2 शमूएल

Chapter 1

1. शाऊल के मरने के बाद, जब दाऊद अमालेकियोंको मारकर लौटा, और दाऊद को सिकलग में रहते हुए दो दिन हो गए,
2. तब तीसरे दिन ऐसा हुआ कि छावनी में से शाऊल के पास से एक पुरुष कपके फाड़े सिर पर धूली डाले हुए आया। और जब वह दाऊद के पास पहुंचा, तब भूमि पर गिरा और दणडवत्‌ किया।
3. दाऊद ने उस से पूछा, तू कहां से आया है? उस ने उस से कहा, मैं इस्राएली छावनी में से बचकर आया हूं।
4. दाऊद ने उस से पूछा, वहां क्या बात हुई? मुझे बता। उस ने कहा, यह, कि लोग रणभूमि छोड़कर भाग गए, और बहुत लोग मारे गए; और शाऊल और उसका पुत्र योनातन भी मारे गए हैं।
5. दाऊद ने उस समाचार देनेवाले जवान से पूछा, कि तू कैसे जानता है कि शाऊल और उसका पुत्र योनातन मर गए?
6. समाचार देनेवाले जवान ने कहा, संयोग से मैं गिलबो पहाड़ पर या; तो क्या देखा, कि शाऊल अपके भाले की टेक लगाए हुए है; फिर मैं ने यह भी देखा कि उसका पीछा किए हुए रय और सवार बड़े वेग से दौड़े आ रहे हैं।
7. उस ने पीछे फिरकर मुझे देखा, और मुझे पुकारा। मैं ने कहा,क्या आज्ञा?
8. उस ने मुझ से पूछा, तू कौन है? मैं ने उस से कहा, मैं तो अमालेकी हूँ।
9. उस ने मुझ से कहा, मेरे पास खड़ा होकर मुझे मार डाल; क्योंकि मेरा सिर तो घुमा जाता है, परन्तु प्राण नही निकलता।
10. तब मैं ने यह निश्चय जान लिया, कि वह गिर जाने के पहचात्‌ नहीं बच सकता, उसके पास खड़े होकर उसे मार डाला; और मैं उसके सिर का मुकुट और उसके हाथ का कंगन लेकर यहां अपके प्रभु के पास आया हूँ।
11. तब दाऊद ने अपके कपके पकड़कर फाड़े; और जितने पुरुष उसके संग थे उन्होंने भी वैसा ही किया;
12. और वे शाऊल, और उसके पुत्र योनातन, और यहोवा की प्रजा, और इस्राएल के घराने के लिथे छाती पीटने और रोने लगे, और सांफ तक कुछ न खाया, इस कारण कि वे तलवार से मारे गए थे।
13. फिर दाऊद ने उस समाचार देनेवाले जवान से पूछा, तू कहां का है? उस ने कहा, मैं तो परदेशी का बेटा अर्यात्‌ अमालेकी हूँ।
14. दाऊद ने उस से कहा, तू यहोवा के अभिषिक्त को नाश करने के लिथे हाथ बढ़ाने से क्योंनहीं डरा?
15. तब दाऊद ने एक जवान को बुलाकर कहा, निकट जाकर उस पर प्रहार कर। तब उस ने उसे ऐसा मारा कि वह मर गया।
16. और दाऊद ने उस से कहा, तेरा खून तेरे ही सिर पर पके; क्योंकि तू ने यह कहकर कि मैं ही ने यहोवा के अभिषिक्त को मार डाला, अपके मुंह से अपके ही विरुद्ध साझी दी है।
17. (शाऊल और योनातन के लिथे दाऊद का बनाया हुआ विलापक्कीत ) तब दाऊद ने शाऊल और उसके पुत्र योनातन के विषय यह विलापक्कीत बनाया,
18. और यहूदियोंको यह धनुष नाम गीत सिखाने की आज्ञा दी; यह याशार नाम पुस्तक में लिखा हुआ है;
19. हे इस्राएल, तेरा शिरोमणि तेरे ऊंचे स्यान पर मारा गया। हाथ, शूरवीर क्योंकर गिर पके हैं!
20. गत में यह न बताओ, और न अश्कलोन की सड़कोंमें प्रचार करना; न हो कि पलिश्ती स्त्रियाँ आनन्दित हों, न हो कि खतनारहित लोगोंकी बेटियां गर्व करने लगें।
21. हे गिलबो पहाड़ो, तुम पर न ओस पके, और न वर्षा हो, और न भेंट के योग्य उपजवाले खेत पाए जाएं! क्योंकि वहां शूरवीरोंकी ढालें अशुद्ध हो गई। और शाऊल की ढाल बिना तेल लगाए रह गई।
22. जूफे हुओं के लोहू बहाने से, और शूरवीरोंकी चर्बी खाने से, योनातन का धनुष लौट न जाता या, और न शाऊल की तलवार छूछी फिर आती यी।
23. शाऊल और योनातन जीवनकाल में तो प्रिय और मनभाऊ थे, और अपक्की मृत्यु के समय अलग न हुए; वे उकाब से भी वेग चलनेवाले, और सिंह से भी अधिक पराक्रमी थे।
24. हे इस्राएली स्त्रियो, शाऊल के लिथे रोओ, वह तो तुम्हें लाल रंग के वस्त्र पहिनाकर सुख देता, और तुम्हारे वस्त्रों के ऊपर सोने के गहने पहिनाता या।
25. हाथ, युद्ध के बीच शूरवीर कैसे काम आए ! हे योनातन, हे ऊंचे स्यानोंपर जूफे हुए,
26. हे मेरे भाई योनातन, मैं तेरे कारण दु:खित हूँ; तू मुझे बहुत मनभाऊ जान पड़ता या; तेरा प्रेम मुझ पर अद्‌भुत, वरन स्त्रियों के प्रेम से भी बढ़कर या।
27. हाथ, शूरवीर क्योंकर गिर गए, और युद्ध के हयियार कैसे नाश हो गए हैं !

Chapter 2

1. इसके बाद दाऊद ने यहोवा से पूछा, कि क्या मैं यहूदा के किसी नगर में जाऊं? यहोवा ने उस से कहा, हां, जा। दाऊद ने फिर पूछा, किस नगर में जाऊं? उस ने कहा, हेब्रोन में।
2. तब दाऊद यिज्रेली अहीनोअम, और कमेंली नाबाल की स्त्री अबीगैल नाम, अपक्की दोनोंपत्नियोंसमेत वहाँ गया।
3. और दाऊद अपके सायियोंको भी एक एक के घराने समेत वहां ले गया; और वे हेब्रोन के गांवोंमें रहने लगे।
4. और यहूदी लोग गए, और वहां दाऊद का अभिषेक किया कि वह यहूदा के घराने का राजा हो।
5. और दाऊद को यह समाचार मिला, कि जिन्होंने शाऊल को मिट्टी दी वे गिलाद के याबेश नगर के लोग हैं। तब दाऊद ने दूतोंसे गिलाद के याबेश के लोगोंके पास यह कहला भेजा, कि यहोवा की आशिष तुम पर हो, क्योंकि तुम ने अपके प्रभु शाऊल पर यह कृपा करके उसको मिट्टी दी।
6. इसलिथे अब यहोवा तुम से कृपा और सच्चाई का बत्त्र्ााव करे; और मैं भी तुम्हारी इस भलाई का बदला तुम को दूंगा, क्योंकि तुम ने यह काम किया है।
7. और अब हियाव बान्धो, और पुरुषार्य करो; क्योंकि तुम्हारा प्रभु शाऊल मर गया, और यहूदा के घराने ने अपके ऊपर राजा होने को मेरा अभिष्ोक किया है।
8. परन्तु नेर का पुत्र अब्नेर जो शाऊल का प्रधान सेनापति या, उस ने शाऊल के पुत्र ईशबोशेत को संग ले पार जाकर महनैम में पहुंचाया;
9. और उसे गिलाद अशूरियोंके देश यिज्रेल, एप्रैम, बिन्यामीन, वरन समस्त इस्राएल के देश पर राजा नियुक्त किया।
10. शाऊल का पुत्र ईशबोशेत चालीस वर्ष का या जब वह इस्राएल पर राज्य करने लगा, और दो वर्ष तक राज्य करता रहा। परन्तु यहूदा का घराना दाऊद के पझ में रहा।
11. और दाऊद के हेब्रोन में यहूदा के घराने पर राज्य करने का समय साढ़े सात वर्ष या।
12. और नेर का पुत्र अब्नेर, और शाऊल के पुत्र ईशबोशेत के जन, महनैम से गिबोन को आए।
13. तब सरुयाह का पुत्र योआब, और दाऊद के जन, हेब्रोन से निकलकर उन से गिबोन के पोखरे के पास मिले; और दोनोंदल उस पोखरे की एक एक ओर बैठ गए।
14. तब अब्नेर ने योआब से कहा, जवान लोग उठकर हमारे साम्हने खेलें। योआब ने कहा, वे उठें।
15. तब वे उठे, और बिन्यामीन, अर्याात्‌ शाऊल के पुत्र ईशबोशेत के पझ के लिथे बारह जन गिनकर निकले, और दाऊद के जनोंमें से भी बारह निकले।
16. और उन्होंने एक दूसरे का सिर पकड़कर अपक्की अपक्की तलवार एक दूसरे के पांजर में भोंक दी; और वे एक ही संग मरे। इस से उस स्यान का नाम हेल्कयस्सूरीम पड़ा, वह गिबोन में है।
17. और उस दिन बड़ा घोर से युद्ध हुआ; और अब्नेर और इस्राएल के पुरुष दाऊद के जनोंसे हार गए।
18. वहां तो योआब, अबीशै, और असाहेल नाम सरुयाह के तीनोंपुत्र थे। और असाहेल बनैले चिकारे के समान वेग दौड़नेवाला या।
19. तब असाहेल अब्नेर का पीछा करने लगा, और उसका पीछा करते हुए न तो दाहिनी ओर मुड़ा न बाई ओर।
20. अब्नेर ने पीछे फिरके पूछा, क्या तू असाहेल है? उस ने कहा, हां मैं वही हूँ।
21. अब्नेर ने उस से कहा, चाहे दाहिनी, चाहे बाई ओर मुड़, किसी जवान को पकड़कर उसका बकतर ले ले। परन्तु असाहेल ने उसका पीछा न छोड़ा।
22. अब्नेर ने असाहेल से फिर कहा, मेरा पीछा छोड़ दे; मुझ को क्योंतुझे मारके मिट्टी में मिला देना पके? ऐसा करके मैं तेरे भाई योआब को अपना मुख कैसे दिखाऊंगा?
23. तौभी उस ने हट जाने को नकारा; तब अब्नेर ने अपके भाले की पिछाड़ी उसके पेट में ऐसे मारी, कि भाला आरपार होकर पीछे निकला; और वह वहीं गिरके मर गया। और जितने लोग उस स्यान पर आए जहां असाहेल गिरके मर गया, वहां वे सब खढ़े रहे।
24. परन्तु योआब और अबीशै अब्नेर का पीछा करते रहे; और सूर्य डूबते डूबते वे अम्मा नाम उस पहाड़ी तक पहुंचे, जो गिबोन के जंगल के मार्ग में गीह के साम्हने है।
25. और बिन्यामीनी अबब्नेर के पीछे होकर एक दल हो गए, और एक पहाड़ी की चोटी पर खड़े हुए।
26. तब अब्नेर योआब को पुकारके कहने लगा, क्या तलवार सदा मारती रहे? क्या तू नहीं जानता कि इसका फल दु:खदाई होगा? तू कब तक अपके लोगोंको आज्ञा न देगा, कि अपके भाइयोंका पीछा छोड़कर लौटो?
27. योआब ने कहा, परमेश्वर के जीवन की शपय, कि यदि तू न बोला होता, तो नि:सन्देह लोग सवेरे ही चले जाते, और अपके अपके भाई का पीछा न करते।
28. तब योआब ने नरसिंगा फूंका; और सब लोग ठहर गए, और फिर इस्राएलियोंका पीछा न किया, और लड़ाई फिर न की।
29. और अब्नेर अपके जनोंसमेत उसी दिन रातोंरात अराबा से होकर गया; और यरदन के पार हो समस्त बित्रोन देश में होकर महनैम में पहुंचा।
30. और योआब अब्नेर का पीछा छोड़कर लौटा; और जब उस ने सब लोगोंको इकट्टा किया, तब क्या देखा, कि दाऊद के जनोंमें से उन्नीस पुरुष और असाहेल भी नहीं हैं।
31. परन्तु दाऊद के जनोंने बिन्यामीनियोंऔर अब्नेर के जनोंको ऐसा मारा कि उन में से तीन सौ साठ जन मर गए।
32. और उन्होंने असाहेल को उठाकर उसके पिता के क़ब्रिस्तान में, जो बेतलेहेम में या, मिट्टी दी। तब योआब अपके जनोंसमेत रात भर चलकर पह फटते हेब्रोन में पहुंचा।

Chapter 3

1. शाऊल के घराने और दाऊद के घराने के मध्य बहुत दिन तक लड़ाई होती रही; परन्तु दाऊद प्रबल होता गया, और शाऊल का घराना निर्बल पड़ता गया।
2. और हेब्रोन में दाऊद के पुत्र उत्पन्न हुए; उसका जेठा बेटा अम्नोन या, जो यिज्रेली अहीनोअम से उत्पन्न हुआ या;
3. और उसका दूसरा किलाव या, जिसकी मां कर्मेंली नाबाल की स्त्री अबीगैल यी; तीसरा अबशालोम, जो गशूर के राजा तल्मै की बेटी माका से उत्पन्न हुआ या;
4. चौया अदोनिय्याह, जो हग्गीत से उत्पन्न हुआ या; पांचवां शपत्याह, जिसकी मां अबीतल यी;
5. छठवां यित्राम, जो ऐग्ला नाम दाऊद की स्त्री से उत्पन्न हुआ। हेब्रोन में दाऊद से थे ही सन्तान उत्पन्न हुए।
6. जब शाऊल और दाऊद दोनोंके घरानोंके मध्य लड़ाई हो रही यी, तब अब्नेर शाऊल के घराने की सहाथता में बल बढ़ाता गया।
7. शाऊल की एक रखेली यी जिसका नाम रिस्पा या, वह अय्या की बेटी थी; और ईशबोशेत ने अब्नेर से पूछा, तू मेरे पिता की रखेली के पास क्योंगया?
8. ईशबोशेत की बातोंके कारण अब्नेर अति क्रोधित होकर कहने लगा, क्या मैं यहूदा के कुत्ते का सिर हूँ? आज तक मैं तेरे पिता शाऊल के घराने और उसके भाइयोंऔर मित्रोंको प्रीति दिखाता आया हूँ, और तुझे दाऊद के हाथ पड़ने नहीं दिया; फिर तू अब मुझ पर उस स्त्री के विषय में दोष लगाता है?
9. यदि मैं दाऊद के साय ईश्वर की शपय के अनुसार बर्ताव न करुं, तो परमेशवर अब्नेर से वैसा ही, वरन उस से भी अधिक करे;
10. अर्यात्‌ मैं राज्य को शाऊल के घराने से छीनूंगा, और दाऊद की राजगद्दी दान से लेकर बेर्शेंबा तक इस्राएल और यहूदा के ऊपर स्यिर करुंगा।
11. और वह अब्नेर को कोई उत्तर न दे सका, इसलिथे कि वह उस से डरता या।
12. तब अब्नेर ने उसके नाम से दाऊद के पास दूतोंसे कहला भेजा, कि देश किस का है? और यह भी कहला भेजा, कि तू मेरे साध वाचा बान्ध, और मैं तेरी सहाथता करुंगा कि समस्त इस्राएल के मन तेरी ओर फेर दूं।
13. दाऊद ने कहा, भला, मैं तेरे साय वाचा तो बान्धूंगा परन्तु एक बात मैं तुझ से चाहता हूँ; कि जब तू मुझ से भेंट करने आए, तब यदि तू पहिले शाऊल की बेटी मीकल को न ले आए, तो मुझ से भेंट न होगी।
14. फिर दाऊद ने शाऊल के पुत्र ईशबोशेत के पास दूतोंसे यह कहला भेजा, कि मेरी पत्नी मीकल, जिसे मैं ने एक सौ पलिश्तियोंकी खलडिय़ां देकर अपक्की कर लिया या, उसको मुझे दे दे।
15. तब ईशबोशेत ने लोगोंको भेजकर उसे लैश के पुत्र पलतीएल के पास से छीन लिया।
16. और उसका पति उसके साय चला, और बहूरीम तक उसके पीछे रोता हुआ चला गया। तब अब्नेर ने उस से कहा, लौट जा; और वह लौट गया।
17. और अब्नेर ने इस्राएल के पुरनियोंके संग इस प्रकार की बातचीत की, कि पहिले तो तुम लोग चाहते थे कि दाऊद हमारे ऊपर राजा हो।
18. अब वैसा करो; क्योंकि यहोवा ने दाऊद के विषय में यह कहा है, कि अपके दास दाऊद के द्वारा मैं अपक्की प्रजा इस्राएल को पलिश्तियों, वरन उनके सब शत्रुओं के हाथ से छुड़ाऊंगा।
19. फिर अब्नेर ने बिन्यामीन से भी बातें कीं; तब अब्नेर हेब्रोन को चला गया, कि इस्राएल और बिन्यामीन के समस्त घराने को जो कुछ अच्छा लगा, वह दाऊद को सुनाए।
20. तब अब्नेर बीस पुरुष संग लेकर हेब्रोन में आया, और दाऊद ने उसके और उसके संगी पुरुषोंके लिथे जेवनार की।
21. तब अब्नेर ने दाऊद से कहा, मैं उठकर जाऊंगा, और अपके प्रभु राजा के पास सब इस्राएल को इकट्ठा करुंगा, कि वे तेरे साय वाचा बान्धें, और तू अपक्की इच्छा के अनुसार राज्य कर सके। तब दाऊद ने अब्नेर को विदा किया, और वह कुशल से चला गया।
22. तब दाऊद के कई एक जन योआब समेत कहीं चढ़ाई करके बहुत सी लूट लिथे हुए आ गए। और अब्नेर दाऊद के पास हेब्रोन में न या, क्योंकि उस ने उसको विदा कर दिया या, और वह कुशल से चला गया या।
23. जब योआब और उसके साय की समस्त सेना आई, तब लागोंने योबाब को बताया, कि नेर का पुत्र अब्नेर राजा के पास आया या, और उस ने उसको बिदा कर दिया, और वह कुशल से चला गया।
24. तब योआब ने राजा के पास जाकर कहा, तू ने यह क्या किया है? अब्नेर जो तेरे पास आया या, तो क्या कारण है कि तू ने उसको जाने दिया, और वह चला गया है?
25. तू नेर के पुत्र अब्नेर को जानता होगा कि वह तुझे धोखा देने, और तेरे आने जाने, और कुल काम का भेद लेने आया या।
26. योआब ने दाऊद के पास से निकलकर दाऊद के अनजाने अब्नेर के पीछे दूत भेजे, और वे उसको सीरा नाम कुण्ड से लौटा ले आए।
27. जब अब्नेर हेब्रोन को लौट आया, तब योआब उस से एकान्त में बातें करने के लिथे उसको फाटक के भीतर अलग ले गया, और वहां अपके भाई असाहेल के खून के पलटे में उसके पेट में ऐसा मारा कि वह मर गया।
28. इसके बाद जब दाऊद ने यह सुना, तो कहा, नेर के पुत्र अब्नेर के खून के विषय में अपक्की प्रजा समेत यहोवा की दृष्टि में सदैव निर्दोष रहूंगा।
29. वह योआब और उसके पिता के समस्त घराने को लगे; और योआब के वंश में कोई न कोई प्रमेह का रोगी, और कोढ़ी, और बैसाखी का लगानेवाला, और तलवार से खेत आनेवाला, और भूखें मरनेवाला सदा होता रहे।
30. योआब और उसके भाई अबीशै ने अब्नेर को इस कारण घात किया, कि उस ने उनके भाई असाहेल को गिबोन में लड़ाई के समय मार डाला या।
31. तब दाऊद ने योआब और अपके सब संगी लागोंसे कहा, अपके वस्त्र फाड़ो, और कमर में टाट बान्धकर अब्नेर के आगे आगे चलो। और दाऊद राजा स्वयं अयीं के पीछे पीछे चला।
32. अब्नेर को हेब्रोन में मिट्टी दी गई; और राजा अब्नेर की कब्र के पास फूट फूटकर रोया; और सब लोग भी रोए।
33. तब दाऊद ने अब्नेर के विषय यह विलापक्कीत बनाया कि, क्या उचित या कि अब्नेर मूूढ़ की नाई मरे?
34. न तो तेरे हाथ बान्धे गए, और न तेरे पांवोंमें बेडिय़ां डाली गई; जैसे कोई कुटिल मनुष्योंसे मारा जाए, वैसे ही तू मारा गया।
35. तब सब लोग उसके विषय फिर रो उठे। तब सब लोग कुछ दिन रहते दाऊद को रोटी खिलाने आए; परन्तु दाऊद ने शपय खाकर कहा, यदि मैं सूर्य के अस्त होने से पहिले रोटी वा और कोई वस्तु खाऊं, तो परमेश्वर मुझ से ऐसा ही, वरन इस से भी अधिक करे।
36. और सब लोगोंने इस पर विचार किया और इस से प्रसन्न हुए, वैसे ही जो कुछ राजा करता या उस से सब लोग प्रसन्न होते थे।
37. तब उन सब लोगोंने, वरन समस्त इस्राएल ने भी, उसी दिन जान लिया कि नेर के पुत्र अब्नेर का घात किया जाना राजा की और से नही हुआ।
38. और राजा ने अपके कर्मचारियोंसे कहा, क्या तुम लोग नहीं जानते कि इस्राएल में आज के दिन एक प्रधान और प्रतापी मनुष्य मरा है?
39. और यद्यपि मैं अभिषिक्त राजा हूँ तौभी आज निर्बल हूँ; और वे सरूयाह के पुत्र मुझ से अधिक प्रचण्ड हैं। परन्तु यहोवा बुराई करनेवाले को उसकी बुराई के अनुसार ही पलटा दे।

Chapter 4

1. जब शाऊल के पुत्र ने सुना, कि अब्नेर हेब्रोन में मारा गया, तब उसके हाथ ढीले पड़ गए, और सब इस्राएली भी घबरा गए।
2. शाऊल के पुत्र के दो जन थे जो दलोंके प्रधान थे; एक का नाम बाना, और दूसरे का नाम रेकाब या, थे दोनोंबेरोतवासी बिन्यामीनी रिम्मोन के पुत्र थे, ( क्योंकि बेरोत भी बिन्यामीन के भाग में गिना जाता है;
3. और बेरोती लोग गितैम को भाग गए, और आज के दिन तक वहीं परदेशी होकर रहते हैं।)
4. शाऊल के पुत्र योनातन के एक लगड़ा बेटा या। जब यिज्रेल से शाऊल और योनातन का समाचार आया तब वह पांच वर्ष का या; उस समय उसकी धाई उसे उठाकर भागी; और उसके उतावली से भागने के कारण वह गिरके लंगड़ा हो गया। और उसका नाम मपीबोशेत या।
5. उस बेरोती रिम्मोन के पुत्र रेकाब और बाना कड़े घाम के समय ईशबोशेत के घर में जब वह दोपहर को विश्रम कर रहा या आए।
6. और गेहूं ले जाने के बहाने मे घर में घुस गए; और उसके पेट में मारा; तब रेकाब और उसका भाई बाना भाग निकले।
7. जब वे घर में घुसे, और वह सोने की कोठरी में चारपाई पर सोता या, तब अन्होंने उसे मार डाला, और उसका सिर काट लिया, और उसका सिर लेकर रातोंरात अराबा के मार्ग से चले।
8. और वे ईशबोशेत का सिर हेब्रोन में दाऊद के पास ले जाकर राजा से कहने लगे, देख, शाऊल जो तेरा शत्रु और तेरे प्राणोंका ग्राहक या, उसके पुत्र ईशबोशेत का यह सिर है; तो आज के दिन यहोवा ने शाऊल और उसके वंश से मेरे प्रभु राजा का पलटा लिया है।
9. दाऊद ने बेरोती रिम्मोन के पुत्र रेकाब और उसके भाई बाना को उत्तर देकर उन से कहा, यहोवा जो मेरे प्राण को सब विपत्तियोंसे छुड़ाता आया है, उसके जीवन की शपय,
10. जब किसी ने यह जानकर, कि मैं शुभ समाचार देता हूं, सिकलग में मुझ को शाऊल के मरने का समाचार दिया, तब मैं ने उसको पकड़कर घात कराया; अर्यात्‌ उसको समाचार का यही बदला मिला।
11. फिर जब दुष्ट मनुष्योंने एक निर्दोष मनुष्य को उसी के घर में, वरन उसकी चारपाई ही पर घात किया, तो मैं अब अवश्य ही उसके खून का पलटा तुम से लूंगा, और तुम्हें धरती पर से नष्ट कर डालूंगा।
12. तब दाऊद ने जवानोंको आज्ञा दी, और उन्होंने उनको घात करके उनके हाथ पांव काट दिए, और उनकी लोयोंको हेब्रोन के पोखरे के पास टांग दिया। तब ईशबोशेत के सिर को उठाकर हेब्रोन में अब्नेर की कब्र में गाड़ दिया।

Chapter 5

1. ( दाऊद के यरूशलेम में राज्य करने का आरम्भ ) तब इस्राएल के सब गोत्र दाऊद के पास हेब्रोन में आकर कहने लगे, सुन, हम लोग और तू एक ही हाड़ मांस हैं।
2. फिर भूतकाल में जब शाऊल हमारा राजा या, तब भी इस्राएल का अगुवा तू ही या; और यहोवा ने तुझ से कहा, कि मेरी प्रजा इस्राएल का चरवाहा, और इस्राएल का प्रधान तू ही होगा।
3. सो सब इस्राएली पुरनिथे हेब्रोन में राजा के पास आए; और दाऊद राजा ने उनके साय हेब्रोन में यहोवा के साम्हने वाचा बान्धी, और उन्होंने इस्राएल का राजा होने के लिथे दाऊद का अभिषेक किया।
4. दाऊद तीस वर्ष का होकर राज्य करने लगा, और चालीस वर्ष तक राज्य करता रहा।
5. साढ़े सात वर्ष तक तो उस ने हेब्रोन में यहूदा पर राज्य किया, और तैंतीस वर्ष तक यरूशलेम में समस्त इस्राएल और यहूदा पर राज्य किया।
6. तब राजा ने अपके जनोंको साय लिए हुए यरूशलेम को जाकर यबूसियोंपर चढ़ाई की, जो उस देश के निवासी थे। उन्होंने यह समझकर, कि दाऊद यहां पैठ न सकेगा, उस से कहा, जब तक तू अन्धें और लंगड़ोंको दूर न करे, तब तक यहां पैठने न पाएगा।
7. तौभी दाऊद ने सिय्योन नाम गढ़ को ले लिया, वही दाऊदपुर भी कहलाता है।
8. उस दिन दाऊद ने कहा, जो कोई यबूसिक्कों मारना चाहे, उसे चाहिथे कि नाले से होकर चढ़े, और अन्धे और लंगड़े जिन से दाऊद मन से घिन करता है उन्हें मारे। इस से यह कहावत चक्की, कि अन्धे और लगड़े भवन में आने न पाएंगे।
9. और दाऊद उस गढ़ में रहने लगा, और उसका नाम दाऊदपुर रखा। और दाऊद ने चारोंओर मिल्लो से लेकर भीतर की ओर शहरपनाह बनवाई।
10. और दाऊद की बड़ाई अधिक होती गई, और सेनाओं का परमेश्वर यहोवा उसके संग रहता या।
11. और सोर के राजा हीराम ने दाऊद के पास दूत, और देवदारू की लकड़ी, और बढ़ई, और राजमिस्त्री भेजे, और उन्होंने दाऊद के लिथे एक भवन बनाया।
12. और दाऊद को निश्चय हो गया कि यहोवा ने मुझे इस्राएल का राजा करके स्यिर किया, और अपक्की इस्राएली प्रजा के निमित्त मेरा राज्य बढ़ाया है।
13. जब दाऊद हेब्रोन से आया तब उसके बाद उस ने यरूशलेम की और और रखेलियां रख लीं, और पत्नियां बना लीं; और उसके और बेटे बेटियां उत्पन्न हुई।
14. उसके जो सन्तान यरूशलेम में उत्पन्न हुए, उनके थे नाम हैं, अर्यात्‌ शम्मू, शोबाब, नातान, सुलैमान,
15. यिभार, एलोशू, नेपेग, यापी,
16. एलीशामा, एल्यादा, और एलोपेलेत।
17. जब पलिश्तियोंने यह सुना कि इस्राएल का राजा होने के लिथे दाऊद का अभिषेक हुआ, तब सब पलिश्ती दाऊद की खोज में निकले; यह सुनकर दाऊद गढ़ में चला गया।
18. तब पलिश्ती आकर रपाईम नाम तराई में फैल गए।
19. तब दाऊद ने यहावा से पूछा, क्या मैं पलिश्तियोंपर चढ़ाई करूं? क्या तू उन्हें मेरे हाथ कर देगा? यहोवा ने दाऊद से कहा, चढ़ाई कर; क्योंकि मैं निश्चय पलिश्तियोंको तेरे हाथ कर दूंगा।
20. तब दाऊद बालपरासीम को गया, और दाऊद ने उन्हें वहीं मारा; तब उस ने कहा, यहोवा मेरे साम्हने होकर मेरे शत्रुओं पर जल की धारा की नाई टूट पड़ा है।
21. वहां उन्होंने अपक्की मूरतोंको छोड़ दिया, और दाऊद और उसके जन उन्हें उठा ले गए।
22. फिर दूसरी बार पलिश्ती चढ़ाई करके रपाईम नाम तराई में फैल गए।
23. जब दाऊद ने यहोवा से पूछा, तब उस ने कहा, चढ़ाई न कर; उनके पीछे से घूमकर तूत वृझोंके साम्हने से उन पर छापा मार।
24. और जब तूत वृझोंकी फुनगियोंमें से सेना के चलने की सी आहट तुझे सुनाई पके, तब यह जानकर फुर्ती करना, कि यहोवा पलिश्तियोंकी सेना को मारने को मेरे आगे अभी पधारा है।
25. यहोवा की इस आज्ञा के अनुसार दाऊद गेबा से लेकर गेजेर तक पलिश्तियोंको मारता गया।

Chapter 6

1. ( पवित्र सन्दूक का यरूशलेम में पहुंचाया जाना ) फिर दाऊद ने एक और बार इस्राएल में से सब बड़े वीरोंको, जो तीस हजार थे, इकट्ठा किया।
2. तब दाऊद और जितने लोग उसके संग थे, वे सब उठकर यहूदा के बाले नाम स्यान से चले, कि परमेश्वर का वह सन्दूक ले आएं, जो करूबोंपर विराजनेवाले सेनाओं के यहोवा का कहलाता है।
3. तब उन्होंने परमेश्वर का सन्दूक एक नई गाड़ी पर चढ़ाकर टीले पर रहनेवाले अबीनादाब के घर से निकाला; और अबीनादाब के उज्जा और अहह्मो नाम दो पुत्र उस नई गाड़ी को हांकने लगे।
4. और उन्होंने उसको परमेश्वर के सन्दूक समेत टीले पर रहनेवाले अबीनादाब के घर से बाहर निकाला; और अहह्मो सन्दूक के आगे आगे चला।
5. और दाऊद और इस्राएल का समस्त घराना यहोवा के आगे सनौवर की लकड़ी के बने हुए सब प्रकार के बाजे और वीणा, सारंगियां, डफ, डमरू, फांफ बजाते रहे।
6. जब वे नाकोन के खलिहान तक आए, तब उज्जा ने अपना हाथ परमेश्वर के सन्दूक की ओर बढ़ाकर उसे याम लिया, क्योंकि बैलोंने ठोकर खाई।
7. तब यहोवा का कोप उज्जा पर भड़क उठा; और परमेश्वर ने उसके दोष के कारण उसको वहां ऐसा मारा, कि वह वहां परमेश्वर के सन्दूक के पास मर गया।
8. तब दाऊद अप्रसन्न हुआ, इसलिथे कि यहोवा उज्जा पर टूट पड़ा या; और उस ने उस स्यान का नाम पेरेसुज्जा रखा, यह नाम आज के दिन तक वर्तमान है।
9. और उस दिन दाऊद यहोवा से डरकर कहने लगा, यहोवा का सन्दूक मेरे यहां क्योंकर आए?
10. इसलिथे दाऊद ने यहोवा के सन्दूक को अपके यहां दाऊदपुर में पहुंचाना न चाहा; परन्तु गतवासी ओबेदेदोम के यहां पहुंचाया।
11. और यहोवा का सन्दूक गती ओबेदेदोम के घर में तीन महीने रहा; और यहोवा ने ओबेदेदोम और उसके समस्त घराने को आशिष दी।
12. तब दाऊद राजा को यह बताया गया, कि यहोवा ने ओबेदेदोम के घराने पर, और जो कुछ उसका है, उस पर भी परमेश्वर के सन्दूक के कारण आशिष दी है। तब दाऊद ने जाकर परमेश्वर के सन्दूक को ओबेदेदोम के घर से दाऊदपुर में आनन्द के साय पहूंचा दिया।
13. जब यहोवा के सन्दूक के उठानेवाले छ: कदम चल चुके, तब दाऊद ने एक बैल और एक पाला पोसा हुआ बछड़ा बलि कराया।
14. और दाऊद सनी का एपोद कमर में कसे हुए यहोवा के सम्मुख तन मन से नाचता रहा।
15. योंदाऊद और इस्राएल का समस्त घराना यहोवा के सन्दूक को जय जयकार करते और नरसिंगा फूंकते हुए ले चला।
16. जब यहोवा का सन्दूक दाऊदपुर में आ रहा या, तब शाऊल की बेटी मीकल ने खिड़की में से फांककर दाऊद राजा को यहोवा के सम्मुख नाचते कूदते देखा, और उसे मन ही मन तुच्छ जाना।
17. और लोग यहोवा का सन्दूक भीतर ले आए, और उसके स्यान में, अर्यात्‌ उस तम्बू में रखा, जो दाऊद ने उसके लिथे खड़ा कराया या; और दाऊद ने यहोवा के सम्मुख होमबलि और मेलबलि चढ़ाए।
18. जब दाऊद होमबलि और मेलबलि चढ़ा चुका, तब उस ने सेनाओं के यहोवा के नाम से प्रजा को आशीर्वाद दिया।
19. तब उस ने समस्त प्रजा को, अर्यात्‌, क्या स्त्री क्या पुरुष, समस्त इस्राएली भीड़ के लोगोंको एक एक रोटी, और एक एक टुकड़ा मांस, और किशमिश की एक एक टिकिया बंटवा दी। तब प्रजा के सब लोग अपके अपके घर चले गए।
20. तब दाऊद अपके घराने को आशीर्वाद देने के लिथे लौटा। और शाऊल की बेटी मीकल दाऊद से मिलने को निकली, और कहने लगी, आज इस्राएल का राजा जब अपना शरीर अपके कर्मचारियोंकी लौंडियोंके साम्हने ऐसा उघाड़े हुए या, जैसा कोई निकम्मा अपना तन उघाढ़े रहता है, तब क्या ही प्रतापी देख पड़ता या !
21. दाऊद ने मीकल से कहा, यहोवा, जिस ने तेरे पिता और उसके समस्त घराने की सन्ती मुझ को चुनकर अपक्की प्रजा इस्राएल का प्रधान होने को ठहरा दिया है, उसके सम्मुख मैं ने ऐसा खेला--और मैं यहोवा के सम्मुख इसी प्रकार खेला करूंगा।
22. और इस से भी मैं अधिक तुच्छ बनूंगा, और अपके लेखे नीच ठहरूंगा; और जिन लौंडियोंकी तू ने चर्चा की वे भी मेरा आदरमान करेंगी।
23. और शाऊल की बेटी मीकल के मरने के दिन तक उसके कोई सन्तान न हुआ।

Chapter 7

1. जब राजा अपके भवन में रहता या, और यहोवा ने उसको उसके चारोंओर के सब शत्रुऔं से विश्रम दिया या,
2. तब राजा नातान नाम भविष्यद्वक्ता से कहने लगा, देख, मैं तो देवदारु के बने हुए घर में रहता हूँ, परन्तु परमेश्वर का सन्दूक तम्बू में रहता है।
3. नातान ने राजा से कहा, जो कुछ तेरे मन में हो उसे कर; क्योंकि यहोवा तेरे संग है।
4. उसी दिन रात को यहोवा का यह वचन नातान के पास पहुंचा,
5. कि जाकर मेरे दास दाऊद से कह, यहोवा सोंकहता है, कि क्या तू मेरे निवास के लिथे घर बनवाएगा?
6. जिस दिन से मैं इस्रालिएयोंको मिस्र से निकाल लाया आज के दिन तक मैं कभी घर में नहीं रहा, तम्बू के निवास में आया जाया करता हूँ।
7. जहां जहां मैं समस्त इस्राएलियोंके बीच फिरता यि, क्या मैं ने कहीं इस्राएल के किसी गोत्र से, जिसे मैं ने अपक्की प्रजा इस्राएल की चरवाही करने को ठहराया हो, ऐसी बात कभी कही, कि तुम ने मेरे लिऐ देवदारु का घर क्योंनहीं बनवाया?
8. इसलिथे अब तू मेरे दास दाऊद से ऐसा कह, कि सेनाओं का यहोवा योंकहता है, कि मैं ने तो तुझे भेड़शाला से, और भ्ोड़-बकरिसोंके पीछे पीछे फिरने से, इस मनसा से बुला लिया कि तू मेरी प्रजा इस्राएल का प्रधान हो जाए।
9. और जहां कहीं तू आया गया, वहां वहां मैं तेरे संग रहा, और तेरे समस्त शत्रुओं को तेरे साम्हने से नाश किया है; फिर मैं तेरे नाम को पृय्वी पर के बड़े बड़े लोगोंके नामोंके समान महान कर दूंगा।
10. और मैं अपक्की प्रजा इस्राएल के लिथे एक स्यान ठहराऊंगा, और उसको स्यिर करूंगा, कि वह अपके ही स्यान में बसी रहेगी, और कभी चलायमान न होगी; और कुटिल लोग उसे फिर दु:ख न देने पाएंगे, जैसे कि पहिले दिनोंमें करते थे,
11. वरन उस समय से भी जब मैं अपक्की प्रजा इस्राएल के ऊपर न्यायी ठहराता या; और मैं तुझे तेरे समस्त शत्रुओं से विश्रम दूंगा। और यहोवा तुझे यह भी बताता है कि यहोवा तेरा घर बनाए रखेगा।
12. जब तेरी आयु पूरी हो जाएगी, और तू अपके पुरखाओं के संग सो जाएगा, तब मैं तेरे निज वंश को तेरे पीछे खड़ा करंके उसके राज्य को स्यिर करूंगा।
13. मेरे नाम का घर वही बनवाएगा, और मैं उसकी राजगद्दी को सदैव स्यिर रखूंगा।
14. मैं उसका पिता ठहरूंगा, और वह मेरा पुत्र ठहरेगा। यदि वह अधर्म करे, तो मैं उसे मनुष्योंके योग्य दण्ड से, और आदमियोंके योग्य मार से ताड़ना दूंगा।
15. परन्तु मेरी करुणा उस पर से ऐसे न हटेगी, जैसे मैं ने शाऊल पर से हटाकर उसको तेरे आगे से दूर किया।
16. वरन तेरा घराना और तेरा राज्य मेरे साम्हने सदा अटल बना रहेगा; तेरी गद्दी सदैव बनी रहेगी।
17. इन सब बातोंऔर इस दर्शन के अनुसार नातान ने दाऊद को समझा दिया।
18. तब दाऊद राजा भीतर जाकर यहोवा के सम्मुख बैठा, और कहने लगा, हे प्रभु यहोवा, क्या कहूं, और मेरा घराना क्या है, कि तू ने मुझे यहां तक पहुंचा दिया है?
19. परन्तु तौभी, हे प्रभु यहोवा, यह तेरी दृष्टी में छोटी सी बात हुई; क्योंकि तु ने अपके दास के घराने के विषय आगे के बहुत दिनोंतक की चर्चा की है, और हे प्रभु यहोवा, यह तो मनुष्य का नियम है !
20. दाऊद तुझ से और क्या कह सकता है? हे प्रभु यहावा, तू तो अपके दास को जानता है !
21. तू ने अपके वचन के निमित्त, और अपके ही मन के अनुसार, यह सब बड़ा काम किया है, कि तेरा दास उसको जान ले।
22. इस कारण, हे यहोवा परमेश्वर, तू महान्‌ है; क्योंकि जो कुछ हम ने अपके कानोंसे सुना है, उसके अनुसार तेरे तुल्य कोई नहीं, और न तुझे छोड़ कोई और परमेश्वर है।
23. फिर तेरी प्रजा इस्राएल के भी तुल्य कौन है? यह तो पृय्वी भर में एक ही जाति है जिसे परमेश्वर ने जाकर अपक्की निज प्रजा करने को छुड़ाया, इसलिथे कि वह अपना नाम करे, ( और तुम्हारे लिथे बड़े बड़े काम करे ) और तू अपक्की प्रजा के साम्हने, जिसे तू ने मिस्री आदि जाति जाति के लोगोंऔर उनके देवताओं से छूड़ा लिया, अपके देश के लिथे भयानक काम करे।
24. और तू ने अपक्की प्रजा इस्राएल को अपक्की सदा की प्रजा होने के लिथे ठहराया; और हे यहोवा, तू आप उसका परमेश्वर है।
25. अब हे यहोवा परमेश्वर, तू ने जो वचन अपके दास के और उसके घराने के विषय दिया है, उसे सदा के लिथे स्यिर कर, और अपके कहने के अनूसार ही कर;
26. और यह कर कि लोग तेरे नाम की महिमा सदा किया करें, कि सेनाओं का यहोवा इस्राएल के ऊपर परमेश्वर है; और तेरे दास दाऊद का घराना तेरे साम्हने अटल रहे।
27. क्योंकि, हे सेनाओं के यहोवा, हे इस्राएल के परमेश्वर, तू ने यह कहकर अपके दास पर प्रगट किया है, कि मैं तेरा घर बनाए रखूंगा; इस कारण तेरे दास को तुझ से यह प्रार्यना करने का हियाव हुआ है।
28. और अब हे प्रभु यहोवा, तू ही परमेश्वर है, और तेरे वचन सत्य हैं, और तू ने अपके दास को यह भलाई करने का वचन दिया है;
29. तो अब प्रसन्न होकर अपके दास के घराने पर ऐसी आशीष दे, कि वह तेरे सम्मुख सदैव बना रहे; क्योंकि, हे प्रभु यहोवा, तू ने ऐसा ही कहा है, और तेरे दास का घराना तुझ से आशीष पाकर सदैव धन्य रहे।

Chapter 8

1. इसके बाद दाऊद ने पलिश्तियोंको जीतकर अपके अधीन कर लिया, और दाऊद ने पलिश्तियोंकी राजधानी की प्रभुता उनके हाथ से छीन ली।
2. फिर उस ने मोआबियोंको भी जीता, और इनको भूमि पर लिटाकर डोरी से मापा; तब दो डोरी से लोगोंको मापकर घात किया, और डोरी भर के लोगोंको जीवित छोड़ दिया। तब मोआबी दाऊद के अधीन होकर भेंट ले आने लगे।
3. फिर जब सोबा का राजा रहोब का पुत्र हददेजेर महानद के पास अपना राज्य फिर ज्योंका त्योंकरने को जा रहा या, तब दाऊद ने उसको जीत लिया।
4. और दाऊद ने उस से एक हजार सात सौ सवार, और बीस हजार प्यादे छस्त्रीन लिए; और सब रयवाले घोड़ोंके सुम की नस कटवाई, परन्तु एक सौ रयवाले घोड़े बचा रखे।
5. और जब दमिश्क के अरामी सोबा के राजा हददेजेर की सहाथता करने को आए, तब दाऊद ने आरामियोंमें से बाईस हज़ार पुरुष मारे।
6. तब दाऊद ने दमिश्क में अराम के सिपाहियोंकी चौकियां बैठाई; इस प्रकार अरामी दाऊद के अधीन होकर भेंट ले आने लगे। और जहां जहां दाऊद जाता या वहां वहां यहोवा उसको जयवन्त करता या।
7. और हददेजेर के कर्मचारियोंके पास सोने की जो ढालें यीं उन्हें दाऊद लेकर यरूशलेम को आया।
8. और बेतह और बरौतै नाम हददेजेर के नगरोंसे दाऊद राजा बहुत सा पीतल ले आया।
9. और जब हमात के राजा तोई ने सुना कि दाऊद ने हददेजेर की समस्त सेना को जीत लिया है,
10. तब तोई ने योराम नाम अपके पुत्र को दाऊद राजा के पास उसका कुशल झेम पूछने, और उसे इसलिथे बधाई देने को भेजा, कि उस ने हददेजेर से लड़ कर उसको जीत लिया या; क्योंकि हददेजेर तोई से लड़ा करता या। और योराम चांदी, सोने और पीतल के पात्र लिए हुए आया।
11. इनको दाऊद राजा ने यहोवा के लिथे पवित्र करके रखा; और वैसा ही अपके जीती हुई सब जातियोंके सोने चांदी से भी किया,
12. अर्यात्‌ अरामियों, मोआबियों, अम्मानियों, पलिश्तियों, और अमालेकियोंके सोने चांदी को, और रहोब के पुत्र सोबा के राजा हददेजेर की लूट को भी रखा।
13. और जब दाऊद लोमवाली तराई में अठारह हजार अरामियोंको मारके लौट आया, तब उसका बड़ा नाम हो गया।
14. फिर उस ने एदोम में सिपाहियोंकी चौकियां बैठाई; पूरे एदोम में उस ने सिपाहियोंकी चौकियां। बैठाई, और सब एदोमी दाऊद के अधीन हो गए। और दाऊद जहां जहां जाता या वहां वहां यहोवा उसको जयवन्त करता या।
15. ( दाऊद के कर्मचारियोंकी नामावली ) दाऊद तो समस्त इस्राएल पर राज्य करता या, और दाऊद अपक्की समस्त प्रजा के साय न्याय और धर्म के काम करता या।
16. और प्रधान सेनापति सरूयाह का पुत्र योआब या; इतिहास का लिखनेवाला अहीलूद का पुत्र यहोशापात या;
17. प्रधान याजक अहीतूब का पुत्र सादोक और एब्यातर का पुत्र अहीमेलेक थे; मंत्री सरायाह या;
18. करेतियो और पकेतियोंका प्रधान यहोयादा का पुत्र बनायाह या; और दाऊद के पुत्र भी मंत्री थे।

Chapter 9

1. दाऊद ने पूछा, क्या शाऊल के घराने में से कोई अब तक बचा है, जिसको मैं योनातन के कारण प्रीति दिखाऊं?
2. शाऊल के घराने का सीबा नाम एक कर्मचारी या, वह दाऊद के पास बुलाया गया; और जब राजा ने उस से पूछा, क्या तू सीबा है? तब उस ने कहा, हां, तेरा दास वही है।
3. राजा ने पूछा, क्या शाऊल के घराने में से कोई अब तक बचा है, जिसको मैं परमेश्वर की सी प्रीति दिखाऊं? सीबा ने राजा से कहा, हां, योनातन का एक बेटा तो है, जो लंगड़ा है।
4. राजा ने उस से पूछा, वह कहां है? सीबा ने राजा से कहा, वह तो लोदबार नगर में, अम्मीएल के पुत्र माकीर के घर में रहता है।
5. तब राजा दाऊद ने दूत भेजकर उसको लोदबार से, अम्मीएल के पुत्र माकीर के घर से बुलवा लिया।
6. जब मपीबोशेत, जो योनातन का पुत्र और शाऊल का पोता या, दाऊद के पास आया, तब मुह के बल गिरके दणडवत्‌ किया। दाऊद ने कहा, हे मपीबोशेत ! उस ने कहा, तेरे दास को क्या आज्ञा?
7. दाऊद ने उस से कहा, मत डर; तेरे पिता योनातन के कारण मैं निश्चय तुझ को प्रीति दिखाऊंगा, और तेरे दादा शाऊल की सारी भूूमि तुझे फेर दूंगा; और तू मेरी मेज पर नित्य भोजन किया कर।
8. उस ने दणडवत्‌ करके कहा, तेरा दास क्या है, कि तू मुझे ऐसे मरे कुत्ते की ओर दृष्टि करे?
9. तब राजा ने शाऊल के कर्मचारी सीबा को बुलवाकर उस से कहा, जो कुछ शाऊल और उसके समस्त घराने का या वह मैं ने तेरे स्वामी के पोते को दे दिया है।
10. अब से तू अपके बेटोंऔर सेवकोंसमेत उसकी भूमि पर खेती करके उसकी उपज ले आया करना, कि तेरे स्वामी के पोते को भोजन मिला करे; परन्तु तेरे स्वामी का पोता मपीबोशेत मेरी मेज पर नित्य भोजन किया करेगा। और सीबा के तो पन्द्रह पुत्र और बीस सेवक थे।
11. सीबा ने राजा से कहा, मेरा प्रभु राजा अपके दास को जो जो आज्ञा दे, उन सभोंके अनुसार तेरा दास करेगा। दाऊद ने कहा, मपीबोशेत राजकुमारोंकी नाई मेरी मेज पर भोजन किया करे।
12. मपीबोशेत के भी मीका नाम एक छोटा बेटा या। और सीबा के घर में जितने रहते थे वे सब मपीबोशेत की सेवा करते थे।
13. और मपीबोशेत यरूशलेम में रहता या; क्योंकि वह राजा की मेज पर नित्य भोजन किया करता या। और वह दोनोंपांवोंका पंगुला या।

Chapter 10

1. इसके बाद अम्मोनियोंका राजा मर गया, और उसका हानून नाम पुत्र उसके स्यान पर राजा हुआ।
2. तब दाऊद ने यह सोचा, कि जैसे हानून के पिता नाहाश ने मुझ को प्रीति दिखाई यी, वैसे ही मैं भी हानून को प्रीति दिखाऊंगा। तब दाऊद ने अपके कई कर्मचारियोंको उसके पास उसके पिता के विषय शान्ति देने के लिथे भ्ेज दिया। और दाऊद के कर्मचारी अम्मोनियोंके देश में आए।
3. परन्तु अम्मोनियोंके हाकिम अपके स्वामी हानून से कहने लगे, दाऊद ने जो तेरे पास शान्ति देनेवाले भेजे हैं, वह क्या तेरी समझ में तेरे पिता का आदर करने की मनसा मे भेजे हैं? क्या दाऊद ने अपके कर्मचारियोंको तेरे पास इसी मनसा मे नहीं भेजा कि इस नगर में ढूंढ़ ढांढ़ करके और इसका भेद लेकर इसको उलट दें?
4. इसलिथे हानून ने दाऊद के कर्मचारियोंको पकडा, और उनकी आधी-आधी डाढ़ी मुड़वाकर और आधे वस्त्र, अर्यात्‌ नितम्ब तक कटवाकर, उनको जाने दिया।
5. इसका समाचार पाकर दाऊद ने लोगोंको उन से मिलने के लिथे भेजा, क्योंकि वे बहुत लजाते थे। और राजा ने यह कहा, कि जब तक तुम्हारी डाढिय़ां बढ़ न जाएं तब तक यरीहो में ठहरे रहो, तब लौट आना।
6. जब अम्मानियोंने देखा कि हम से दाऊद अप्रसन्न हैं, तब अम्मोनियोंने बेत्रहोब और सोबा के बीस हजार अरामी प्यादोंको, और हजार पुरुषोंसमेत माका के राजा को, और बारह हज़ार तोबी पुरुषोंको, वेतन पर बुलवाया।
7. यह सुनकर दाऊद ने योआब और शूरवीरोंकी समस्त सेना को भेजा।
8. तब अम्मोनी निकले और फाटक ही के पास पांती बान्धी; और सोबा और रहोब के अरामी और तोब और माका के पूरुष उन से न्यारे मैदान में थे।
9. यह देखकर कि आगे पीछे दोनोंओर हमारे विरुद्व पांति बन्धी है, योआब ने सब बड़े बढ़े इस्राएली वीरोंमें से बहुतोंको छांटकर अरामियोंके साम्हने उनकी पांति बन्धाई,
10. और और लोगोंको अपके भाई अबीशै के हाथ सौंप दिया, और उस ने अम्मोनियोंके साम्हने उनकी पांति बन्धाई।
11. फिर उस ने कहा, यदि अरामी मुझ पर प्रबल होने लगें, तो तू मेरी सहाथता करना; और यदि अम्मोनी तुझ पर प्रबल होने लगोंगे, तो मैं आकर तेरी सहाथता करूंगा।
12. तू हियाब बान्ध, और हम अपके लोगोंऔर अपके परमेश्वर के नगरोंके निमित्त पुरुषार्य करें; और यहोवा जैसा उसको अच्छा लगे वैसा करे।
13. तब योआब और जो लोग उसके साय थे अरामियोंसे युद्व करने को निकट गए; और वे उसके साम्हने से भागे।
14. यह देखकर कि अरामी भाग गए हैं अम्मोनी भी अबीशै के साम्हने से भागकर नगर के भीतर घुसे। तब योआब अम्मोनियोंके पास से लौटकर यरूशलेम को आया।
15. फिर यह देखकर कि हम इस्राएलियोंसे हार गए अरामी इकट्ठे हुए।
16. और हददेजेर ने दूत भेजकर महानद के पार के अरामियोंको बुलवाया; और वे हददेजेर के सेनापति शोवक को अपना प्रधान बनाकर हेलाम को आए।
17. इसका समाचार पाकर दाऊद ने समस्त इस्राएलियोंको इकट्ठा किया, और यरदन के पार होकर हेलाम में पहुंचा। तब अराम दाऊद के विरुद्ध पांति बान्धकर उस से लड़ा।
18. परन्तु अरामी इस्राएलियोंसे भागे, और दाऊद ने अरामियोंमें से सात सौ रयियोंऔर चालीय हजार सवारोंको मार डाला, और उनके सेनापति हाोबक को ऐसा घायल किया कि वह वहीं मर गया।
19. यह देखकर कि हम इस्राएल से हार गए हैं, जितने राजा हददेजेर के अधीन थे उन सभोंने इस्राएल के साय संधि की, और उसके अधीन हो गए। और अरामी अम्मोनियोंकी और सहाथता करने से डर गए।

Chapter 11

1. फिर जिस समय राजा लोग युद्ध करने को निकला करते हैं, उस समय, अर्यात्‌ वर्ष के आरम्भ में दाऊद ने योआब को, और उसके संग अपके सेवकोंऔर समस्त इस्राएलियोंको भेजा; और उन्होंने अम्मोनियोंको नाश किया, और रब्बा नगर को घेर लिया। परन्तु दाऊद सरूशलेम में रह गया।
2. सांफ के समय दाऊद पलंग पर से उठकर राजभवन की छत पर टहल रहा या, और छत पर से उसको एक स्त्री, जो अति सुन्दर यी, नहाती हुई देख पक्की।
3. जब दाऊद ने भेजकर उस स्त्री को पुछवाया, तब किसी ने कहा, क्या यह एलीआम की बेटी, और हित्त्ीि ऊरिय्याह की पत्नी बतशेबा नहीं है?
4. तब दाऊद ने दूत भेजकर उसे बुलवा लिया; और वह दाऊद के पास आई, और वह उसके साय सोया। ( वह तो ऋतु से शुद्ध हो गई यी ) तब वह अपके घर लौट गई।
5. और वह स्त्री गर्भवती हुई, तब दाऊद के पास कहला भेजा, कि मुझे गर्भ है।
6. तब दाऊद ने योआब के पास कहला भेजा, कि हित्ती ऊरिय्याह को मेरे पास भेज, तब योआब ने ऊरिय्याह को दाऊद के पास भेज दिया।
7. जब ऊरिय्याह उसके पास आया, तब दाऊद ने उस से योआब और सेना का कुशल झेम और युद्ध का हाल पूछा।
8. तब दाऊद ने ऊरिय्याह से कहा, अपके घर जाकर अपके पांव धो। और ऊरिय्याह राजभवन से निकला, और उसके पीछे राजा के पास से कुछ इनाम भेजा गया।
9. परन्तु ऊरिय्याह अपके स्वामी के सब सेवकोंके संग राजभवन के द्वार में लेट गया, और अपके घर न गया।
10. जब दाऊद को यह समाचार मिला, कि ऊरिय्याह अपके घर नहीं गया, तब दाऊद ने ऊरिय्याह से कहा, क्या तू यात्रा करके नहीं आया? तो अपके घर क्योंनहीं गया?
11. ऊरिय्याह ने दाऊद से कहा, जब सनदूक और इस्राएल और यहूदा फोपडिय़ोंमें रहते हैं, और मेरा स्वामी योआब और मेरे स्वामी के सेवक खुले मैदान पर डेरे डाले हुए हैं, तो क्या मैं घर जाकर खाऊं, पीऊं, और अपक्की पत्नी के साय सोऊं? तेरे जीवन की शपय, और तेरे प्राण की शपय, कि मैं ऐसा काम नहीं करने का।
12. दाऊद ने ऊरिय्याह से कहा, आज यहीं रह, और कल मैं तुझे विदा करूंगा। इसलिथे ऊरिय्याह उस दिन और दूसरे दिन भी यरूशलेम में रहा।
13. तब दाऊद ने उसे नेवता दिया, और उस ने उसके साम्हने खाया पिया, और उसी ने उसे मतवाला किया; और सांफ काो वह अपके स्वामी के सेवकोंके संग अपक्की चारपाई पर सोने को निकला, परन्तु अपके घर न गया।
14. बिहान को दाऊद ने योआब के नाम पर एक चिट्ठी लिखकर ऊरिय्याह के हाथ से भेजदी।
15. उस चिट्ठी में यह लिखा या, कि सब से घोर युद्ध के साम्हने ऊरिय्याह को रखना, तब उसे छोडकर लौट आबो, कि वह घायल हो कर मर जाए।
16. और योआब ने नगर को अच्छी रीति से देख भालकर जिस स्यान में वह जानता या कि वीर हैं, उसी में ऊरिय्याह को ठहरा दिया।
17. तब नगर के पुरुषोंने निकलकर योआब से युद्ध किया, और लागोंमें से, अर्यात्‌ दाऊद के सेवकोंमें से कितने खेत आए; और उन में हित्ती ऊरिय्यह भी मर गया।
18. तब योआब ने भेजकर दाऊद को युद्ध का पूरा हाल बताया;
19. और दूत को आज्ञा दी, कि जब तू युद्धका पूरा हाल राजा को बता चुके,
20. तब यदि राजा जलकर कहने लगे, कि तुम लाग लड़ने को नगर के ऐसे निकट क्योंगए? क्या तुम न जानते थे कि वे शहरपनाह पर से तीर छोड़ेंगे?
21. यरुब्बेशेत के पुत्र अबीमेलेक को किसने मार डाला? क्या एक स्त्री ने शहरपनाह पर से चक्की का उपरला पाट उस पर ऐसा न डाला कि वह तेबेस में मर गया? फिर तुम हाहरपनाह के एसे निकट क्योंगए? तो तू योंकहना, कि तेरा दास ऊरिय्याह हित्ती भी मर गया।
22. तब दूत चल दिया, और जाकर दाऊद से योआब की सब बातें चर्णन कीं।
23. दूत ने दाऊद से कहा, कि वे लोग हम पर प्रबल होकर मैदान में हमारे पास निकल आए, फिर हम ने उन्हें फाटक तक खदेड़ा।
24. तब धनुर्धारियोंने शहरपनाह पर से तेरे जनोंपर तीर छोड़े; और राजा के कितने जन मर गए, और तेरा दास ऊरिय्याह हित्ती भी मर गया।
25. दाऊद ने दूत से कहा, योआब से योंकहना, कि इस बात के कारण उदास न हो, क्योंकि तलवार जैसे इसको वैसे उसको नाश करती है; तो तू नगर के विरुद्ध अधिक दृढ़ता से लड़कर उसे उलट दे। और तू उसे हियाव बन्धा।
26. जब ऊरिय्याह की स्त्री ने सुना कि मेरा पति मर गया, तब वह अपके पति के लिथे रोने पीटते लगी।
27. और जब उसके विलाप के दिन बीत चुके, तब दाऊद ने उसे बुलवाकर अपके घर में रख लिया, और वह उसकी पत्नी हो गई, और उसके पुत्र उत्पन्न हुआ। परन्तु उस काम से जो दाऊद ने किया या यहोवा क्रोधित हुआ।

Chapter 12

1. तब यहोवा ने दाऊद के पास नातान को भेजा, और वह उसके पास जाकर कहने लगा, एक नगर में दो मनुष्य रहते थे, जिन में से एक धनी और एक निर्धन या।
2. धनी के पास तो बहुत सी भेड़-बकरियां और गाय बैल थे;
3. परन्तु निर्धन के पास भेड़ की एक छोटी बच्ची को छोड़ और कुछ भी न या, और उसको उस ने मोल लेकर जिलाया या। और वह उसके यहां उसके बालबच्चोंके साय ही बढ़ी यी; वह उसके टुकड़े में से खाती, और उसके कटोरे में से पीती, और उसकी गोद मे सोती यी, और वह उसकी बेटी के समान यी।
4. और धनी के पास एक बटोही आया, और उस ने उस बटोही के लिथे, जो उसके पास आया या, भोजत बनवाने को अपक्की भेड़-बकरियोंवा गाय बैलोंमें से कुछ न लिया, परन्तु उस निर्धन मनुष्य की भेड़ की बच्ची लेकर उस जन के लिथे, जो उसके पास आया या, भोजन बनवाया।
5. तब दाऊद का कोप उस मनुष्य पर बहुत भड़का; और उस ने नातान से कहा, यहोवा के जीवन की शपय, जिस मनुष्य ने ऐसा काम किया वह प्राण दणड के योग्य है;
6. और उसको वह भेड़ की बच्ची का औगुणा भर देना होगा, क्योंकि उस ने ऐसा काम किया, और कुछ दया नहीं की।
7. तब नातान ने दाऊद से कहा, तू ही वह मनुष्य है। इस्राएल का परमेश्वर यहोवा योंकहता है, कि मैं ने तेरा अभिशेक कराके तुझे इस्राएल का राजा ठहराया, और मैं ते तुझे शाऊल के हाथ से बचाया;
8. फिर मैं ने तेरे स्वामी का भवन तुझे दिया, और तेरे स्वामी की पत्नियां तेरे भाग के लिथे दीं; और मैं ने इस्राएल और सहूदा का घराना तुझे दिया या; और यदि यह योड़ा या, तो मैं तुझे और भी बहुत कुछ देनेवाला या।
9. तू ने यहोवा की आज्ञा तुच्छ जानकर क्योंवह काम किया, जो उसकी दृष्टि में बुरा है? हित्ती ऊरिय्याह को तू ने तलवार से घात किया, और उसकी पत्नी को अपक्की कर लिया है, और ऊरिय्याह को अम्मोनियोंकी तलवार से मरवा डाला है।
10. इसलिथे अब तलवार तेरे घर से कभी दूर न होगी, क्योंकि तू ने मुझे तुच्छ जानकर हित्ती ऊरिय्याह की पत्नी को अपक्की पत्नी कर लिया है।
11. यहोवा योंकहता है, कि सुन, मैं तेरे घर में से विपत्ति उठाकर तुझ पर डालूंगा; और तेरी पत्नियोंको तेरे साम्हने लेकर दूसरे को दूंगा, और वह दिन दुपहरी में तेरी पत्नियोंसे कुकर्म करेगा।
12. तू ने तो वह काम छिपाकर किया; पर मैं यह काम सब इस्राएलियोंके साम्हने दिन दुपहरी कराऊंगा।
13. तब दाऊद ने नातान से कहा, मैं ने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है। नातान ने दाऊद से कहा, यहोवा ने तेरे पाप को दूर किया है।; तू न मरेगा।
14. तौभी तू ने जो इस काम के द्वारा यहोवा के शत्रुओं को तिरस्कार करने का बड़ा अवसर दिया है, इस कारण तेरा जो बेटा उत्पन्न हुआ है वह अवश्य ही मरेगा।
15. तब नातान अपके घर चला गया। और जो बच्चा ऊरिय्याह की पत्नी से दाऊद के द्वारा उत्पन्न या, वह यहोवा का मारा बहुत रोगी हो गया।
16. और दाऊद उस लड़के के लिथे परमेश्वर से बिनती करने लगा; और उपवास किया, और भीतर जाकर रात भर भूमि पर पड़ा रहा।
17. तब उसके घराने के पुरनिथे उठकर उसे भूमि पर से उठाने के लिथे उसके पास गए; परन्तु उस ने न चाहा, और उनके संग रोठी न खाई।
18. सातवें दिन बच्चा मर गया, और दाऊद के कर्मचारी उसको बच्चे के मरने का समाचार देने से डरे; उन्होंने तो कहा या, कि जब तक बच्चा जीवित रहा, तब तक उस ने हमारे बमफाने पर मन न लगाया; यदि हम उसको बच्चे के मर जाने का हाल सुनाएं तो वह बहुत ही अधिक दु:खी होगा।
19. अपके कर्मचारियोंको आपस में फुसफुसाते देखकर दाऊद ने जान लिया कि बच्चा मर गया; तो दाऊद ने अपके कर्मचारियोंसे पूछा, क्या बच्चा मर गया? उन्होंने कहा, हां, मर गया है।
20. तब दाऊद भूमि पर से उठा, और नहाकर तेल लगाया, और वस्त्र बदला; तब यहोवा के भवन में जाकर दणडवत्‌ की; फिर अपके भवन में आया; और उसकी आज्ञा पर रोटी उसको परोसी गई, और उस ने भोजन किया।
21. तब उसके कर्मचारियोंने उस से पूछा, तू ने यह क्या काम किया है? जब तक बच्चा जीवित रहा, तब तक तू उपवास करता हुआ रोता रहा; परन्तु ज्योंही बच्चा मर गया, त्योंही तू उठकर भोजन करने लगा।
22. उस ने उत्तर दिया, कि जब तक बच्चा जीवित रहा तब तक तो मैं यह सोचकर उपवास करता और रोता रहा, कि क्या जाने यहोवा माुफ पर ऐसा अनुग्रह करे कि बच्चा जीवित रहे।
23. परन्तु अब वह मर गया, फिर मैं उपवास क्योंकरूं? क्या मैं उसे लौटा ला सकता हूं? मैं तो उसके पास जाऊंगा, परन्तु वह मेरे पास लौट न आएगा।
24. तब दाऊद ने अपक्की पत्नी बतशेबा को शान्ति दी, और वह उसके पास गया; और असके एक पुत्र उत्पन्न हुआ, और उस ने उसका नाम सुलैमान रखा। और वह सहोवा का प्रिय हुआ।
25. और उस ने नातान भविष्यद्वक्ता के द्वारा सन्देश भेज दिया; और उस ने यहोवा के कारण उसका नाम यदीद्याह रखा।
26. और योआब ने अम्मोनियोंके रब्बा नगर से लड़कर राजनगर को ले लिया।
27. तब योआब ने दूतोंसे दाऊद के पास यह कहला भेजा, कि मैं रब्बा से लड़ा और जलवाले नगर को ले लिया है।
28. सो अब रहे हुए लोगोंको इकट्ठा करके नगर के विरुद्ध छावनी डालकर उसे भी ले ले; ऐसा न हो कि मैं उसे ले लूं, और वह मेरे नाम पर कहलाए।
29. तब दाऊद सब लोगोंको इकट्ठा करके रब्बा को गया, और उस से युद्ध करके उसे ले लिया।
30. तब उस ने उनके राजा का मुकुट, जो तौल में किक्कार भर सोने का या, और उस में मणि जड़े थे, उसको उसके सिर पर से उतारा, और वह दाऊद के सिर पर रखा गया। फिर उस ने उस नगर की बहुत ही लूट पाई।
31. और उस ने उसके रहनेवालोंको निकालकर आरो से दो दो टुकड़े कराया, और लोहे के हेंगे उन पर फिरवाए, और लोहे की कुल्हाडिय़ोंसे उन्हें कटवाया, और ईट के पजावे में से चलवाया; और अम्मोनियोंके सब नगरोंसे भी उस ने ऐसा ही किया। तब दाऊद समस्त लोगोंसमेत यरूशलेम को लौट आया।

Chapter 13

1. इसके बाद तामार नाम एक सुन्दरी जो दाऊद के पुत्र अबशालोम की बहिन यी, उस पर दाऊद का पुत्र अम्नोन मोहित हुआ।
2. और अम्नोन अपक्की बहिन तामार के कारण ऐसा विकल हो गया कि बीमार पड़ गया; क्योंकि वह कुमारी यी, और उसके साय कुछ करना अम्नोन को कठिन जान पड़ता या।
3. अम्नोन के योनादाब नाम एक मित्र या, जो दाऊद के भाई शिमा का बेटा या; और वह बड़ा चतुर या।
4. और उस ने अम्नोन से कहा, हे राजकुमार, क्या कारण है कि तू प्रति दिन ऐसा दुबला होता जाता है क्या तू मुझे न बताएगा? अम्नोन ने उस से कहा, मैं तो अपके भाई अबशालोम की बहिन तामार पर मोहित हूं।
5. योनादाब ने उस से कहा, अपके पलंग पर लेटकर बीमार बन जा; और जब तेरा पिता तुझे देखने को आए, तब उस से कहना, मेरी बहिन तामार आकर मुझे रोटी खिलाए, और भोजन को मेरे साम्हने बनाए, कि मैं उसको देखकर उसके हाथ से खाऊं।
6. और अम्नोन लेटकर बीमार बना; और जब राजा उसे देखने आया, तब अम्नोन ने राजा से कहा, मेरी बहिन तामार आकर मेरे देखते दो पूरी बनाए, कि मैं उसके हाथ से खाऊं।
7. और दाऊद ने अपके घर तामार के पास यह कहला भेजा, कि अपके भाई अम्नोन के घर जाकर उसके लिथे भोजन बना।
8. तब तामार अपके भाई अम्नोन के घर गई, और वह पड़ा हुआ या। तब उस ने आटा लेकर गूंधा, और उसके देखते पूरियां। पकाई।
9. तब उस ने याल लेकर उनको उसके लिथे परोसा, परन्तु उस ने खाने से इनकार किया। तब अम्नोन ने कहा, मेरे आस पास से सब लोगोंको निकाल दो, तब सब लोग उसके पास से निकल गए।
10. तब अम्नोन ने तामार से कहा, भोजत को कोठरी में ले आ, कि मैं तेरे हाथ से खाऊं। तो तामार अपक्की बनाई हुई पूरियोंको उठाकर अपके भाई अम्नोन के पास कोठरी में ले गई।
11. जब वह उनको उसके खाने के लिथे निकट ले गई, तब उस ने उसे पकड़कर कहा, हे मेरी बहिन, आ, मुझ से मिल।
12. उस ने कहा, हे मेरे भाई, ऐसा नहीं, मुझे भ्रष्ट न कर; क्योंकि इस्राएल में ऐसा काम होना नहीं चाहिथे; ऐसी मूढ़ता का काम न कर।
13. और फिर मैं अपक्की नामधराई लिथे हुए कहां जाऊंगी? और तू इस्राएलियोंमें एक मूढ़ गिना जाएगा। तू राजा से बातचीत कर, वह मुझ को तुझे ब्याह देने के लिथे मना न करेगा।
14. परन्तु उस ने उसकी न सुनी; और उस से बलवान होने के कारण उसके साय कुकर्म करके उसे भ्रष्ट किया।
15. तब अम्नोन उस से अत्यन्त बैर रखने लगा; यहां तक कि यह बैर उसके पहिले मोह से बढ़कर हुआ। तब अम्नोन ने उस से कहा, उठकर चक्की जा।
16. उस ने कहा, ऐसा नहीं, क्योंकि यह बढ़ा उपद्रव, अर्यात्‌ मुझे निकाल देना उस पहिले से बढ़कर है जो तू ने मुझ से किया है। परन्तु उस ने उसकी न सुनी।
17. तब उस ने अपके टहलुए जवान को बुलाकर कहा, इस स्त्री को मेरे पास से बाहर निकाल दे, और उसके पीछे किवाड़ में चिटकनी लगा दे।
18. वह तो रंगबिरंगी कुतीं पहिने यी; क्योंकि जो राजकुमारियां कुंवारी रहती यीं वे ऐसे ही वस्त्र पहिनती यीं। सो अम्नोन के टहलुए ने उसे बाहर निकालकर उसके पीछे किवाड़ में चिटकनी लगा दी।
19. तब तामार ने अपके सिर पर राख डाली, और अपक्की रंगबिरंगी कुतीं को फाढ़ डाला; और सिर पर हाथ रखे चिल्लाती हुई चक्की गई।
20. उसके भाई अबशालोम ने उस से पूछा, क्या तेरा भाई अम्नोन तेरे साय रहा है? परन्तु अब, हे मेरी बहिन, चुप रह, वह तो तेरा भाई है; इस बात की चिन्ता न कर। तब तामार अपके भाई अबशालोम के घर में मन मारे बैठी रही।
21. जब थे सब बातें दाऊद राजा के कान में पक्कीं, तब वह बहुत फुंफला उठा।
22. और अबशालोम ने अम्नोन से भला-बुरा कुछ न कहा, क्योंकि अम्नोन ने उसकी बहिन तामार को भ्रष्ट किया या, इस कारण अबशालोम उस से घृणा रखता या।
23. दो पर्ष के बाद अबशालोम ने एप्रैम के निकट के बाल्हासोर में अपक्की भेड़ोंका ऊन कतरवाया और अबशालोम ने सब राजकुमारोंको नेवता दिया।
24. वह राजा के पास जाकर कहनलगा, बिनती यह है, कि तेरे दास की भेड़ोंका ऊन कतरा जाता है, इसलिथे राजा अपके कर्मचारियो समेत अपके दास के संग चले।
25. राजा ने अबशालोम से कहा, हे मेरे बेटे, ऐसा नहीं; हम सब न चलेंगे, ऐसा न हो कि तुझे अधिक कष्ट हो। तब अबशालोम ने उसे बिनती करके दबाया, परन्तु उस ने जाने से इनकार किया, तौभी उसे आशीर्वाद दिया।
26. तब अबशालोम ने कहा, यदि तू नहीं तो मेरे भाई अम्नोन को हमारे संग जाने दे। राजा ने उस से पूछा, वह तेरे संग क्योंचले?
27. परन्तु अबशालोम ने उसे ऐसा दबाया कि उस ने अम्नोन और सब राजकुमारोंको उसके साय जाने दिया।
28. औा अबशालोम ने अपके सेवको को आज्ञा दी, कि सावधान रहो और जब अम्नोन दाखमधु पीकर नशे में आ जाए, और मैं तुम से कहूं, अम्नोन को मार डालना। क्या इस आज्ञा का देनेवाला मैं नहीं हूं? हियाव बान्धकर पुरुषार्य करना।
29. तो अबशालोम के सेवकोंने अम्नोन के साय अबशालोम की आज्ञा के अनुसार किया। तब सब राजकुमार उठ खड़े हुए, और अपके अपके खच्चर पर चढ़कर भाग गए।
30. वे मार्ग ही में थे, कि दाऊद को यह समाचार मिला कि अबशालोम ने सब राजकुमारोंको मार डाला, और उन में से एक भी नहीं बचा।
31. तब दाऊद ने उठकर अपके वस्त्र फाड़े, और भूमि पर गिर पड़ा, और उसके सब कर्मचारी वस्त्र फाड़े हुए उसके पास खड़े रहे।
32. तब दाऊद के भाई शिमा के पुत्र यानादाब ने कहा, मेरा प्रभु यह न समझे कि सब जवान, अर्यात्‌ राजकुमार मार डाले गए हैं, केवल अम्नोन मारा गया है; क्योंकि जिस दिन उस ने अबशालोम की बहिन तामार को भ्रष्ट किया, उसी दिन से अबशालोम की आज्ञा से ऐसी ही बात ठनी यी।
33. इसलिथे अब मेरा प्रभु राजा अपके मन में यह समझकर कि सब राजकुमार मर गए उदास न हो; क्योंकि केवल अम्नोन ही मर गया है।
34. इतने में अबशालोम भाग गया। और जो जवान पहरा देता य उस ने आंखें उठाकर देखा, कि पीछे की ओर से पहाड़ के पास के मार्ग से बहुत लोग चले आ रहे हैं।
35. तब योनादाब ने राजा से कहा, देख, राजकुमार तो आ गए हैं; जैसा तेरे दास ने कहा या वैसा ही हुआ।
36. वह कह ही चुका या, कि राजकुमार पहुंच गए, और चिल्ला चिल्लाकर रोने लगे; और राजा भी अपके सब कर्मचारियोंसमेत बिलख बिलख कर रोने लगा।
37. अबशालोम तो भागकर गशूर के राजा अम्मीहूर के पुत्र तल्मै के पास गया। और दाऊद अपके पुत्र के लिथे दिन दिन विलाप करता रहा।
38. जब अबशालोम भागकर गशूर को गया, तब पहां तीन पर्ष तक रहा।
39. और दाऊद के मन में अबशालोम के पास जाने की बड़ी लालसा रही; क्योंकि अम्नोन जो मर गया या, इस कारण उस ने उसके विषय में शान्ति पाई।

Chapter 14

1. और सरूयाह का पुत्र योआब ताड़ गया कि राजा का मन अबशालोम की ओर लगा है।
2. इसलिथे योआब ने तको नगर में दूत भेजकर वहां से एक बुद्धिमान स्त्री को बुलवाया, और उस से कहा, शोक करनेवाली बन, अर्यात्‌ शोक का पहिरावा पहिन, और तेल न लगा; परन्तु ऐसी स्त्री बन जो बहुत दिन से मुए के लिथे विलाप करती रही हो।
3. तब राजा के पास जाकर ऐसी ऐसी बातें कहना। और योआब ने उसको जो कुछ कहना या वह सिखा दिया।
4. जब वह तकोइन राजा से बातें करने लगी, तब मुंह के बल भूमि पर गिर दणडवत्‌ करके कहने लगी, राजा की दोहाई
5. राजा ने उस से पूछा, तुझे क्या चाहिथे? उस ने कहा, सचमुच मेरा पति मर गया, और मैं विधवा हो गई।
6. और तेरी दासी के दो बेटे थे, और उन दोनोंने मैदान में मार पीट की; और उनको छुड़ानेवाला कोई न या, इसलिए एक ने दूसरे को ऐसा मारा कि वह मर गया।
7. और यह सुन सब कुल के लोग तेरी दासी के विरुद्ध उठकर यह कहते हैं, कि जिस ने अपके भाई को घात किया उसको हमें सौंप दे, कि उसके मारे हुए भाई के प्राण के पलटे में उसको प्राण दणड दे; और वारिस को भी नाश करें। इस तरह वे मेरे अंगारे को जो बच गया है बुफाएंगे, और मेरे पति का ताम और सन्तान धरती पर से मिटा डालेंगे।
8. राजा ने स्त्री से कहा, अपके घर जा, और मैं तेरे विषय आज्ञा दूंगा।
9. तकोइन ने राजा से कहा, हे मेरे प्रभु, हे राजा, दोष मुझी को और मेरे पिता के घराने ही को लगे; और राजा अपक्की गद्दी समेत निदॉष ठहरे।
10. राजा ने कहा, जो कोई तुझ से कुछ बोले उसको मेरे पास ला, तब वह फिर तुझे छूने न पाएगा।
11. उस ने कहा, राजा अपके परमेश्वर यहोवा को स्मरण करे, कि खून का पलटा लेनेवाला औैर नाश करने न पाए, और मेरे बेटे का नाश न होने पाए। उस ने कहा, यहोवा के जीवन की शपय, तेरे बेटे का एक बाल भी भूमि पर गिरने न पाएगा।
12. स्त्री बोली, तेरी दासी अपके प्रभु राजा से एक बात कहने पाए।
13. उस ने कहा, कहे जा। स्त्री कहने लगी, फिर तू ने परमेश्वर की प्रजा की हानि के लिथे ऐसी ही युक्ति क्योंकी है? राजा ने जो यह वचन कहा है, इस से वह दोषी सा ठहरता है, क्योंकि राजा अपके निकाले हुए को लौटा नहीं लाता।
14. हम को तो मरना ही है, और भूमि पर गिरे हुए जल के समान ठहरेंगे, जो फिर उठाया नहीं जाता; तौभी परमेश्वर प्राण नहीं लेता, वरन ऐसी युकित करता है कि निकाला हुआ उसके पास से निकाला हुआ न रहे।
15. और अब मैं जो अपके प्रभु राजा से यह बात कहने को आई हूं, इसका कारण यह है, कि लोगोंने मुझे डरा दिया या; इसलिथे तेरी दासी ने सोचा, कि मैं राजा से बोलूंगी, कदाचित राजा अपक्की दासी की बिनती को पूरी करे।
16. नि:सन्देह राजा सुनकर अवश्य अपक्की दासी को उस मनुष्य के हाथ से बचाएगा जो पाफे और मेरे बेटे दोनोंको परमेश्वर के भाग में से नाश करना चाहता है।
17. सो तेरी दासी ने सोचा, कि मेरे प्रभु राजा के वचन से शान्ति मिले; क्योंकि मेरा प्रभु राजा परमेश्वर के किसी दूत की नाई भले-बुरे में भेद कर सकता है; इसलिथे तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे संग रहे।
18. राजा ने उत्तर देकर उस स्त्री से कहा, जो बात मैं तुझ से पूछता हूं उसे मुझ से न छिपा। स्त्री ने कहा, मेरा प्रभु राजा कहे जाए।
19. राजा ने पूछा, इस बात में क्या योआब तेरा संगी है? स्त्री ने उत्तर देकर कहा, हे मेरे प्रभुु, हे राजा, तेरे प्राण की शपय, जो कुछ मेरे प्रभु राजा ने कहा है, उस से कोई न दाहिनी ओर मुड़ सकता है और न बाई। तेरे दास योआब ही ने मुझे आज्ञा दी, और थे सब बातें उसी ने तेरी दासी को सिखाई है।
20. तेरे दास योआब ने यह काम इसलिथे किया कि बात का रंग बदले। और मेरा प्रभु परमेश्वर के एक दूत के तुल्य बुद्धिमान है, यहां तक कि धरती पर जो कुछ होता है उन सब को वह जानता है।
21. तब राजा ने योआब से कहा, सुन, मैं ने यह बात मानी है; तू जाकर अबशालोम जवान को लौटा ला।
22. तब योआब ने भूमि पर मुंह के बल गिर दणडवत्‌ कर राजा को आशीर्वाद दिया; और योआब कहने लगा, हे मेरे प्रभु, हे राजा, आज तेरा दास जान गया कि मुझ पर तेरी अनग्रह की दृष्टि है, क्योंकि राजा ने अपके दास की बिनती सुनी है।
23. और योआब उठकर गशूर को गया, और अबशालोम को यरूशलेम ले आया।
24. तब राजा ने कहा, वह अपके घर जाकर रहे; और मेरा दर्शन न पाए। तब अबशालोम अपके घर जा रहा, और राजा का दर्शन न पाया।
25. समस्त इस्राएल में सुन्दरता के कारण बहुत प्रशंसा योग्य अबशालोम के तुल्य और कोई न या; वरन उस में नख से सिख तक कुछ दोष न या।
26. और वह वर्ष के अन्त में अपना सिर मुंढ़वाता या ( उसके बाल उसको भारी जान पड़ते थे, इस कारण वह उसे मुंड़ाता या ); और जब जब वह उसे मुंड़ाता तब तब अपके सिर के बाल तौलकर राजा के तौल के अनुसार दो सौ शेकेल भर पाता या।
27. और अबशालोम के तीन बेटे, और तामार नाम एक बेटी उत्पन्न हुई यी; और यह रूपवती स्त्री यी।
28. और अबशालोम राजा का दर्शन बिना पाए यरूशलेम में दो वर्ष रहा।
29. तब अबशालोम ने योआब को बुलवा भेजा कि उसे राजा के पास भेजे; परन्तु योआब ने उसके पास आने से इनकार किया। और उस ने उसे दूसरी बार बुलवा भेजा, परन्तु तब भी उस ने आने से इनकार किया।
30. तब उस ने अपके सेवकोंसे कहा, सुनो, योआब का एक खेत मेरी भूमि के निकट है, और उस में उसका जव खड़ा है; तुम जाकर उस में आग लगाओ। और अबशालोम के सेवकोंने उस खेत में आग लगा दी।
31. तब योआब उठा, और अबशालोम के घर में उसके पास जाकर उस से पूछने लगा, तेरे सेवकोंने मेरे खेत में क्योंआग लगाई है?
32. अबशालोम ने योआब से कहा, मैं ने तो तेरे पास यह कहला भेजा या, कि यहां आना कि मैं तुझे राजा के पास यह कहने को भेजूं, कि मैं गशूर से क्योंआया? मैं अब तक वहां रहता तो अच्छा होता। इसलिथे अब राजा मुझे दर्शन दे; और यदि मैं दोषी हूं, तो वह मुझे मार डाले।
33. तो योआब ने राजा के पास जाकर उसको यह बात सुनाई; और राजा ने अबशालोम को बुलवाया। और वह उसके पास गया, और उसके सम्मुख भूमि पर मुंह के बल गिरके दणडवत्‌ की; और राजा ने अबशालोम को चूमा।

Chapter 15

1. इसके बाद अबशालोम ने रय और घोड़े, और अपके आगे आगे दौड़नेवाले पचास मनुष्य रख लिए।
2. और अबशालोम सवेरे उठकर फाटक के मार्ग के पास ख्ड़ा हाआ करता या; और जब जब कोई मुद्दई राजा के पास न्याय के लिथे आता, तब तब अबशालोम उसको पुकारके पूछता या, तू किय नगर से आता है?
3. और वह कहता या, कि तेरा दास इस्राएल के फुलाने गोत्र का है। तब अबशालोम उस से कहता या, कि सुन, तेरा पझ तो ठीक और न्याय का है; परन्तु राजा की ओर से तेरी युननेवाला कोई नहीं है।
4. फिर अबशालोम यह भी कहा करता या, कि भला होता कि मैं इस देश में न्यायी ठहराया जाता ! कि जितने मुकद्दमावाले होते वे सब मेरे ही पास आते, और मैं उनका न्याय चुकाता।
5. फिर जब कोई उसे दणडवत्‌ करने को निकट आता, तब वह हाथ बढ़ाकर उसको पकड़के चूम लेता या।
6. और जितने इस्राएली राजा के पास अपना मुकद्दमा तै करने को आते उन सभोंसे अबशालोम ऐसा ही व्यवहार किया करता या; इस प्रकार अबशालोम ने इस्राएली मनुष्योंके मन को हर लिया।
7. चार वर्ष के बीतने पर अबशालोम ने राजा से कहा, मुझे हेब्रोन जाकर अपक्की उस मन्नत को पूरी करने दे, जो मैं ने यहोवा की मानी है।
8. तेरा दास तो जब आराम के गशूर में रहता या, तब यह कहकर यहोवा की मन्नत मानी, कि यदि यहोवा मुझे सचमुच यरूशलेम को लौटा ले जाए, तो मैं यहोवा की उपासना करूंगा।
9. राजा ने उस से कहा, कुशल झेम से जा। और वह चलकर हेब्रोन को गया।
10. तब अबशालोम ने इस्राएल के समस्त गोत्रें में यह कहने के लिथे भेदिए भेजे, कि जग नरसिंगे का शब्द तुम को सुन पके, तब कहना, कि अबशालोम हेब्रोन में राजा हुआ !
11. और अबशालोम के संग दो सौ नेवतहारी यरूशलेम से गए; वे सीधे मन से उसका भेद बिना जाने गए।
12. फिर जब अबशालोम का यज्ञ हुआ, तब उस ने गीलोवासी अहीतोपेल को, जो दाऊद का मंत्री या, बुलवा भेजा कि वह अपके नगर गीलो से आए। और राजद्रोह की गोष्ठी ने बल पकड़ा, क्योंकि अबशालोम के पझ के लोग बराबर बढ़ते गए।
13. तब किसी ने दाऊद के पास जाकर यह समाचार दिया, कि इस्राएली मनुष्योंके मन अबशालोम की ओर हो गए हैं।
14. तब दाऊद ने अपके सब कर्मचारियोंसे जो यरूशलेम में उसके संग थे कहा, आओ, हम भाग चलें; नहीं तो हम में से कोर्ह भी अबशालोम से न बचेगा; इसलिथे फुतीं करते चले चलो, ऐसा न हो कि वह फुतीं करके हमें आ घेरे, और हमारी हानि करे, और इस नगर को तलवार से मार ले।
15. राजा के कर्मचारियोंने उस से कहा, जैसा हमारे प्रभु राजा को अच्छा जान पके, वैसा ही करने के लिथे तेरे दास तैयार हैं।
16. तब राजा निकल गया, और उसके पीछे उसका समस्त घराना निकला। और राजा दस रखेलियोंको भवन की चौकसी करने के लिथे छोड़ गया।
17. और राजा निकल गया, और उसके पीछे सब लोग निकले; और वे बेतमेर्हक में ठहर गए।
18. और उसके सब कर्मचारी उसके पास से होकर आगे गए; और सब करेती, और सब पकेती, और सब गती, अर्यात्‌ जो छ: सौ पुरुष गत से उसके पीछे हो लिए थे वे सब राजा के साम्हने से होकर आगे चले।
19. तब राजा ने गती इत्तै से पूछा, हमारे संग तू क्योंचलता है? लौटकर राजा के पास रह; क्योंकि तू परदेशी और अपके देश से दूर है, इसलिथे अपके स्यान को लौट जा।
20. तू तो कल ही आया है, क्या मैं आज तुझे अपके साय मारा मारा फिराऊं? मैं तो जहां जा समूंगा वहां जाऊंगा। तू लौट जा, और अपके भाइयोंको भी लौटा दे; ईश्चर की करुणा और यच्चाई तेरे संग रहे।
21. इत्तै ने राजा को उत्तर देकर कहा, यहोवा के जीवन की शपय, और मेरे प्रभु राजा के जीवन की शपय, जिस किसी स्यान में मेरा प्रभु राजा रहेगा, चाहे मरने के लिथे हो चाहे जीवित रहने के लिथे, उसी स्यान में तेरा दास भी रहेगा।
22. तब दाऊद ने इत्तै से कहा, पार चल। सो गती इत्तै अपके समस्त जनोंऔर अपके साय के सब बाल-बच्चोंसमेत पार हो गया।
23. सब रहनेवाले चिल्ला चिल्लाकर रोए; और सब लोग पार हुए, और राजा भी किद्रोन नाम नाले के पार हुआ, और सब लोग नाले के पार जंगल के मार्ग की ओर पार होकर चल पके।
24. तब क्या देखने में आया, कि सादोक भी और उसके संग सब लेवीय परमेश्वर की वाचा का सन्दूक उठाए हुए हैं; और उन्होंने परमेश्वर के सन्दूक को धर दिया, तब एब्यातार चढ़ा, और जब तक सब लोग नगर से न निकले तब तक वहीं रहा।
25. तब राजा ने सादोक से कहा, परमेश्वर के सन्दूक को नगर में लौटा ले जा। यदि यहोवा के अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर हो, तो वह मुझे लौटाकर उसको और अपके वासस्यान को भी दिखाएगा;
26. परन्तु यदि वह मुझ से ऐसा कहे, कि मैं तुझ से प्रसन्न नहीं, तौभी मैं हाजिर हूं, जैसा उसको भाए वैसा ही वह मेरे साय बर्त्ताव करे।
27. फिर राजा ने सादोक याजक से कहा, क्या तू दशीं नहीं है? सो कुशल झेम से नगर में लौट जा, और तेरा पुत्र अहीमास, और एब्यातार का पुत्र योनातन, दोनोंतुम्हारे संग लौटें।
28. सुनो, मैं जंगल के घाट के पास तब तक ठहरा रहूंगा, जब तक तुम लोगोंसे मुझे हाल का समाचार न मिले।
29. तब सादोक और एब्यातार ने परमेश्वर के सन्दूक को यरूशलेम में लौटा दिया; और आप वही रहे।
30. तब दाऊद जलपाइसोंके पहाड़ की चढ़ाई पर सिर ढांपे, नंगे पांव, रोता हुआ चढ़ने लगा; और जितने लोग उसके संग थे, वे भी सिर ढांपे रोते हुए चढ़ गए।
31. तब दाऊद को यह समाचार मिला, कि अबशालोम के संगी राजद्रोहियोंके साय अहीतोपेल है। दाऊद ने कहा, हे यहोवा, अहीतोपेल की सम्मति को मूर्खता बना दे।
32. जब दाऊद चोटी तक पहुंचा, जहां परमेश्वर को दणडवत्‌ किया करते थे, तब एरेकी हूशै अंगरखा फाड़े, सिर पर मिट्टी डाले हुए उस से मिलने को आया।
33. दाऊद ने उस से कहा, यदि तू मेरे संग आगे जाए, तब तो मेरे लिथे भार ठहरेगा।
34. परन्तु यदि तू नगर को लौटकर अबशालोम से कहने लगे, हे राजा, मैं तेरा कर्मचारी हूंगा; जैसा मैं बहुत दिन तेरे पिता का कर्मचारी रहा, वैसा ही अब तेरा रहूंगा, तो तू मेरे हित के लिथे अहीतोपेल की सम्मति को निष्फल कर सकेगा।
35. और क्या वहां तेरे संग सादोक और एब्यातार याजक न रहेंगे? इसलिथे राजभवन में से जो हाल तुझे सुन पके, उसे सादोक और एब्यातार याजकोंको बताया करना।
36. उनके साय तो उनके दो पुत्र, अर्यात्‌ सादोक का पुत्र अहीमास, और एब्यातार का पुत्र योनातन, वहां रहेंगे; तो जो समाचार तुम लोगोंको मिले उसे मेरे पास उन्हीं के हाथ भेजा करना।
37. और दाऊद का मित्र, हूशै, नगर को गया, और अबशालोम भी यरूशलेम में पहुंच गया।

Chapter 16

1. दाऊद चोटी पर से योड़ी दूर बढ़ गया या, कि मपीबोशेत का कर्मचारी मीबा एक जोड़ी, जीन बान्धे हुए गदहोंपर दो सौ रोटी, किशमिश की एक सौ टिकिया, धूपकाल के फल की एक सौ टिकिया, और कुप्पी भर दाखमधु, लादे हुए उस से आ मिला।
2. राजा ने सीबा से पूछा, इन से तेरा क्या प्रयोजन है? सीबा ने कहा, गदहे तो राजा के घराने की सवारी के लिथे हैं, और रोटी और धूपकाल के फल जवानोंके खाने के लिथे हैं, और दाखमधु इसलिथे है कि जो कोई जंगल में यक जाए वह उसे पीए।
3. राजा ने पूछा, फिर तेरे स्वामी का बेटा कहां है? सीबा ने राजा से कहा, वह तो यह कहकर यरूशलेम में रह गया, कि अब इस्राएल का घराना मुझे मेरे पिता का राज्य फेर देगा।
4. राजा ने सीबा से कहा, जो कुछ मपीबोशेत का या वह सब तुझे मिल गया। सीबा ने कहा, प्रणाम; हे मेरे प्रभु, हे राजा, मुझ पर तेरे अनुग्रह की दृष्टि बनी रहे।
5. जब दाऊद राजा बहूरीम तक पहुंचा, तब शाऊल का एक कुटुम्बी वहां से निकला, वह गेरा का पुत्र शिमी नाम का या; और वह कोसता हुआ चला आया।
6. और दाऊद पर, और दाऊद राजा के सब कर्मचारियोंपर पत्यर फेंकने लगा; और शूरवीरोंसमेत सब लोग उसकी दाहिनी बाई दोनोंओर थे।
7. और शिमी कोसता हुआ योंबकता गया, कि दूर हो खूनी, दूर हो ओछे, निकल जा, निकल जा !
8. यहोवा ने तुझ से शाऊल के घराने के खून का पूरा पलटा लिया है, जिसके स्यान पर तू राजा बना है; यहोवा ने राज्य को तेरे पुत्र अबशालोम के हाथ कर दिया है। और इसलिथे कि तू खूनी है, तू अपक्की बुराई में आप फंस गया।
9. तब सरूयाह के पुत्र अबीशै ने राजा से कहा, यह मरा हुआ कुत्ता मेरे प्रभु राजा को क्योंशाप देने पाए? मुझे उधर जाकर उसका सिर काटने दे।
10. राजा ने कहा, सरूयाह के बेटो, मुझे तुम से क्या काम? वह जो कोसता है, और यहोवा ने जो उस से कहा है, कि दाऊद को शाप दे, तो उस से कौन पूछ सकता, कि तू ने ऐसा क्योंकिया?
11. फिर दाऊद ने अबीशै और अपके सब कर्मचारियोंसे कहा, जब मेरा निज पुत्र भी मेरे प्राण का खोजी है, तो यह बिन्यामीनी अब ऐसा क्योंन करें? उसको रहने दो, और शाप देने दो; क्योंकि यहोवा ने उस से कहा है।
12. कदाचित्‌ यहोवा इस उपद्रव पर, जो मुझ पर हो रहा है, दृष्टि करके आज के शाप की सन्ती मुझे भला बदला दे।
13. तब दाऊद अपके जनोंसमेत अपना मार्ग चला गया, और शिमी उसके साम्हने के पहाड़ की अलंग पर से शाप देता, और उस पर पत्यर और धूलि फेंकता हुआ चला गया।
14. निदान राजा अपके संग के सब लोगोंसमेत अपके ठिकाने पर यका हुआ पहुंचा; और वहां विश्रम किया।
15. अबशालोम सब इस्राएली लोगोंसमेत यरूशलेम को आया, और उसके संग अहीतोपेल भी आया।
16. जब दाऊद का मित्र एरेकी हूशै अबशालोम के पास पहुंचा, तब हूशै ने अबशालोम से कहा, राजा चिरंजीव रहे ! राजा चिरंजीव रहे !
17. अबशालोम ने उस से कहा, क्या यह तेरी प्रीति है जो तू अपके मित्र से रखता है? तू अपके मित्र के संग क्योंनहीं गया?
18. हूशै ने अबशालोम से कहा, ऐसा नही; जिसको यहोवा और वे लोग, क्या वरन सब इस्राएली लोग चाहें, उसी का मैं हूं, और उसी के संग मैं रहूंगा।
19. और फिर मैं किसकी सेवा करूं? क्या उसके पुत्र के साम्हने रहकर सेवा न करूं? जैसा मैं तेरे पिता के साम्हने रहकर सेवा करता या, वैसा ही तेरे साम्हने रहकर सेवा करूंगा।
20. तब अबशालोम ने अहीतोपेल से कहा, तुम लोग अपक्की सम्मति दो, कि क्या करना चाहिथे?
21. अहीतोपेल ने अबशालोम से कहा, जिन रखेलियोंको तेरा पिता भवन की चौकसी करने को छोड़ गया, उनके पास तू जा; और जब सब इस्राएली यह सुनेंगे, कि अबशालोम का पिता उस से घिन करता है, तब तेरे सब संगी हियाव बान्धेंगे।
22. सो उसकेलिथे भवन की छत के ऊपर एक तम्बू खड़ा किया गया, और अबशालोम समरूत इस्राएल के देखते अपके पिता की रखेलियोंके पास गया।
23. उन दिनोंजो सम्मति अहीतोपेल देता या, वह ऐसी होती यी कि मानो कोई परमेश्वर का वचन पूछलेता हो; अहीतोपेल चाहे दाऊद को चाहे अबशलोम को, जो जो सम्मति देता वह ऐसी ही होती यी।

Chapter 17

1. फिर अहीतोपेल ने अबशालोम से कहा, मुझे बारह हजार पुरुष छांटने दे, और मैं उठकर आज ही रात को दाऊद का पीछा करूंगा।
2. और जब वह यकित और निर्बल होगा, तब मैं उसे पकड़ूंगा, और डराऊंगा; और जितने लोग उसके साय हैं सब भागेंगे। और मैं राजा ही को मारूंगा,
3. और मैं सब लोगोंको तेरे पास लौटा लाऊंगा; जिस मनुष्य का तू खोजी है उसके मिलने मे समस्त प्रजा का मिलना हो जाएगा, और समस्त प्रजा कुशल झेम से रहेगी।
4. यह बात अबशालोम और सब इस्राएली पुरनियोंको उचित मालूम पक्की।
5. फिर अबशालोम ने कहा, एरेकी हूशै को भी बुला ला, और जो वह कहेगा हम उसे भी सुनें।
6. जब हूशै अबशालोम के पास आया, तब अबशालोम ने उस से कहा, अहीतोपेल ने तो इस प्रकार की बात कही है; क्या हम उसकी बात मानें कि नही? सदि नही, तो तू कह दे।
7. हूशै ने अबशालोम से कहा, जो सम्मति अहीतोपेल ने इस बार दी वह अच्छी नहीं।
8. फिर हूशै ने कहा, तू तो अपके पिता और उसके जनोंको जानता है कि वे शूरवीर हैं, और बच्चा छीनी हुई रीछनी के समान फ्रोधित होंगे। और तेरा पिता योद्धा है; और और लोगो के साय रात नहीं बिताता।
9. इस समय तो वह किसी गढ़हे, वा किसी दूसरे स्यान में छिपा होगा। जब इन में से पहिले पहिले कोई कोई मारे जाएं, तब इसके सब सुननेवाले कहने लगेंगे, कि अबशालोम के पझवाले हार गए।
10. तब वीर का ह्रृदय, जो सिंह का सा होता है, उसका भी हियाव छूट जाएगा, समस्त इस्राएल तो जानता है कि तेरा पिता वीर है, और उसके संगी बड़े योद्धा हैं।
11. इसलिथे मेरी सम्मति यह है कि दान से लेकर बेर्शेबा तक रहनेवाले समस्त इस्राएली तेरे पास समुद्रतीर की बालू के किनकोंके समान अकट्ठे किए जाए, और तू आप ही युद्ध को जाए।
12. और जब हम उसको किसी न किसी स्यान में जहां वह मिले जा पकड़ेंगे, तब जैसे ओस भूमि पर गिरती है वैसे ही हम उस पर टूट पकेंगे; तब न तो वह बचेगा, और न उसके संगियोंमें से कोई बचेगा।
13. और यदि वह किसी नगर में घुसा हो, तो सब इस्राएली उस नगर के पास रस्सियां ले आएंगे, और हम उसे नाले में खींचेंगे, यहां तक कि उसका एक छोटा सा पत्यर भी न रह जाएगा।
14. तब अबशालोम और सब इस्राएली पुरुषोंने कहा, एरेकी हूशै की बम्मति अहीतोपेल की सम्मति से उम्तम है। सहोवा ने तो अहीतोपेल की अच्छी सम्मति को निष्फल करने के लिथे ठाना या, कि यह अबशालोम ही पर विपत्ति डाले।
15. तब हूशै ने सादोक और एब्यातार याजकोंसे कहा, अहीतोपेल ने तो अबशालोम और इस्राएली पुरनियोंको इस इस प्रकार की सम्मति दी; और मैं ने इस इस प्रकार की सम्मति दी है।
16. इसलिथे अब फुतीं कर दाऊद के पास कहला भेजो, कि आज रात जंगली घाट के पास न ठहरना, अवश्य पार ही हो जाना; ऐसा न हो कि राजा और जितने लोग उसके संग हों, सब नाश हो जाएं।
17. योनातन और अहीमाय एनरोगेल के पास ठहरे रहे; और एक लौंडी जाकर उन्हें सन्देशा दे आती यी, और वे जाकर राजा दाऊद को सन्देशा देते थे; क्योंकि वे किसी के देखते नगर में नही जा सकते थे।
18. एक छोकरे ने तो उन्हें देखकर अबशालोम को बताया; परन्तु वे दोनोंफुतीं से चले गए, और एक बहरीमवासी मनुष्य के घर पहुंचकर जिसके आंगन में कुंआ या उस में उतर गए।
19. तब उसकी स्त्री ने कपड़ा लेकर कुंए के मुंह पर बिछाया, और उसके ऊपर दलर हुआ अन्न फैला दिया; इसलिथे कुछ मालूम न पड़ा।
20. तब अबशालोम के सेवक उस घर में उस स्त्री के पास जाकर कहने लगे, अहीमास और योनातन कहां हैं? स्त्री ने उन से कहा, वे तो उस छोटी नदी के पार गए। तब उन्होंने उन्हें ढूंढा, और न पाकर यरूशलेम को लौटे।
21. जब वे चले गए, तब थे कुंए में से निकले, और जाकर दाऊद राजा को समाचार दिया; और दाऊद से कहा, तुम लोग चलो, फुतीं करके नदी के पार हो जाओ; क्योंकि अहीतोपेल ने तुम्हारी हानि की ऐसी ऐसी सम्मति दी है।
22. तब दाऊद अपके सब संगियोंसमेत उठकर यरदन पार हो गया; और पह फटने तक उन में से एक भी न रह गया जो यरदन के पार न हो गया हो।
23. जब अहीतोपेल ने देखा कि मेरी सम्मति के अनुसार काम नहीं हुआ, तब उस ने अपके गदहे पर काठी कसी, और अपके नगर में जाकर अपके घर में गया। और अपके घराने के विषय जो जो आज्ञा देनी यी वह देकर अपके को फांसी लगा ली; और वह मर गया, और उसके पिता के कब्रिस्तान में उसे मिट्टी दे दी गई।
24. दाऊद तो महनैम में पहुंचा। और अबशालोम सब इस्राएली पुरुषोंसमेत यरदन के पार गया।
25. और अबशालोम ने अमासा को योआब के स्यान पर प्रधान सेनापति ठहराया। यह अमासा एक पुरुष का पुत्र या जिसका नाम इस्राएली यित्रो या, और वह योआब की माता, सरूयाह की बहिन, अबीगल नाम नाहाश की बेटी के संग सोया या।
26. और इस्राएलियोंने और अबशालोम ने गिलाद देश में छावनी डाली।
27. जब दाऊद महनैम में आया, तब अम्मोनियोंके रब्बा के निवासी नाहाश का पुत्र शोबी, और लोदबरवासी अम्मीएल का पुत्र माकीर, और रोगलीमवासी गिलादी बजिर्ल्लै,
28. चारपाइयां, तसले मिट्टी के बर्तन, गेहूं, जव, मैदा, लोबिया, मसूर, चबेना,
29. मधु, मक्खन, भेड़बकरियां, और गाय के दही का पक्कीर, दाऊद और उसके संगियोंके खाने को यह सोचकर ले आए, कि जंगल में वे लोग भूखे प्यासे और यके मांदे होंगे।

Chapter 18

1. तब दाऊद ने अपके संग के लोगोंकी गिनती ली, और उन पर सहस्त्रपति और शतपति ठहराए।
2. फिर दाऊद ने लोगोंकी एक तिहाई तो योआब के, और एक तिहाई सरूयाह के पुत्र योआब के भाई अबीशै के, और एक तिहाई गती इत्तेै के, अधिक्कारने में करके युद्ध में भेज दिया। और राजा ने लोगोंसे कहा, मैं भी अवश्य तुम्हारे साय चलूंगा।
3. लोगोंने कहा, तू जाने न पाएगा। क्योंकि चाहे हम भाग जाएं, तौभी वे हमारी चिन्ता न करेंगे; वरन चाहे हम में से आधे मारे भी जाएं, तौभी वे हमारी चिन्ता न करेंगे। क्योंकि हमारे सरीखे दस हज़ार पुरुष हैं; इसलिथे अच्छा यह है कि तू नगर में से हमारी सहाथता करने को तैयार रहे।
4. राजा ने उन से कहा, जो कुछ तुम्हें भाए वही मैं करूंगा। और राजा ॅफाटक की एक ओर खड़ा रहा, और सब लोग सौ सौ, और हज़ार, हज़ार करके निकलने लगे।
5. और राजा ने योआब, अबीशै, और इत्ते को आज्ञा दी, कि मेरे निमित्त उस जवान, अर्यात्‌ अबशालोम से कोमलता करना। यह आज्ञा राजा ने अबशालोम के विषय सब प्रधानोंको सब लोगोंके सुनते दी।
6. सो लोग इस्राएल का साम्हला करने को मैदान में निकले; और एप्रैम नाम वन में युद्ध हुआ।
7. वहां इस्राएली लोग दाऊद के जनोंसे हार गए, और उस दिन ऐसा बड़ा संहार हुआ कि बीस हजार खेत आए।
8. और युद्ध उस समस्त देश में फैल गया; और उस दिन जितने लोग तलवार से मारे गए, उन से भी अधिक वन के कारण मर गए।
9. संयोग से अबशालोम और दाऊद के जनोंकी भेंट हो गई। अबशालोम तो एक खच्चर पर चढ़ा हुआ जा रहा या, कि ख्च्चर एक बड़े बांज वृझ की घनी डालियोंके नीचे से गया, और उसका सिर उस बांज वृझ में अटक गया, और वह अधर में लटका रह गया, और उसका ख्च्चर निकल गया।
10. इसको देखकर किसी मनुष्य ने योआब को बताया, कि मैं ने अबशालोम को बांज वृझ में टंगा हुआ देखा।
11. योआब ने बतानेवाले से कहा, तू ने यह देखा ! फिर क्योंउसे वहीं मारके भूमि पर न गिरा दिया? तो मैं तुझे दस तुकड़े चांदी और एक कटिबन्द देता।
12. उस मनुष्य ने योआब से कहा, चाहे मेरे हाथ में हज़ार टुकड़े चांदी तौलकर दिए जाऐ, तौभी राजकुमार के विरुद्ध हाथ न बढ़ाऊंगा; क्योंकि हम लोगोंके सुनते राजा ने तुझे और अबीशै और इत्तै को यह आज्ञा दी, कि तुम में से कोई क्योंन हो उस जवान अर्यात्‌ अबशालोम को न छूए।
13. यदि मैं धोखा देकर उसका प्राण लेता, तो तू आप मेरा विरोधी हो जाता, क्योंकि राजा से कोई बात छिपी नहीं रहती।
14. योआब ने कहा, मैं तेरे संग योंही ठहरा नहीं रह सकता ! सो उस ने तीन लकड़ी हाथ में लेकर अबशालोम के ह्रृदय में, जो बांज वृझ में जीवति लटका या, छेद डाला।
15. तब योआब के दस हयियार ढोनेवाले जवानोंने अबशालोम को घेरके ऐसा मारा कि वह मर गया।
16. फिर योआब ने नरसिंगा फूंका, और लोग इण््राएल का पीछा करने से लौटे; क्योंकि योआब प्रजा को बचाना चाहता या।
17. तब लोगोंने अबशालोम को उतारके उस वन के एक बड़े गड़हे में डाल दिया, और उस पर पत्यरोंका एक बहुत बड़ा ढेर लगा दिया; और सब इस्राएली अपके अपके डेरे को भाग गए।
18. अपके जीते जी अबशालोम ने यह सोचकर कि मेरे नाम का स्मरण करानेवाला कोई पुत्र मेरे नहीं है, अपके लिथे वह लाठ खड़ी कराई यी जो राजा की तराई में है; और लाठ का अपना ही नाम रखा, जो आज के दिन तक अबशालोम की लाठ कहलाती है।
19. और सादोक के पुत्र अहीमास ने कहा, मुझे दौड़कर राजा को यह समाचार देने दे, कि यहोवा ने न्याय करके तुझे तेरे शत्रुओं के हाथ से बचाया है।
20. योआब ने उस से कहा, तू आज के दिन समाचार न दे; दूसरे दिन समाचार देने पाएगा, परन्तु आज समाचार न दे, इसलिथे कि राजकुमार मर गया है।
21. तब योआब ने एक कूशी से कहा जो कुछ तू ने देखा है वह जाकर राजा को बता दे। तो वह कूशी योआब को दणडवत्‌ करके दौड़ गया।
22. फिर सादोक के पुत्र अहीमास ने दूसरी बार योआब से कहा, जो हो सो हो, परन्तु मुझे भी कूशी के पीछे दौड़ जाने दे। योआब ने कहा, हे मेरे बेटे, तेरे समाचार का कुछ बदला न मिलेगा, फिर तू क्योंदौड़ जाना चाहता है?
23. उस ने यह कहा, जो हो सो हो, परन्तु मुझे दौड़ जाने दे। उसने उस से कहा, दौड़। तब अहीमास दौड़ा, और तराई से होकर कूशी के आगे बढ़ गया।
24. दाऊद तो दो फाटकोंके बीच बैठा या, कि पहरुआ जो फाटक की छत से होकर शहरपनाह पर चढ़ गया या, उस ने आंखें उठाकर क्या देखा, कि एक मनुष्य अकेला दौड़ा आता है।
25. जब पहरुए ने पुकारके राजा को यह बता दिया, तब राजा ने कहा, यदि अकेला आता हो, तो सन्देशा लाता होगा। वह दौड़ते दौड़ते निकल आया।
26. फिर पहरुए ने एक और मनुष्य को दौड़ते हुए देख फाटक के रखवाले को पुकारके कहा, सुन, एक और मनुष्य अकेला दौड़ा आता है। राजा ने कहा, वह भी सन्देशा लाता होगा।
27. पहरुए ने कहा, पुफे तो ऐसा देख पड़ता है कि पहले का दौड़ना सादोक के पुत्र अहीमास का सा है। राजा ने कहा, वह तो भला मनुष्य है, तो भला सन्देश लाता होगा।
28. तब अहीमास ने पुकारके राजा से कहा, कल्याण। फिर उस ने भूमि पर मुंह के बल गिर राजा को दणडवत्‌ करके कहा, तेरा परमेश्वर यहोवा धन्य है, जिस ने मेरे प्रभु राजा के विरुद्ध हाथ उठानेवाले मनुष्योंको तेरे वश में कर दिया है !
29. राजा ने पूछा, क्या उस जवान अबशालोम का कल्याण है? अहीमास ने कहा, जब योआब ने राजा के कर्मचारी को और तेरे दास को भेज दिया, तब मुझे बड़ी भीड़ देख पक्की, परन्तु मालूम न हुआ कि क्या हुआ या।
30. राजा ने कहा; हटकर यहीं खड़ा रह। और वह हटकर खड़ा रहा।
31. तब कूशी भी आ गया; और कूशी कहने लगा, मेरे प्रभु राजा के लिथे समाचार है। यहोवा ने आज न्याय करके तुझे उन सभोंके हाथ से बचाया है जो तेरे विरुद्ध उठे थे।
32. राजा ने कूशी से पूछा, क्या वह जवान अर्यात्‌ अबशालोम कल्याण से है? कूशी ने कहा, मेरे प्रभु राजा के शत्रु, और जितने तेरी हानि के लिथे उठे हैं, उनकी दशा उस जवान की सी हो।
33. तब राजा बहुत घबराया, और फाटक के ऊपर की अटारी पर रोता हुआ चढ़ने लगा; और चलते चलते योंकहता गया, कि हाथ मेरे बेटे अबशालोम ! मेरे बेटे, हाथ ! मेरे बेटे अबशालोम ! भला होता कि मैं आप तेरी सन्ती मरता, हाथ ! अबशालोम ! मेरे बेटे, मेरे बेटे !!

Chapter 19

1. तब योआब को यह समाचार मिला, कि राजा अबशालोम के लिथे रो रहा है और विलाप कर रहा है।
2. इसलिथे उस दिन का विजय सब लोगोंकी समझ में विलाप ही का कारण बन गया; क्योंकि लोगोंने उस दिन सुना, कि राजा अपके बेटे के लिथे खेदित है।
3. और उस दिन लोग ऐसा मुंह चुराकर नगर में घुसे, जैसा लोग युद्ध से भाग आने से लज्जित होकर मुंह चुराते हैं।
4. और राजा मुंह ढांपे हुए चिल्ला चिल्लाकर पुकारता रहा, कि हाथ मेरे बेटे अबशालोम ! हाथ अबशालोम, मेरे बेटे, मेरे बेटे !
5. तब योआब घर में राजा के पास जाकर कहने लगा, तेरे कर्मचारियोंने आज के दिन तेरा, और तेरे बेटे-बेटियोंका और तेरी पत्नियोंऔर रखेलियोंका प्राण तो बचाया है, परन्तु तू ते आज के दिन उन सभोंका मुंह काला किया है;
6. इसलिथे कि तू अपके बैरियोंसे प्रेम और अपके प्रेमियोंसे बैर रखता है। तू ने आज यह प्रगट किया कि तुझे हाकिमोंऔर कर्मचारियोंकी कुछ चिन्ता नहीं; वरन मैं ने आज जान लिया, कि यदि हम सब आज मारे जाते और अबशालोम जीवित रहता, तो तू बहुत प्रसन्न होता।
7. इसलिथे अब उठकर बाहर जा, और अपके कर्मचारियोंको शान्ति दे; तहीं तो मैं यहोवा की शपय खाकर कहता हूँ, कि यदि तू बाहर न जाएगा, तो आज रात को एक मनुष्य भी तेरे संग न रहेगा; और तेरे बचपन से लेकर अब तक जितनी विपत्तियां तुझ पर पक्की हैं उन सब से यह विपत्ति बड़ी होगी।
8. तब राजा उठकर फाटक में जा बैठा। और जब सब लोगोंको यह बताया गया, कि राजा फाटक में बैठा है; तब सब लोग राजा के साम्हने आए। और इस्राएली अपके अपके डेरे को भाग गए थे।
9. और इस्राएल के सब गोत्रें में सब लोग आपस में यह कहकर ढगड़ते थे, कि राजा ने हमें हमारे शत्रुओं के हाथ से बचाया या, और पलिश्तियोंके हाथ से उसी ने हमें छुड़ाया; परन्तु अब वह अबशालोम के डर के मारे देश छोड़कर भाग गया।
10. और अबशालोम जिसको हम ने अपना राजा होने को अभिषेक किया या, वह युद्ध में मर गया है। तो अब तुम क्योंचुप रहते? और जाजा को लौटा ले अपके की चर्चा क्योंनहीं करते?
11. तब राजा दाऊद ने सादोक और एब्यातार याजकोंके पास कहला भेजा, कि यहूदी पुरनियोंसे कहो, कि तुम लोग राजा को भवन पहुंचाने के लिथे सब से पीछे क्योंहोते हो जब कि समस्त इस्राएल की बातचीत राजा के सुनने में आई है, कि उसको भवन में पहुंचाए?
12. तुम लोग तो मेरे भाई, वरन मेरी ही हड्डी और मांस हो; तो तुम राजा को लौटाने में सब के पीछे क्योंहोते हो?
13. फिर अमासा से यह कहो, कि क्या तू मेरी हड्डी और मांस नहीं है? और यदि तू योआब के स्यान पर सदा के लिथे सेनापति न ठहरे, तो परमेश्वर मुझ से वैसा ही वरन उस से भी अधिक करे।
14. इस प्रकार उस ने सब यहूदी पुरुषोंके मन ऐसे अपक्की ओर खींच लिया कि मानोंएक ही पुरुष या; और उन्होंने राजा के पास कहला भेजा, कि तू अपके सब कर्पचारियोंको संग लेकर लौट आ।
15. तब राजा लौटकर यरदन तक आ गया; और यहूदी लोग गिलगाल तक गए कि उस से मिलकर उसे यरदन पार ले आए।
16. यहूदियोंके संग गेरा का पुत्र बिन्यामीनी शिमी भी जो बहूरीमी या फुतीं करके राजा दाऊद से भेंट करने को गया;
17. उसके संग हज़ार बिन्यामीनी पुरुष थे। और शाऊल के घराने का कर्मचारी सीबा अपके पन्द्रह पुत्रोंऔर बीस दासोंसमेत या, और वे राजा के साम्हने यरदन के पार पांव पैदल उतर गए।
18. और एक बेड़ा राजा के परिवार को पार ले आने, और जिस काम में वह उसे लगाने चाहे उसी में लगने के लिथे पार गया। और जब राजा यरदन पार जाने पर या, तब गेरा का पुत्र शिमी उसके पावोंपर गिरके,
19. राजा से कहने लगा, मेरा प्रभु मेरे दोष का लेखा न करे, और जिस दिन मेरा प्रभु राजा यरूशलेम को छोड़ आया, उस दिन तेरे दास ने जो कुटिल काम किया, उसे ऐसा स्मरण न कर कि राजा उसे अपके ध्यान में रखे।
20. क्योंकि तेरा दास जानता है कि मैं ने पाप किया; देख, आज अपके प्रभु राजा से भेंट करने के लिथे यूसुफ के समस्त घ्राने में से मैं ही पहिला आया हूँ।
21. तब सरूयाह के पुत्र अबीशै ने कहा, शिमी ने जो यहोवा के अभिषिक्त को शाप दिया या, इस कारण क्या उसको वध करना न चाहिथे?
22. दाऊद ने कहा, हे सरूयाह के बेटों, मुझे तुम से क्या काम, कि तुम आज मेरे विरोधी ठहरे हो? आज क्या इस्राएल में किसी को प्राण दणड मिलेगा? क्या मैं नहीं जानता कि आज मैं इस्राएल का राजा हुआ हूँ?
23. फिर राजा ने शिमी से कहा, तुझे प्राण दणड न मिलेगा। और राजा ने उस से शपय भी खाई।
24. तब शाऊल का पोता मपीबोशेत राजा से भेंट करने को आया; उस ने राजा के चले जाने के दिन से उसके कुशल झेम से फिर आने के दिन तक न अपके पावोंके नाखून काटे, और न अपक्की दाढी बनवाई, और न अपके कपके धुलवाए थे।
25. तो जब यरूशलेमी राजा से मिलने को गए, तब राजा ने उस से पूछा, हे मपीबोशेत, तू मेरे संग क्योंनहीं गया या?
26. उस ने कहा, हे मेरे प्रभु, हे राजा, मेरे कर्मचारी ने मुझे धोखा दिया या; तेरा दास जो पंगु है; इसलिथे तेरे दास ने सोचा, कि मैं गदहे पर काठी कसवाकर उस पर चढ़ राजा के साय चला जाऊंगा।
27. और मेरे कर्मचारी ने मेरे प्रभु राजा के साम्हने मेरी चुगली खाई। परन्तु मेरा प्रभु राजा परमेश्वर के दूत के समान है; और जो कुछ तुझे भाए वही कर।
28. मेरे पिता का समस्त घराना तेरी ओर से प्राण दणड के योग्य या; परन्तु तू ने अपके दास को अपक्की मेज पर खानेवालोंमें गिना है। मुझे क्या हक है कि मैं राजा की ओर दोहाई दूं?
29. राजा ने उस से कहा, तू अपक्की बात की चर्चा क्सोंकरता रहता है? मेरी आज्ञा यह है, कि उस भूमि को तुम और सीबा दोनोंआपस में बांट लो।
30. मपीबोशेत ने राजा से कहा, मेरे प्रभु राजा जो कुशल झेम से अपके घर आया है, इसलिथे सीबा ही सब कुछ ले ले।
31. तब गिलादी बजिर्ल्लै रोगलीम से आया, और राजा के साय यरदन पार गया, कि उसको यरदन के पार पहुंचाए।
32. बजिर्ल्लै तो वृद्ध पुरुष या, अर्यात्‌ अस्सी पर्ष की आयु का या जब तक राजा महनैम में रहता या तब तक वह उसका पालन पोषण करता रहा; क्योंकि वह बहुत धनी या।
33. तब राजा ने बजिर्ल्लै से कहा, मेरे संग पार चल, और मैं तुझे यरूशलेम में अपके पास रखकर तेरा पालन पोषण करूंगा।
34. बजिर्ल्लै ने राजा से कहा, मुझे कितने दिन जीवित रहना है, कि मैं राजा के संग यरूशलेंम को जाऊं?
35. आज मैं अस्सी वर्ष का हूँ; क्या मैं भले-बुरे का विवेक कर सकता हूँ? क्या तेरा दास जो कुछ खाता पीता है उसका स्वाद पहिचान सकता है? क्या मुझे गवैय्योंवा गायिकाओं का शब्द अब सुन पड़ता है? तेरा दास अब अपके प्रभु राजा के लिथे क्योंबोफ का कारण हो?
36. तेरे दास राजा के संग यरदन पार ही तक जाएगा। राजा इसका ऐसा बड़ा बदला मुझे क्योंदे?
37. अपके दास को लौटने दे, कि मैं अपके ही नगर में अपके माता पिता के कब्रिस्तान के पास मरूं। परन्तु तेरा दास किम्हाम उपस्यित है; मेरे प्रभु राजा के संग वह पार जाए; और जैसा तुझे भाए वैया ही उस से व्यवहार करना।
38. राजा ने कहा, हां, किम्हान मेरे संग पार चलेगा, और जैसा तुझे भाए वैसा ही मैं उस से व्यवहार करूंगा वरन जो कुछ तू मुझ से चाहेगा वह मैं तेरे लिथे करूंगा।
39. तब सब लोग यरदन पार गए, और राजा भी पार हुआ; तब राजा ने बजिर्ल्लै को चूमकर आशीर्वाद दिया, और वह अपके स्यान को लौट गया।
40. तब राजा गिल्गाल की ओर पार गया, और उसके संग किम्हाम पार हुआ; और सब सहूदी लोगोंने और आधे इस्राएली लोगोंने राजा को पार पहुंचाया।
41. तब सब इस्राएली पुरुष राजा के पास आए, और राजा से कहने लगे, क्या कारण है कि हमारे यहूदी भाई तुझे चोरी से ले आए, और परिवार समेत राजा को और उसके सब जनोंको भी यरदन पार ले आए हैं?
42. सब यहूदी पुरुषोंने इस्राएली पुरुषोंको उत्तर दिया, कि कारण यह है कि राजा हमारे गोत्र का है। तो तुम लोग इस बात से क्योंरूठ गए हो? क्या हम ने राजा का दिया हुआ कुछ खाया है? वा उस ने हमें कुछ दान दिया है?
43. इस्राएली पुरुषोंने यहूदी पुरुषोंको उत्तर दिया, राजा में दस अंश हमारे हैं; और दाऊद में हमारा भाग तुम्हारे भाग से बड़ा है। तो फिर तुम ने हमें क्योंतुच्छ जाना? क्या अपके राजा के लौटा ले आने की चर्चा पहिले हम ही ने न की यी? और यहूदी पुरुषोंने इस्राएली पुरुषोंसे अधिक कड़ी बातें कहीं।

Chapter 20

1. वहां संयोग से शेबा नाम एक बिन्यामीनी या, वह ओछा पुरुष बिक्री का पुत्र या; वह नरसिंगा फूंककर कहने लगा, दाऊद में हमारा कुछ अंश नहीं, और न यिशै के पुत्र में हमारा कोई भाग है; हे इस्राएलियो, अपके अपके डेरे को चले जाओ !
2. इसलिथे सब इस्राएली पुरुष दाऊद के पीछे चलना छोड़कर बिक्री के पुत्र शेबा के पीछे हो लिए; परन्तु सब यहूदी पुरुष यरदन से यरूशलेम तक अपके राजा के संग लगे रहे।
3. तब दाऊद यरूशलेम को अपके भवन में आया; और राजा ने उन दस रखेलियोंको, जिन्हें वह भवन की चौकसी करने को छोड़ गया या, अलग एक घर में रखा, और उनका पालन पोषण करता रहा, परन्तु उन से सहवास न किया। इसलिथे वे अपक्की अपक्की मृत्यु के दिन तक विधवापन की सी दशा में जीवित ही बन्द रही।
4. तब राजा ने अमासा से कहा, यहूदी पुरुषोंको तीन दिन के भीतर मेरे पास बुला ला, और तू भी यहां उपस्यित रहना।
5. तब अमासा यहूदियोंको बुलाने गया; परन्तु उसके ठहराए हुए समय से अधिक रह गया।
6. तब दाऊद ने अबीशै से कहा, अब बिक्री का पुत्र शेबा अबशालोम से भी हमारी अधिक हानि करेगा; इसलिथे तू अपके प्रभु के लोगोंको लेकर उसका पीछा कर, ऐसा न हो कि वह गढ़वाले नगर पाकर हमारी दृष्टि से छिप जाए।
7. तब योआब के जन, और करेती और पकेती लोग, और सब शूरवीर उसके पीछे हो लिए; और बिक्री के पुत्र शेबा का पीछे करने को यरूशलेम से निकले।
8. वे गिबोन में उस भारी पत्यर के पास पहुंचे ही थे, कि अमासा उन से आ मिला। योआब तो योद्धा का वस्त्र फेटे से कसे हुए या, और उस फेटे में एक तलवार उसकी कमर पर अपक्की म्यान में बन्धी हुई यी; और जब वह चला, तब वह निकलकर गिर पक्की।
9. तो योआब ने अमासा से पूछा, हे मेरे भाई, क्या तू कुशल से है? तब योआब ने अपना दाहिना हाथ बढ़ाकर अमासा को चूमने के लिथे उसकी दाढ़ी पकड़ी।
10. परन्तु अमासा ने उस तलवार की कुछ चिन्ता न की जो याआब के हाथ में यी; और उस ने उसे अमासा के पेट में भोंक दी, जिस से उसकी अन्तडिय़ां निकलकर धरती पर गिर पक्की, और उस ने उसको दूसरी बार न मारा; और वह मर गया। तब योआब और उसका भाई अबीशै बिक्री के पुत्र शेबा का पीछा करने को चले।
11. और उसके पास याआब का एक जवान खड़ा होकर कहने लगा, जो कोई योआब के पझ और दाऊद की ओर का हो वह योआब के पीछे हो ले।
12. अमासा तो सड़क के मध्य अपके लोहू में लोट रहा या। तो जब उस मनुष्य ने देखा कि सब लोग खड़े हो गए हैं, तब अमासा को सड़क पर से मैदान में उठा ले गया, और जब देखा कि जितने उसके पास आते हैं वे खड़े हो जाते हैं, तब उस ने उसके ऊपर एक कपड़ा डाल दिया।
13. उसके सड़क पर से सरकाए जाने पर, सब लोग बिक्री के पुत्र शेबा का पीछे करने को योआब के पीछे हो लिए।
14. और वह सब इस्राएली गोत्रें में होकर आबेल और बेतमाका और बेरियोंके देश तक पहुंचा; और वे भी इकट्ठे होकर उसके पीछे हो लिए।
15. तब उन्होंने उसको बेतमाका के आबेल में घेर लिया; और नगर के साम्हने ऐसा दमदमा बान्धा कि वह शहरपनाह से सट गया; और योआब के संग के सब लोग शहरपनाह को गिराने के लिथे धक्का देने लगे।
16. तब एक बुद्धिमान रूत्री ने नगर में से पुकारा, सुनो ! सुनो ! योआब से कहो, कि यहां आए, ताकि मैं उस से कुछ बातें करूं।
17. जब योआब उसके निकट गया, तब स्त्री ने पूछा, क्या तू योआब है? उस ने कहा, हां, मैं वही हूँ। फिर उस ने उस से कहा, अपक्की दासी के वचन सुन। उस ने कहा, मैं तो सुन रहा हूँ।
18. वह कहने लगी, प्राचीनकाल में तो लोग कहा करते थे, कि आबेल में पूछा जाए; और इस रीति फगड़े को निपटा देते थे।
19. मैं तो मेलमिलापवाले और विश्वासयोग्य इस्राएलियोंमें से हूँ; परन्तु तू एक प्रधन नगर नाश करने का यत्न करता है; तू यहोवा के भाग को क्योंनिगल जाएगा?
20. योआब ने उत्तर देकर कहा, यह मुझ से दूर हो, दूर, कि मैं निगल जाऊं वा नाश करूं !
21. बात ऐसी नहीं है। शेबा नाम एप्रैम के पहाड़ी देश का एक पुरुष जो बिक्री का पुत्र है, उस ने दाऊद राजा के विरुद्ध हाथ उठााया है; तो तुम लोग केवल उसी को सौंप दो, तब मैं नगर को छोड़कर चला जाऊंगा। स्त्री ने योआब से कहा, उसका सिर शहरपनाह पर से तेरे पास फेंक दिया जाएगा।
22. तब स्त्री अपक्की बुद्धिमानी से सब लोगोंके पास गई। तब उन्होंने बिक्री के पुत्र शेबा का सिर काटकर योआब के पास फेंक दिया। तब योआब ने नरसिंगा फूंका, और सब लोग नगर के पास से अलग अलग होकर अपके अपके डेरे को गए। और योआब यरूशलेम को राजा के पास लौट गया।
23. योआब तो समस्त इस्राएली सेना के ऊपर प्रधान रहा; और यहोयादा का मुत्र बनायाह करेतियोंऔर पकेतियोंके ऊपर या;
24. और अदोराम बेगारोंके ऊपर या; और अहीलूद का पुत्र यहोशापात इतिहास का लेखक या;
25. और शया मंत्री या; और सादोक और एब्यातार याजक थे;
26. और याईरी ईरा भी दाऊद का एक मंत्री या।

Chapter 21

1. दाऊद के दिनोंमें लगातार तीन बरस तक अकाल पड़ा; तो दाऊद ने यहोवा से प्रार्यना की। यहोवा ने कहा, यह शाऊल और उसके खूनी घराने के कारण हुआ, क्योंकि उस ने गिबोनियोंको मरवा डाला या।
2. तब राजा ने गिबोनियो को बुलाकर उन से बातें कीं। गिबोनी लोग तो इस्राएलियोंमें से नहीं थे, वे बचे हुए एमोरियो में से थे; और इस्राएलियोंने उनके साय शपय खाई यी, परन्तु शाऊल को जो इस्राएलियोंऔर यहूदियोंके दिथे जलन हुई यी, इस से उस ने उन्हें मार डासने के लिथे यत्न किया या।
3. तब दाऊद ने गिबोनियोंसे पूछा, मैं तुम्हारे लिथे क्या करूं? और क्या करके ऐसा प्रायश्चित करूं, कि तुम यहोवा के निज भाग को आशीर्वाद दे सको?
4. गिबोनियोंने उस से कहा, हमारे और शाऊल वा उसके घराने के मध्य रुपके पैसे का कुछ फगड़ा नहीं; और न हमारा काम है कि किसी इस्राएली को मार डालें। उस ने कहा, जो कुछ तुम कहो, वही मैं तुम्हारे लिथे करूंगा।
5. उन्होंने राजा से कहा, जिस पुरुष ने हम को नाश कर दिया, और हमारे विरुद्ध ऐसी युक्ति दी कि हम ऐसे सत्यानाश हो जाएं, कि इस्राएल के देश में आगे को न रह सकें,
6. उसके वंश के सात जन हमें सौंप दिए जाएं, और हम उन्हें यहोवा के लिथे यहोवा के चुने हुए शाऊल की गिबा नाम बस्ती में फांसी देंगे। राजा ने कहा, मैं उनको सौंप दूंगा।
7. परन्तु दाऊद ने और शाऊल के पुत्र योनातन ने आपस में यहोवा की शपय खाई यी, इस कारण राजा ने योनातन के पुत्र मपीबोशेत को जो शाऊल का पोता या बचा रखा।
8. परन्तु अमॉनी और मपीबोशेत नाम, अय्या की बेटी रिस्पा के दोनोंपुत्र जो शाऊल से उत्पन्न हुए थे; और हााऊल की बेटी मीकल के पांचोंबेटे, जो वह महोलवासी बजिर्ल्लै के पुत्र अद्रीएल की ओर से थे, इनको राजा ने पकड़वाकर
9. गिबोनियोंके हाथ सौंप दिया, और उन्होंने उन्हें पहाड़ पर यहोवा के साम्हने फांसी दी, और सातोंएक साय नाश हुए। उनका मार डाला जाना तो कटनी के पहिले दिनोंमें, अर्यात्‌ जब की कटनी के आरम्भ में हुआ।
10. तब अय्या की बेटी रिस्पा ने टाट लेकर, कटनी के आरम्भ से लेकर जब तक आकाश से उन पर अत्यन्त वृष्टि न पक्की, तब तक चट्टान पर उसे अपके नीचे बिछाथे रही; और न तो दिन में आकाश के पझियोंको, और न रात में बनैले पशुओं को उन्हें छूने दिया।
11. जब अय्या की बीटी शाऊल की रखेली रिस्पा के इस काम का समाचार आऊद को मिला,
12. तब दाऊद ने जाकर शाऊल और उसके पुत्र योनातन की हड्डियोंको गिलादी याबेश के लोगोंसे ले लिया, जिन्होंने उन्हें बेतशान के उस चौक से चुरा लिया या, जहां पलिश्तियोंने उन्हें उस दिन टांगा या, जब उन्होंने शाऊल को गिल्बो पहाड़ पर मार डाला या;
13. तो वह वहां से शाऊल और उसके पुत्र योनातन की हड्डियोंको ले आया; और फांयी पाए हुओं की हड्डियां भी इकट्ठी की गई।
14. और शाऊल और उसके पुत्र योनातन की हड्डियां बिन्यामीन के देश के जेला में शाऊल के पिता कीश के क़ब्रिस्तान गाड़ी गई; और दाऊद की सब आज्ञाओं के अनुसार काम हुआ। और उसके बाद परमेश्वर ने देश के लिथे प्रार्य्ना सुन ली।
15. पलिश्तियोंने दस्राएल से फिर युद्ध किया, और दाऊद अपके जनोंसमेत जाकर पलिश्तियोंसे लड़ने लगा; परन्तु दाऊद यक गया।
16. तब यिशबोबनोब, जो रपाई के वंश का या, और उसके भाले का फल तौल में तीन सौ शेकेल पीतल का या, और वह नई तलवार बान्धे हुए या, उस ने दाऊद को मारने को ठाना।
17. परन्तु सरूयाह के पुत्र अबीशै ने दाऊद की सहाथता करके उस पलिश्ती को एसा मारा कि वह मर गया। तब दाऊद के जनोंने शपय खाकर उस से कहा, तू फिर हमारे संग युद्ध को जाने न पाएगा, ऐसा न हो कि तेरे मरने से इस्राएल का दिय बुफ जाए।
18. इसके बाद पलिश्तियोंके साय गोब में फिर युद्ध हुआ; उस समय हूशाई सिब्बकै ने रपाईवंशी सप को मारा।
19. और गोब में पलिश्तियोंके साय फिर युद्ध हुआ; उस में बेतलेहेम वासी यारयोरगीम के पुत्र एल्हनान ने गती गोल्यत को मार डाला, जिसके बछें की छड़ जोलाहे की डोंगी के समान यी।
20. फिर गत में भी युद्ध हुआ, और वहां एक बड़ी डील का रपाईवंशी पुरुष या, जिसके एक एक हाथ पांव में, छ: छ: उंगली, अर्यात्‌ गिनती में चौबीस उंगलियां यीं।
21. जब उस ने इस्राएल को ललकारा, तब दाऊद के भाई शिमा के पुत्र यहोनातान ने उसे मारा।
22. थे ही चार गत में उस रपाई से उत्पन्न हुए थे; और वे दाऊद और उसके जनोंसे मार डाले गए।

Chapter 22

1. और जिस समय यहोवा ने दाऊद को उसके सब शत्रुओं और शाऊल के हाथ से बचाया या, तब उस ने यहोवा के लिथे इस गीत के वचन गाए;
2. उस ने कहा, यहोवा मेरी चट्टान, और मेरा गढ़, मेरा छुड़ानेवाला,
3. मेरा चट्टानरूपी परमेश्वर है, जिसका मैं शरणागत हूँ, मेरी ढाल, मेरा बचानेवाला सींग, मेरा ऊंचा गढ़, और मेरा शरणस्यान है, हे मेरे उद्धार कर्त्ता, तू उपद्रव से मेरा उद्धार किया करता है।
4. मैं यहोवा को जो स्तुति के योग्य है पुकारूंगा, और अपके शत्रुओं से बचाया जाऊंगा।
5. मृत्यु के तरंगोंने तो मेरे चारोंओर घेरा डाला, नास्तिकपन की धाराओं ने मुझ को घबड़ा दिया या;
6. अधोलोक की रस्सियां मेरे चारोंओर यीं, मृत्यु के फन्दे मेरे साम्हने थे।
7. अपके संकट में मैं ने यहोवा को पुकारा; और अपके परमेश्वर के सम्मुख चिल्लाया। औंर उस ने मेरी बात को अपके मन्दिर में से सुन लिया, और मेरी दोहाई उसके कानोंमें पहुंची।
8. तब पृय्वी हिल गई और डोल उठी; और आकाश की नेवें कांपकर बहुत ही हिल गई, क्योंकि वह अति क्रोधित हुआ या।
9. उसके नयनोंसे धुंआ निकला, और उसके मुंह से आग निकलकर भस्म करने लगी; जिस से कोयले दहक उठे।
10. और वह स्वर्ग को फुकाकर नीचे उतर आया; और उसके पांवोंके तले घोर अंधकार छाया या।
11. और वह करूब पर सवार होकर उड़ा, और पवन के पंखोंपर चढ़कर दिखाई दिया।
12. और उस ने अपके चारोंओर के अंधिक्कारने को, मेघोंके समूह, और आकाश की काली घटाओं को अपना मणडप बनाया।
13. उसके सम्मुख की फलक तो उसके आगे आगे यी, आग के कोयले दहक उठे।
14. यहोवा आकाश में से गरजा, और परमप्रधान ने अपक्की वाणी सुनाई।
15. उस ने तीर चला चलाकर मेरे शत्रुओं को तितर बितर कर दिया, और बिजली गिरा गिराकर उसको परास्त कर दिया।
16. तब समुद्र की याह दिखाई देने लगी, और जगत की नेवें खुल गई, यह तो यहोवा की डांट से, और उसके नयनोंकी सांस की फोंक से हुआ।
17. उस ने ऊपर से हाथ बढ़ाकर मुझे यांम लिया, और मुझे गहरे जल में से खींचकर बाहर निकाला।
18. उस ने मुझे मेरे बलवन्त शत्रु से, और मेरे बैरियोंसे, जो मुझ से अधिक सामयीं थे, मुझे छुड़ा लिया।
19. उन्होंने मेरी विपत्ति के दिन मेरा साम्हना तो किया; परन्तु यहोवा मेरा आश्र्य या।
20. और उस ने मुझे निकालकर चौड़े स्यान में पहुंचाया; उस ने मुझ को छुड़ाया, क्योंकि वह मुझ से प्रसन्न या।
21. यहोवा ने मुझ से मेरे धर्म के अनुसार व्यवहार किया; मेरे कामोंकी शुद्धता के अनुसार उस ने मुझे बदला दिया।
22. क्योंकि मैं यहोवा के मागॉं पर चलता रहा, और अपके परमेश्वर से मुंह मोड़कर दुष्ट न बना।
23. उसके सब नियम तो मेरे साम्हने बने रहे, और मैं उसकी विधियोंसे हट न गया।
24. और मैं उसके साय खरा बना रहा, और अधर्म से अपके को बचाए रहा, जिस में मेरे फंसने का डर या।
25. इसलिथे यहोवा ने मुझे मेरे धर्म के अनुसार बदला दिया, मेरी उस शुद्धता के अनुसार जिसे वह देखता या।
26. दयावन्त के साय तू अपके को दयावन्त दिखाता; खरे पुरुष के साय तू अपके को खरा दिखाता है;
27. शुद्ध के साय तू अपके को शुद्ध दिखाता; और टेढ़े के साय तू तिरछा बनता है।
28. और दीन लोगोंको तो तू बचाता है, परन्तु अभिमानियोंपर दृष्टि करके उन्हें नीचा करता है।
29. हे यहोवा, तू ही मेरा दीपक है, और यहोवा मेरे अन्धिक्कारने को दूर करके उजियाला कर देता है।
30. तेरी सहाथता से मैं दल पर धावा करता, अपके परमेश्वर की सहाथता से मैं शहरपनाह को फांद जाता हूँ।
31. ईश्वर की गति खरी है; यहोवा का वचन ताया हुआ है; वह अपके सब शरणागतोंकी ढाल है।
32. यहोवा को छोड़ क्या कोई ईश्वर है? हमारे परमेश्वर को छोड़ क्या और कोई चट्टान है?
33. यह वही ईश्वर है, जो मेरा अति दृढ़ क़िला है, वह खरे मनुष्य को अपके मार्ग में लिए चलता है।
34. वह मेरे पैरोंको हरिणियोंके से बना देता है, और मुझे ऊंचे स्यानोंपर खड़ा करता है।
35. वह मेरे हाथोंको युद्ध करना सिखाता है, यहां तक कि मेरी बांहें पीतल के धनुष को फुका देती हैं।
36. और तू ने मुझ को अपके उद्धार की ढाल दी है, और तेरी नम्रता मुझे बढ़ाती है।
37. तू मेरे पैरोंके लिथे स्यान चौड़ा करता है, और मेरे पैर नहीं फिसले।
38. मैं ने अपके शत्रुओं का पीछा करके उन्हें सत्यानाश कर दिया, और जब तक उनका अन्त न किया तब तक न लौटा।
39. और मैं ने उनका अन्त किया; और उन्हें ऐसा छेद डाला है कि वे उठ नहीं सकते; वरन वे तो मेरे पांवोंके नीचे गिरे पके हैं।
40. और तू ने युद्ध के लिथे मेरी कमर बलवन्त की; और मेरे विरोधियोंको मेरे ही साम्हने परास्त कर दिया।
41. और तू ने मेरे शत्रुओं की पीठ मुझे दिखाई, ताकि मैं अपके बैरियोंको काट डालूं।
42. उन्होंने बाट तो जोही, परन्तु कोई बचानेवाला न मिला; उन्होंने यहोवा की भी बाट जोही, परन्तु उस ने उनको कोई उत्तर न दिया।
43. तब मैं ने उनको कूट कूटकर भूमि की धूलि के समान कर दिया, मैं ने उन्हें सड़कोंऔर गली कूचोंकी कीचड़ के समान पटककर चारोंओर फैला दिया।
44. फिर तू ने मुझे प्रजा के फगड़ोंसे छुड़ाकर अन्य जातियोंका प्रधान होने के लिथे मेरी रझा की; जिन लोगोंको मैं न जानता या वे भी मेरे आधीन हो जाएंगे।
45. परदेशी मेरी चापलूसी करेंगे; वे मेरा नाम सुनते ही मेरे वश में आएंगे।
46. परदेशी मुर्फाएंगे, और अपके कोठोंमें से यरयराते हुए निकलेंगे।
47. यहोवा जीवित है; मेरी चट्टान धन्य है, और परमेश्वर जो मेरे उद्धार की चट्टान है, उसकी महिमा हो।
48. धन्य है मेरा पलटा लेनेवाला ईश्वर, जो देश देश के लोगोंको मेरे वश में कर देता है,
49. और मुझे मेरे शत्रुओं के बीच से निकालता है; हां, तू मुझे मेरे विरोधियोंसे ऊंचा करता है, और उपद्रवी पुरुष से बचाता है।
50. इस कारण, हे यहोवा, मैं जाति जाति के साम्हने तेरा धन्यवाद करूंगा, और तेरे नाम का भजन गाऊंगा।
51. वह अपके ठहराए हुए राजा का बड़ा उद्धार करता है, वह अपके अभिषिक्त दाऊद, और उसके वंश पर युगानुयुग करुणा करता रहेगा।

Chapter 23

1. दाऊद के अन्तिम वचन थे हैं : यिशै के पुत्र की यह वाणी है, उस पुरुष की वाणी है जो ऊंचे पर खड़ा किया गया, और याकूब के परमेश्वर का अभिषिक्त, और इस्राएल का मधुर भजन गानेवाला है:
2. यहोवा का आत्मा मुझ में होकर बोला, और उसी का वचन मेरे मुंह में आया।
3. इस्राएल के परमेश्वर ने कहा है, इस्राएल की चट्टान ने मुझ से बातें की है, कि मनुष्योंमें प्रभुता करनेवाला एक धमीं होगा, जो परमेश्वर का भय मानता हुआ प्रभुता करेगा,
4. वह मानो भोर का प्रकाश होगा जब सूर्य निकलता है, ऐसा भोर जिस में बादल न हों, जैसा वर्षा के बाद निर्मल प्रकाश के कारण भूमि से हरी हरी घास उगती है।
5. क्या मेरा घराना ईश्वर की दृष्टि में ऐसा नहीं है? उस ने तो मेरे साय सदा की एक ऐसी वाचा बान्धी है, जो सब बातोंमें ठीक की हुई और अटल भी है। क्योंकि चाहे वह उसको प्रगट न करे, तौभी मेरा पूर्ण उद्धार और पूर्ण अभिलाषा का विषय वही है।
6. परन्तु ओछे लोग सब के सब निकम्मी फाडिय़ोंके समान हैं जो हाथ से पकड़ी नहीं जातीं;
7. और जो पुरुष उनको छूए उसे लोहे और भाले की छड़ से सुसज्जित होना चाहिथे। इसलिथे वे अपके ही स्यान में आग से भस्म कर दिए जाएंगे।
8. दाऊद के शूरवीरोंके नाम थे हैं : अर्यात्‌ तहकमोनी योश्शेब्यश्शेबेत, जो सरदारोंमें मुख्य या; वह एस्नी अदीनो भी कहलाता या; जिस ने एक ही समय में आठ सौ पुरुष मार डाले।
9. उसके बाद अहोही दोदै का पुत्र एलीआज़र या। वह उस समय दाऊद के संग के तीनोंवीरोंमें से या, जब कि उन्होंने युद्ध के लिथे एकत्रित हुए पलिश्तियोंको ललकारा, और इस्राएली पुरुष चले गए थे।
10. वह कमर बान्धकर पलिश्तियोंको तब तक मारता रहा जब तक उसका हाथ यक न गया, और तलवार हाथ से चिपट न गई; और उस दिन यहोवा ने बड़ी विजय कराई; और जो लोग उसके पीछे हो लिए वे केवल लूटने ही के लिथे उसके पीछे हो लिए।
11. उसके बाद आगे नाम एक पहाड़ी का पुत्र शम्मा या। पलिश्तियोंने इकट्ठे होकर एक स्यान में दल बान्धा, जहां मसूर का एक खेत या; और लोग उनके डर के मारे भागे।
12. तब उस ने खेत के मध्य में खड़े होकर उसे बचाया, और पलिश्तियोंको मार लिया; और यहोवा ने बड़ी विजय दिलाई।
13. फिर तीसोंमुख्य सरदारोंमें से तीन जन कटनी के दिनोंमें दाऊद के पास अदुल्लाम नाम गुफ़ा में आए, और पलिश्तियोंका दल रपाईम नाम तराई में छावनी किए हुए या।
14. उस समय दाऊद गढ़ में या; और उस समय पलिश्तियोंकी चौकी बेतलेहेम में यी।
15. तब दाऊद ने बड़ी अभिलाषा के साय कहा, कौन मुझे बेतलेहेम के फाटक के पास के कुएं का पानी पिलाएगा?
16. तो वे तीनोंवीर पलिश्तियोंकी छावनी में टूट पके, और बेतलेहेम के फाटक के कुंए से पानी भरके दाऊद के पास ले आए। परन्तु उस ने पीने से इनकार किया, और यहोवा के साम्हने अर्ध करके उणडेला,
17. और कहा, हे यहोवा, मुझ से ऐसा काम दूर रहे। क्या मैं उन मनुष्योंका लोहू पीऊं जो अपके प्राणोंपर खेलकर गए थे? इसलिथे उस ने उस पानी को पीने से इनकार किया। इन तीन वीरोंने तो थे ही काम किए।
18. और अबीशै जो सरूयाह के पुत्र योआब का भाई या, वह तीनोंसे मुख्य या। उस ने अपना भाला चलाकर तीन सौ को मार डाला, और तीनोंमें नामी हो गया।
19. क्या वह तीनोंसे अधिक प्रतिष्ठित न या? और इसी से वह उनका प्रधान हो गया; परन्तु मुख्य तीनोंके पद को न पहुंचा।
20. फिर यहोयादा का पुत्र बनायाह या, जो कबसेलवासी एक बड़े काम करनेवाले वीर का पुत्र या; उस ने सिंह सरीखे दो मोआबियोंको मार डाला। और बर्फ के समय उस ने एक गड़हे में उतरके एक सिंह को मार डाला।
21. फिर उस ने एक रूपवान्‌ मिस्री पुरुष को मार डाला। मिस्री तो हाथ में भाला लिए हुए या; परन्तु बनायाह एक लाठी ही लिए हुए उसके पास गया, और मिस्री के हाथ से भाला को छीनकर उसी के भाले से उसे घात किया।
22. ऐसे ऐसे काम करके यहोयादा का पुत्र बनायाह उन तीनोंवीरोंमें नामी हो गया।
23. वह तीसोंसे अधिक प्रतिष्ठित तो या, परन्तु मुख्य तीनोंके पद को न पहुंचा। उसको दाऊद ने अपक्की निज सभा का सभासद नियुक्त किया।
24. फिर तीसोंमें योआब का भाई असाहेल; बेतलेहेमी दोदो का पुत्र एल्हानान,
25. हेरोदी शम्मा, और एलीका, पेलेती हेलेस,
26. तकोई इक्केश का पुत्र ईरा,
27. अनातोती अबीएज़ेर, हूशाई मबुन्ने,
28. अहोही सल्मोन, नतोपाही महरै,
29. एक और नतोपाही बाना का पुत्र हेलेब, बिन्यामीनियोंके गिबा नगर के रीबै का पुत्र हुत्तै,
30. पिरातोनी, बनायाह, गाश के नालोंके पास रहनेवाला हिद्दै,
31. अराबा का अबीअल्बोन, बहूरीमी अजमावेत,
32. शालबोनी एल्यहबा, याशेन के वंश में से योनातन,
33. पहाड़ी शम्मा, अरारी शारार का पुत्र अहीआम,
34. अहसबै का पुत्र एलीपेलेत्त माका देश का, गीलोई अहीतोपेल का पुत्र एलीआम,
35. कम्मेंली हेस्रो, अराबी पारै
36. सोबाई नातान का पुत्र यिगाल, गादी बानी,
37. अम्मोनी सेलेक, बेरोती नहरै को सरूयाह के पुत्र योआब का हयियार ढोनेवाला या,
38. थेतेरी ईरा, और गारेब,
39. और हित्ती ऊरिय्याह या: सब मिलाकर सैैंतीस थे।

Chapter 24

1. और यहोवा का कोप इस्राएलियोंपर फिर भड़का, और उस ने दाऊद को इनकी हानि के लिथे यह कहकर उभारा, कि इस्राएल और यहूदा की गिनती ले।
2. सो राजा ने योआब सेनापति से जो उसके पास या कहा, तू दान से बेशॅबा तक रहनेवाले सब इस्राएली गोत्रें में इधर उधर घूम, और तुम लोग प्रजा की गिनती लो, ताकि मैं जान लूं कि प्रजा की कितनी गिनती है।
3. योआब ने राजा से कहा, प्रजा के लोग कितने ही क्योंन हों, तेरा परमेश्वर यहोवा उनको सौगुणा बढ़ा दे, और मेरा प्रभु राजा इसे अपक्की आंखोंसे देखने भी पाए; परन्तु, हे मेरे प्रभु, हे राजा, यह बात तू क्योंचाहता है?
4. तौभी राजा की आज्ञा योआब और सेनापतियोंपर प्रबल हुई। सो योआब और सेनापति राजा के सम्मुख से इस्राएली प्रजा की गिनती लेने को निकल गए।
5. उन्होंने यरदन पार जाकर अरोएर नगर की दाहिनी ओर डेरे खड़े किए, जो गाद के नाले के मध्य में और याजेर की ओर है।
6. तब वे गिलाद में और तहतीम्होदशी नाम देश में गए, फिर दान्यान को गए, और चक्कर लगाकर सीदोन में पहुंचे;
7. तब वे सोर नाम दृढ़ गढ़, और हिब्बियोंऔर कनानियोंके सब नगरोंमें गए; और उन्होंने यहूदा देश की दक्खिन दिशा में बेशेंबा में दौरा निपटाया।
8. और सब देश में इधर उधर घूम घूमकर वे नौ महीने और बीस दिन के बीतने पर यरूशलेम को आए।
9. तब योआब ने प्रजा की गिनती का जोड़ राजा को सुनाया; और तलवार चलानेवाले योद्धा इस्राएल के तो आठ लाख, और यहूदा के पांच नाख निकले।
10. प्रजा की गणना करने के बाद दाऊद का मन व्याकुल हुआ। और दाऊद ने यहोवा से कहा, यह काम जो मैं ने किया वह महापाप है। तो अब, हे यहोवा, अपके दास का अधर्म दूर कर; क्योंकि मुझ से बड़ी मूर्खता हुई है।
11. बिहान को जब दाऊद उठा, तब यहोवा का यह वचन गाद नाम नबी के पास जो दाऊद का दशीं या पहुंचा,
12. कि जाकर दाऊद से कह, कि यहोवा योंकहता है, कि मैं तुझ को तीन विपत्तियां दिखाता हूँ; उन में से एक को चुन ले, कि मैं उसे तुझ पर डालूं।
13. सो गाद ने दाऊद के पास जाकर इसका समाचार दिया, और उस से पूछा, क्या तेरे देश में सात वर्ष का अकाल पके? वा तीन महीने तक तेरे शत्रु तेरा पीछा करते रहें और तू उन से भागता रहे? वा तेरे देश में तीन दिन तक मरी फैली रहे? अब सोच विचार कर, कि मैं अपके भेजनेवाले को क्या उत्तर दूं।
14. दाऊद ने गाद से कहा, मै बड़े संकट में हूँ; हम यहोवा के हाथ में पकें, क्योंकि उसकी दया बड़ी है; परन्तु मनुष्य के हाथ में मैं न पडूंगा।
15. तब यहोवा इस्राएलियोंमें बिहान से ले ठहराए हुए समय तक मरी फैलाए रहा; और दान से लेकर बेशॅबा तक रहनेवाली प्रजा में से सत्तर हज़ार पुरुष मर गए।
16. परन्तु जब दूत ने यरूशलेम का नाश करने को उस पर अपना हाथ बढ़ाया, तब यहोवा वह विपत्ति डालकर शोकित हुआ, और प्रजा के नाश करनेवाले दूत से कहा, बस कर; अब अपना हाथ खींच। और यहोवा का दूत उस समय अरौना नाम एक यबूसी के खलिहान के पास या।
17. तो जब प्रजा का नाश करनेवाला दूत दाऊद को दिखाई पड़ा, तब उस ने यहोवा से कहा, देख, पाप तो मैं ही ने किया, और कुटिलता मैं ही ने की है; परन्तु इन भेड़ोंने क्या किया है? सो तेरा हाथ मेरे और मेरे पिता के घराने के विरुद्ध हो।
18. उसी दिन गाद ने दाऊद के पास आकर उस से कहा, जाकर अरौना यबूसी के खलिहान में यहोवा की एक वेदी बनवा।
19. सो दाऊद यहोवा की आज्ञा के अनुसार गाद का वह वचन मानकर वहां गया।
20. जब अरौना ने दृष्टि कर दाऊद को कर्मचारियो समेत अपक्की ओर आते देखा, तब अरौना ने निकलकर भूमि पर मुह के बल गिर राजा को दणडवत्‌ की।
21. और अरौना ने कहा, मेरा प्रभु राजा अपके दास के पास क्योंपधारा है? आऊद ने कहा, तुझ से यह खलिहान मोल लेने आया हूँ, कि यहोवा की एक बेदी बनवाऊं, इसलिथे कि यह व्याधि प्रजा पर से दूर की जाए।
22. अरौनर ने दाऊद से कहा, मेरा प्रभु राजा जो कुछ उसे अच्छा लगे सो लेकर चढ़ाए; देख, होमबलि के लिथे तो बैल हैं, और दांचने के हयियार, और बैलोंका सामान ईधन का काम देंगे।
23. यह सब अरौना ने राजा को दे दिया। फिर अरौना ने राजा से कहा, तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ से प्रसन्न होए।
24. राजा ने अरौना से कहा, ऐसा नहीं, मै थे वस्तुएं तुझ से अवश्य दाम देकर लूंगा; मैं अपके परमेश्वर यहोवा को सेंतमेंत के होमबलि नहीं चढ़ाने का। सो दाऊद ने खलिहान और बैलोंको चांदी के पचास शेकेल पें मोल लिया।
25. और दाऊद ने वहां यहोवा की एक बेदी बनवाकर होमबलि और मेलबलि चढ़ाए। और यहोवा ने देश के निमित्त बिनती सुन ली, तब वह व्याधि इस्राएल पर से दूर हो गई।


Free counters!   Site Meter(April28th2012)